टीएमसी दिन-रात भारत विरोधी प्रोपेगंडा को फ़ैलाने के लिए काम कर रही है

ममत बनर्जी साइबर वायुसेना

PC: Aaj Tak

भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला होने से लगता है भारत में मौजूद कुछ नेताओं को गहरी ठेस पहुंची है। एयर स्ट्राइक के मात्र तीन दिनों के अंदर ही पश्चिम बंगाल की ‘क्रांतिकारी’ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर सवाल उठाकर यह साबित कर दिया कि वे उन्हीं नेताओं में से एक हैं। भारतीय सेना व सुरक्षाबलों के खिलाफ इस जंग में उन्हें उनकी ‘साइबर सेना’ का भी भरपूर साथ मिल रहा है।

पहले तो ममता बनर्जी ने भारतीय वायुसेना के खिलाफ खुद मोर्चा संभाला। गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुखिया ममता बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा था ”हवाई हमलों के बाद हमें बताया गया कि 300 मौतें हुईं, 350 मौतें हुईं लेकिन, मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट में ऐसी खबरें पढ़ीं जिनमें कहा गया कि कोई आतंकी नहीं मारा गया। एक अन्य विदेशी मीडिया रिपोर्ट में केवल एक व्यक्ति के घायल होने की बात कही गई थी। ममता ने आगे कहा था,“हमें ये जानने का अधिकार है, इस देश के लोग ये जानना चाहते हैं कि कितने मारे गए (बालाकोट में)। वास्तव में बम कहां गिराया गया था? क्या ये लक्ष्य पर गिरा था?”

उनकी इन बातों से यह तो साफ हो गया कि उन्हें अपनी वायुसेना, अपने सुरक्षाबलों तथा अपने देश की सरकारों से ज्यादा विदेशी मीडिया के एजेंडावादी और असत्यापित लेखों पर अधिक भरोसा है। उन्हें इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं कि वे बड़े आराम से विदेशी हाथों की कठपुतली बन भारत-विरोधी ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं। इस देश विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने में उनके आईटी सेल की भी अहम भूमिका सामने आई है। ममता बनर्जी के दिए गए इन बयानों को सच साबित करने के लिए तृणमूल कांग्रेस की साइबर सेना उन्हीं एजेंडावादी खबरों का सहारा ले रही है। टीएमसी का यह आईटी सेल और साइबर सेना विदेशी मीडिया में छपे उन्हीं असत्यापित लेखों को बंगाली व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित करके सोशल मीडिया पर साझा कर रहा है। टीएमसी के मुताबिक अनुवादित किये हुए लेख सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। कुल मिलाकर ममता सरकार एक बार फिर चुनाव से पहले लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहती हैं, ताकि वो लाइमलाइट में आ सकें और इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

इससे पहले वे सीबीआई के अफसरों को हिरासत में लेकर और तथाकथित रूप से लोकतंत्र को बचाने के लिए तीन दिनों तक धरने के नाटक को लेकर भी मीडिया में अपने आप को बनाए रखने में कामयाब हुई हैं। उनका मानना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसे ड्रामे रचना उनके राजनीतिक लक्ष्यों की पूर्ति करने में उनकी मदद करेगा। पिछले कुछ समय से भाजपा लगातार पश्चिम बंगाल में अपनी जमीनी पकड़ बनाने में सफल हुई है। ममता को डर है कि कहीं इस बार वो बंगाल की कुर्सी भाजपा के हाथों न गवांदे, जिसको लेकर अब उनके द्वारा झूठ तथा देशविरोध आधारित राजनीति की शुरुआत हो चुकी है। भाजपा के नेताओं को पश्चिम बंगाल में आने से रोकना, उनके हेलीकॉप्टर को बंगाल में लैंड न होने देना भली भांति उनके इस डर को बयां करता है।

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