बेहद हताशा और घोर निराशा से जूझ रही देश की सबसे पुरानी पार्टी कितनी असंवेदनशील है, यह आज पूरा देश देख रहा है। सत्ता पाने के लिए यह पार्टी कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है। जिस समय ईमानदारी और कर्मठता की मिसाल स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर हॉस्पिटल में अपने अंतिम क्षणों में जूझ रहे थे उस समय कांग्रेस पार्टी गोवा में सत्ता हड़पने की प्लानिंग कर रही थी। बीजेपी गठबंधन के पास सत्ता में बने रहने के लिए पर्याप्त सीटें होने के बावजूद इस पार्टी ने दो-दो बार राज्यपाल को पत्र लिख सरकार बनाने का दावा पेश किया। मनोहर पर्रिकर की मृत्यु के बाद अभी उनका अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ है कि, कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनाने के लिए एक और पत्र राज्यपाल को लिख दिया। सत्ता हड़पने को बेताब यह पार्टी यहीं नहीं रुकी, उसने राज्यपाल मृदुला सिन्हा को भाजपा कार्यकर्ता तक बता दिया।
बीजेपी गठबंधन के पास हैं पर्याप्त सीटें
गोवा में विधानसभा की 40 सीटें हैं। इस साल की शुरुआत में भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा और रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद तथा पिछले साल कांग्रेस पार्टी के दो विधायकों सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे के इस्तीफे के कारण गोवा में कुल विधायकों की संख्या 36 रह गई है। मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या यहां 13 से घटकर 12 रह गई है लेकिन सहयोगी दलों को मिलाकर अभी भी बीजेपी के पास राज्य में 20 विधायक है। राज्य में बीजेपी को गोवा फॉरवर्ड पार्टी और एमजीपी के तीन-तीन और एक एनसीपी विधायक का समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार भी भाजपा के समर्थन में है। वहीं कांग्रेस के पास राज्य में सिर्फ 14 विधायक ही हैं और सरकार बनाने के लिए राज्य में 19 विधायक होने चाहिए। राज्य में सरकार बनाने के आंकड़े से बहुत दूर होने के बावजूद कांग्रेस की ऐसे संवेदनशील समय में सत्ता पाने की लालसा बेहद निंदनीय है।
48 घंटे में राज्यपाल को लिख डाले दो पत्र
कांग्रेस यहां जननेता मनोहर पर्रिकर की मौत पर सत्ता हड़पना चाहती है। उसका कहना है कि, मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर ही सहयोगी पार्टियों ने बीजेपी को समर्थन दिया था और जब वे ही नहीं रहे तो बीजेपी का सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। इस पार्टी ने पिछले 48 घंटे में दूसरी बार सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए कहा है कि उनके पास बहुमत है। कांग्रेस ने राज्यपाल को पहला पत्र मनोहर पर्रिकर की ज्यादा तबीयत खराब होने पर शनिवार को लिखा था। इसमें उसने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इस पत्र में पार्टी ने कहा था कि भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा के निधन के बाद मनोहर पर्रिकर सरकार ने विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया है। गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा को लिखे एक पत्र में विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त किये जाने की मांग की। इसके बाद कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा था कि राज्यपाल मृदुला सिन्हा ‘भाजपा कार्यकर्ता’ की तरह काम कर रही हैं। कांग्रेस ने कहा था कि राज्यपाल ने उनके पत्र का न कोई जवाब दिया और न ही मिलने का समय दिया। कांग्रेस ने कहा था कि भाजपा के विधायकों की संख्या कम हो गई है और कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है।
Congress stakes claim to form government in Goa; writes to Governor to dismiss BJP-led govt which is in "minority" & call "single-largest party Congress to form govt".Also states in its letter, "any attempt to bring Goa under President's rule will be illegal & will be challenged" pic.twitter.com/EZ125NRO0a
— ANI (@ANI) March 16, 2019
राज्यपाल ने जब कांग्रेस के इस हवा-हवाई दावे को अहमियत नहीं दी तो कांग्रेस ने नई चाल चली। उसने 48 घंटों में दूसरी बार और मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की मृत्यु के 2 घंटे बाद राज्यपाल को लिखे गए पत्र में लिखा, “गठबंधन सहयोगियों ने भाजपा का साथ इस शर्त पर दिया था कि सरकार का नेतृत्व मनोहर परिकर करेंगे जो उस समय भारत के रक्षामंत्री थे। अब भाजपा का कोई सहयोगी नहीं हैं।” जिस समय पुरा देश मनोहर पर्रिकर की मृत्यु के सदमें में था उस समय कांग्रेस पर्रिकर की मृत्यु पर अपनी सत्ता चाहती थी। इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है।
Goa Congress leaders Girish Chodankar and Chandrakant Kavlekar write letter to Goa Governor, Mridula Sinha staking claim to form Government in the state. pic.twitter.com/vqFU6gBTUi
— ANI (@ANI) March 17, 2019
कांग्रेस की इस हरकत के बाद बीजेपी ने भी अपने विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक की है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सोमवार रात 12.30 बजे बीजेपी के सहयोगी दलों के नेताओं से बातचीत करने के लिए गोवा पहुंचे हैं। अभी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम पर संशय बना हुआ है। भाजपा अपने किसी विधायक या सहयोगी पार्टी के किसी नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है।