यूबीआई की घोषणा राहुल गांधी का सिर्फ चुनावी स्टंट है

राहुल गांधी यूनिवर्सल बेसिक इनकम

हाल ही में अपने ताज़ातरीन चुनावी स्टंट मे राहुल गांधी ने वादा किया कि देश के सबसे निर्धन परिवारों में से 20 प्रतिशत को यूनिवर्सल बेसिक इनकम का फायदा मिलेगा। उन्होनें कहा कि कांग्रेस देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपये देगी लेकिन ये समझने से पहले की कांग्रेस की ये नई स्कीम कितनी बचकानी और कितनी मूर्खतापूर्ण है, आइये पहले थोड़ा गणित का अभ्यास करते हैं।

देश के सबसे निर्धन परिवारों में से बीस प्रतिशत का मतलब है 5 करोड़ परिवार। अगर हर परिवार को सालाना 72000 रूपये दिये जाते हैं तो 3.6 लाख करोड़ रूपये का खर्च बैठेगा।

भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानि की जीडीपी अभी 188 लाख करोड़ रुपये है यानि कि अगर कांग्रेस अपनी स्कीम लागू करने मे कामयाब होती है तो यूनिवर्सल बेसिक इनकम का हिस्सा जीडीपी का 2 प्रतिशत होगा। यही नहीं ये केंद्र सरकार द्वारा किए जाने वाले कुल खर्चे का 14 प्रतिशत होगा। अब ज़रा विभिन्न इकाइयों में भारत सरकार द्वारा किए जाने वाले खर्चो पर एक नज़र डालते हैं:

भारत रक्षा में 3 लाख करोड़ रुपये करता है

रेलवे में 1.6 लाख करोड़ रुपये

हाउसिंग यानि कि आवास में 1.0 लाख करोड़ रुपये

शिक्षा मे 1 लाख करोड़ रुपये

स्वास्थ्य में 0.6 लाख करोड़ रुपये

मनरेगा में 0.6 लाख करोड़ रुपये

https://twitter.com/ARanganathan72/status/1110132013539823616

तो अगर तकनीकी तौर पर देखा जाये तो न्यूनतम यूनिवर्सल बेसिक इनकम में किया जाने वाला खर्चा भारत के रक्षा खर्चे से भी ज़्यादा होगा। और तो और इसमें किया जाने वाला खर्चा अभी रेलवे, शिक्षा और स्वास्थ्य मे जितना खर्चा कुल मिला के किया जाता है उसके लगभग बराबर हो जायेगा।

इस गणित से कुछ समझ आया? इसका मतलब ये है कि कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम यूनिवर्सल बेसिक इनकम सिर्फ मूर्खतापूर्ण ही नहीं बल्कि असंभव भी है।

और ज़रा एक नज़र कांग्रेस के महान रिकॉर्ड्स पर भी डाल लेते हैं-

कर्नाटक चुनाव के समय कांग्रेस ने किसानों की कर्ज़ माफी को लेकर बड़े बड़े लोकलुभावन वादे किए थे। लेकिन जेडीएस के साथ गठबंधन सरकार बनते ही कांग्रेस के सुर ही बदल गए। उन्होंने ना सिर्फ वादा-खिलाफी की बल्कि राज्य के किसानों का मखौल बना दिया। पिछले साल दिसम्बर तक 44000 करोड़ के प्रस्तावित कर्ज़ माफी में से सिर्फ आठ सौ किसानों तक ही मदद पहुंचाई गई।

ये खेल राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी जारी रहा, जहां ऐसे ही वादे किए गए थे लेकिन किसानों को सिर्फ निराशा ही मिली।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम या किसी भी जन कल्याणकारी योजना को आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए चाहिए व्यापक आर्थिक संरचना और आर्थिक संसाधन जिनकी हमारे पास अभी प्रचुरता नहीं है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने एक बार कहा था”पैसे पेड़ो पर नहीं उगते”, राहुल गांधी जी वादे करने से पहले कम से कम मनमोहन जी से तो सलाह ले लेते तो शायद आप इस तरह की घोषणा नहीं करते। 

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