‘संस्थागत भ्रष्टाचार’ में लिप्त हैं प्रियंका गांधी वाड्रा: स्मृति ईरानी

प्रियंका वाड्रा कांग्रेस

PC: khabarindiaki

भाजपा ने कांग्रेस-वाड्रा परिवार को एक बार फिर कटघरे में खड़ा किया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार पर ‘संस्थागत भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुए पहली बार प्रियंका वाड्रा पर भी जमकर हमला बोला। ईरानी ने कहा है कि एक व्यक्ति ‘एचएल पाहवा’ के घर पड़ी प्रवर्तन निदेशालय की रेड में कुछ अहम दस्तावेज सामने आये हैं जिनसे यह साफ होता है राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा ने एक बिचौलिए महेश नागर की मदद के द्वारा पाहवा से हरियाणा तथा राजस्थान में गलत तरीके से जमीन का लेन-देन किया गया था। आपको बता दें कि महेश नागर वही व्यक्ति है जिनसे रोबर्ट वाड्रा ने भी गलत ढंग से जमीन का लेन-देन किया था, और जिसको लेकर उनपर अभी जांच भी चल रही है।

केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि पाहवा के घर पड़ी रेड में जब्त हुए दस्तावेजों से यह भी सामने आया कि पाहवा ने जिस जमीन को राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा को बेचा, उसे वापस 300 से 400 प्रतिशत ऊँचे दामों पर खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। बाद में एक अन्य व्यक्ति ‘सीसी थम्पी’ ने पाहवा को 54 करोड़ रूपये दिए। आपको बता दें की थम्पी वही व्यक्ति हैं जिनका एक अन्य जमीन घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा के साथ बड़ी प्रमुखता से नाम सामने आया था, और उनपर भी जांच जारी है। आखिर में स्मृति ईरानी ने तंज कसते हुए कहा कि इस पारिवारिक घोटालेबाजी में जीजा साहब के साथ-साथ साले साहब भी प्रमुख रूप से शामिल हैं। राहुल गांधी की हथियार सौदों के बिचौलिये संजय भंडारी के साथ साठगांठ का उल्लेख करते हुए स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि राफ़ेल सौदे के विरोध द्वारा राहुल गांधी न केवल राजनीतिक हित साधना चाहते थे, बल्कि अपनी और अपने परिवार के आर्थिक हित भी गलत तरीके से साधना चाहते थे। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने देश की रक्षा तैयारियों को केवल इसलिए खतरे में डाल दिया क्योंकि उनके मित्र संजय भंडारी को राफ़ेल से ‘डील नहीं मिली”।

केंद्रीय खेल राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी ट्विटर के माध्यम से कांग्रेस पर जमकर बरसे। उन्होंने ट्वीट किया ”राहुल गांधी लगातार रफाल डील को लेकर सवाल पूछ रहें हैं,लेकिन क्या वे उत्तर के लिए तैयार हैं? उन्हें हथियार सौदेबाज संजय भंडारी एवं राफेल की प्रतिद्वंधी यूरोफाइटर के साथ अपने रिश्तों को सार्वजानिक करना चाहिए”

आपको बता दें कि 126 लड़ाकू विमानों के पहले टेंडर के लिए राफ़ेल और यूरोफाइटर में कड़ी प्रतिस्पर्धा हुई थी, जिसमें राफ़ेल ने बाज़ी मारकर यह सौदा हासिल किया था। इसी सौदे में फ़ेरबदल कर 126 ख़ाली जहाज़ों की बजाय मोदी सरकार ने 36 युद्ध-को-तैयार लड़ाकू विमानों का ऑर्डर राफ़ेल को दिया था, जिसे राहुल गांधी काफ़ी समय से घोटाला साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी काफी समय से बिना सबूतों के केंद्र सरकार तथा पीएम मोदी पर रफाल डील में चोरी करने का आरोप लगा रहें हैं, लेकिन अब इन हैरान करने वाले तथ्यों के सामने आने के बाद अब इसपर उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी ये देखना दिलचस्प होगा।

इस पर कांग्रेस की तरफ से भी एक जवाब आया है जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरजेवाला यह कह रहे हैं कि सरकार अब तक क्यों सोयी हुई थी। उन्होंने कहा, “हार को भांपते हुए प्रधानमंत्री मोदी और उनके चहेते पूरी तरह से बेबुनियाद और फर्जी आरोप लगा रहे हैं।“ अब सुरजेवाला बताये कि सबूत और ठोस तथ्यों के साथ लगाये जा रहे आरोप फर्जी कैसे कहलायेंगे?  यह वही कांग्रेस है जो अक्सर जांच होने के समय भाजपा पर ‘राजनीतिक द्वेष’ साधने का आरोप मढ़ने में भी समय जाया नहीं करती।

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