कांग्रेस पार्टी में नेताओं को टिकट ना मिलने की वजह से अक्सर हमें लड़ाईयां देखने को मिलती रहती हैं। कभी कार्यकर्ताओं द्वारा गमलों पर गुस्सा उतारा जाता है तो कभी कुर्सियों को उछालकर एक दूसरे को चोट पहुंचाने का काम किया जाता है। लेकिन इस बार कांग्रेस के एक नेता ने टिकट ना मिलने के गुस्से को एक अलग ढंग से व्यक्त किया जिसने सबको हैरान कर दिया। दरअसल, औरंगाबाद के सिलोद से कांग्रेस विधायक अब्दुल सत्तार को जब पार्टी द्वारा लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया तो उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर पार्टी ऑफिस से 300 कुर्सियां उठवा लीं। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। दिलचस्प बात तो यह है कि अब्दुल सत्तार के ऐसा करने के कुछ समय बाद ही पार्टी ऑफिस में कांग्रेस-एनसीपी की बैठक होने वाली थी, लेकिन कुर्सियों के ना होने की वजह से इस बैठक को एनसीपी के ऑफिस में आयोजित किया गया।
अब्दुल सत्तार ने बाद में एक न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में कहा “हां, मैंने कुर्सियां हटवा ली हैं क्योंकि वह मेरी थी, अब मैंने पार्टी छोड़ दी है इसलिए कुर्सियां भी ले गया। जिन लोगों को टिकट मिला है, उन्हें कुर्सियों का इंतजाम करना चाहिए।“ आपको बता दें कि अब्दुल सत्तार सिलोद से कांग्रेस के विधायक हैं और कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वे पार्टी से औरंगाबाद से लोकसभा का टिकट मांग रहे थे लेकिन उनकी मांग को पार्टी द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया और यहां से विधान परिषद सदस्य सुभाष झांबड़ को टिकट मिल गया जिससे वह नाराज हो गए, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया। हालांकि पार्टी द्वारा अभी उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया है और पार्टी अब उन्हें मनाने का भरपूर प्रयास कर रही है।
बड़े नेताओं द्वारा पार्टी से किनारा करने की वजह से एक तो पहले ही कांग्रेस पार्टी बेहद कमज़ोर स्थिति में पहुंच चुकी है, वहीं दूसरी तरफ टिकट वितरण से नाराज़ होकर पार्टी से मुंह मोड़ने वाले नेता भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखेपाटील के बेटे डॉ. सुजय पाटील भी बीजेपी में शामिल होकर कांग्रेस को बड़ा झटका देने का काम कर चुके हैं। दरअसल, कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में अहमदनगर सीट एनसीपी के खाते में थी। कांग्रेस सुजय विखेपाटील के लिए सीट शरद पवार से मांग रही थी, लेकिन पवार ने कांग्रेस को सीट देने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप सुजय बीजेपी में चले गए और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन अपने गढ़ से हाथ धो बैठा। अब कांग्रेस पार्टी के एक और कद्दावर नेता का पार्टी से इस्तीफा देना कांग्रेस के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। आपको बता दें कि विधायक अब्दुल सत्तार का औरंगाबाद में मज़बूत जनाधार माना जाता है और अगर वे पार्टी से अलग होने का फैसला लेते हैं तो कांग्रेस को खासा नुकसान झेलने को पड़ सकता है। हम आपको यह पहले ही बता चुके हैं कि कैसे कांग्रेस के 6 राज्यों के 17 बड़े नेता पार्टी का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। जाहिर है कि आगामी चुनावों में कांग्रेस की राह बिल्कुल आसान नहीं होने वाली और इसमें कांग्रेस के नेता ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ा करने का काम कर रहे हैं।