भीख मांग कर अपना गुजर बसर करने वाला पाकिस्तान अब अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाता आईएमएफ से 12 मिलियन डॉलर का कर्ज़ चाहता है लेकिन आईएमएफ अमेरिका के भारी दबाव में आकर काम करता है जिससे कि पाकिस्तान की मुश्किलें पहले से ज़्यादा बढ़ गई है। दरअसल, आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज़ देने की एवज में उस पर कड़ी शर्तें लगाई हैं। उनमे से सबसे बड़ी शर्त यह है कि पाकिस्तान को अपनी मुद्रा का मूल्यांकन वहां के रिज़र्व बैंक की बजाय बाजार के द्वारा करवाना होगा जिससे कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का मूल्य हर दिन तय होगा। इसी कड़ी में पाकिस्तान ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया जिससे की 1 अमेरिकी डॉलर 140.78 पाकिस्तानी रुपयों पर जाकर पहुँच गया। एक्सपर्ट्स की माने तो आने वाले दिनों में पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 150 पाकिस्तानी रुपये का आंकड़ा छू सकता है। आपको बता दें कि पाक में चुनाव से पहले आई अंतरिम सरकार ने पाकिस्तानी रुपये का अवमूल्यन 102 रुपये से 130 रुपये तक कर दिया था।
आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज़ देने के बदले कुछ अहम् शर्तों को पूरा करने की बात कही है। उनमें से एक तो मुद्रा का अवमूल्यन है ही, इसके अलावा पाकिस्तान को यह भी बताना होगा कि चीन को लेकर उसके क्या आर्थिक सम्बन्ध है अथवा चीन से उसने कितना और किस प्रकार का कर्ज़ लिया हुआ है। पाकिस्तानी सरकार को एक तरफ तेल के दाम बढ़ाने होंगे तो वहीँ उसे कर दरों में भी बढ़ोतरी करनी होगी। जिससे यह तो तय है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तानी जनता को भयंकर गरीबी और भुखमरी का सामना करना होगा।
पिछले काफी समय से हमने देखा है कि पाक को कर्ज़ के पैसे पर जीने की आदत सी हो गई है। कभी वह चीन और अमेरिका जैसे आर्थिक रूप से संपन्न देशों से पैसा उधार लेता है तो कभी आईएमएफ जैसे अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाता के पास अपना भीख का कटोरा लेकर पहुँच जाता है। पाक बेशक अमेरिका जैसे देश के लिए एक माकूल जगह है जहां से वह एक तरफ अपने विरोधी ईरान पर नज़र रख सकता है तो दूसरी तरफ अफ़ग़ानिस्तान के माध्यम से चीन को भी आँखे दिखा सकता है। इसी एवज में पाक दशकों से अमेरिका से करोड़ों-अरबों की मदद लेता आया है, लेकिन अमेरिका में ट्रम्प सरकार के आने के बाद से उसकी इस मदद पर रोक लगा दी गई है जिससे पहले से कंगाल पाक को गहरा झटका पहुंचा है।
अमेरिका के बाद पाकिस्तान ने अपने आका के रूप में चीन को चुना है जो उसे लगातार बड़े-बड़े कर्ज़े देकर उसके आर्थिक तंत्र पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है और इसमें पाकिस्तान भी उसका भरपूर साथ दे रहा है। ‘चीन-पाक आर्थिक गलियारा’ इसका एक जीता जागता सबूत है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत अब इतनी खस्ता हो चुकी है कि उसके पास सिर्फ कुछ महीनों के आयात के पैसे बचे हैं, जिसकी वजह से उसके पास एक बार फिर केवल आईएमएफ के पास जाकर भीख मांगने का ही रास्ता बचा है।