राहुल गांधी की इस UBI स्कीम से गर्त में चली जाएगी अर्थव्यवस्था, बढ़ेगी महंगाई और घट जाएगी विकास दर

राहुल गांधी योजना कांग्रेस

PC : dailyhunt

चुनावों से ठीक पहले एक नई चुनावी नौटंकी शुरू हो गई है। राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपये देगी। इस अनुसार योजना की कुल लागत लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये होगी जो देश की जीडीपी का 1.9 प्रतिशत या केंद्र सरकार के खर्च का 14 प्रतिशत है। राहुल गांधी ने पैसा बांटने का ऐलान तो कर दिया लेकिन, स्पष्ट रूप से इस बारे में कोई योजना नहीं बताई है कि योजना के लिए धन कैसे एकत्र किया जाएगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि, गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने संबंधी कांग्रेस पार्टी की इस चुनावी घोषणा पर अगर अमल हुआ तो यह देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार देगा। इससे न केवल देश का राजकोषीय संतुलन ध्वस्त होगा बल्कि महंगाई भी बेकाबू हो जाएगी। बड़ा सवाल यह भी है कि, आखिर पांच करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये देने के लिए प्रति वर्ष तीन लाख साठ हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि कहां से जुटेगी? क्या कांग्रेस के सत्ता में आते ही पैसे पेड़ पर उगने लगेंगे या फिर शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा आदि के बजट में कटौती कर दी जाएगी?

देखा जाए तो अर्ध यूबीआई का विचार उर्वरक सब्सिडी, बिजली सब्सिडी जैसी योजनाओं से बेहतर हो सकता है और इसे कम खर्च के साथ भी लागू किया जा सकता है लेकिन इसके लिए बौद्दिक संसाधन और योजना के निष्पादन की क्षमता होनी चाहिए जो कांग्रेस के पास दिखाई नहीं देती। कांग्रेस के पुराने कार्यकाल कईं असफल योजनाओं से भरे पड़े हैं। जब कांग्रेस अपनी पिछली जनकल्याणकारी योजनाओं को ही लागू नहीं कर पायी तो यूबीआई के कार्यान्वयन के साथ कैसे भरोसा किया जा सकता है और वह भी तब, जब यह योजना कहीं अधिक जटिल है और इसके लिए बहुत ज्यादा वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है।

राहुल गांधी का यह वादा कांग्रेस के हाल के उन वादों के अनुरूप ही है जिन्हें निभाने में यह पार्टी नाकाम रही है। कर्नाटक में कांग्रेस ने कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद उसने इसका मजाक बना दिया। पिछले साल दिसंबर तक राज्य में मात्र 800 किसानों को ही कर्जमाफी का लाभ मिला था। मध्यप्रदेश और राजस्थान में तो कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ क्रूर मजाक किया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष ने इन राज्यों में कृषि ऋण माफी का वादा किया था और योजना की घोषणा के कुछ ही समय बाद बड़ी अनियमितताएं सामने आईं। यहां लोगों के सिर्फ 30, 50 और 100 रुपये तक माफ करने के भी मामले सामने आए थे।

गौरतलब है कि, चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का कुल बजट 27,84,200 करोड़ रुपये है। यह अंतरिम बजट था, जब नई सरकार आएगी तो वह पूर्ण बजट पेश करेगी। नई सरकार अगर मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों के बजट में कटौती किए बिना ही राहुल गांधी की ‘न्याय’ योजना के लिए बजट में पैसा आवंटित करेगी तो बजट का आकार बढ़कर 31.44 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। इसके साथ ही जो सबसे बड़ा नुकसान होगा वह यह कि, राजकोषीय घाटा सात लाख करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग साढ़े दस लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में कंसल्टेंट व वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका पांडेय द्वारा दैनिक जागरण को दिये बयान के अनुसार, ”फिलहाल राजकोषीय घाटा 7.03 लाख करोड़ रुपये है। अगर हम इसमें 3.6 लाख करोड़ रुपये को जोड़ लें तो यह बढ़कर 10.63 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। नॉमिनल इनकम 210 लाख करोड़ रुपये मानने पर राजकोषीय घाटा बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो जाएगा।” जब राजकोषीय घाटे का संतुलन बिगड़ेगा तो  महंगाई भी बेकाबू हो जाएगी। पांडेय के उनुसार, आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार राजकोषीय घाटे में एक प्रतिशत की वृद्धि से मुद्रास्फीति में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि होती है। इस तरह महंगाई में 1.5 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है। जब महंगाई बढ़ेगी तो आरबीआई को महंगाई को काबू रखने के लिए ब्याजदरों में वृद्धि करेनी पड़ेगी जिसका विपरीत असर विकास दर पर भी पड़ेगा।

वहीं मोदी सरकार ने बजट में घोषणा की थी कि वह 2 हेक्टेयर कृषि भूमि तक के किसानों को हर साल 6,000 रुपये का सीधा लाभ उनके बैंक खातों में हस्तांतरित करेगी। इस योजना को सरकार ने 1 दिसंबर, 2018 को ही लागू कर दिया था। इस पीएम किसान सम्मान योजना से देश के 12 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को लाभ पहुंचाया जाएगा। मोदी सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये और अगले वित्तीय वर्ष के लिए 75,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि राहुल गांधी की इस नई योजना की तुलना में मोदी सरकार का पीएम किसान सम्मान योजना बहुत बेहतर और कुशल है। यह राहुल गांधी द्वारा प्रस्तावित योजना की तुलना में दोगुने से अधिक लोगों को लाभान्वित करती है और सरकारी खजाने को कम खर्च करती है। जहां राहुल की यह प्रस्तावित योजना 3.6 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम बजट से सिर्फ 5 करोड़ परिवारों को लाभान्वित कर सकेगी, वहीं पीएम किसान योजना से 12 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित होंगे और इसके लिए सिर्फ 75000 करोड़ रुपये का बजट ही पर्याप्त होगा।

बता दें कि, नीति आयोग ने भी कांग्रेस की इस योजना पर प्रश्नचिन्ह खड़े किये हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी का चुनाव जीतने के लिए बड़े-बड़े वादे करने का रिकार्ड रहा है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने ऐसी योजना घोषित की है जिससे राजकोषीय संतुलन ध्वस्त हो जाएगा। यह काम के विरुद्ध प्रोत्साहन का कार्य करेगा और यह कभी लागू नहीं पाएगी।

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