पिछले कुछ दिनों से एनडीटीवी के रवीश कुमार लगातार अपने दर्शकों से यह अनुरोध कर रहे हैं कि आने वाले 2 महीनों तक वे अपने टीवी से दूर रहें। उनके मुताबिक आज देश के टीवी चैनलों की कोई विश्वसनीयता नहीं रही है। उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा ”अगर आप अपनी नागरिकता को बचाना चाहते हैं,तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। चैनल आपकी नागरिकता पर हमला कर रहे हैं। लोकतंत्र में नागरिक हवा में नहीं बनते, सिर्फ किसी भौगोलिक प्रदेश में पैदा हो जाने से आप नागरिक नहीं बनते,सही सूचना और सही सवाल आपकी नागरिकता के लिए बहुत जरूरी है। इन न्यूज़ चैनलों के पास दोनों नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी पत्रकारिता के इस पतन के अभिभावक हैं, संरक्षक हैं, उनकी भक्ति ने चैनलों ने खुद का भांड बना लिया है। वे पहले ही भांड थे मगर अब वे आपका भांड बना रहे हैं, आपका भांड बन जाना लोकतंत्र के लिए खतरा साबित होगा।” अब उनकी इस बात को सच मान लिया जाए तो देश के न्यूज़ चैनलों को देखने वाला हर नागरिक अपनी नागरिकता खो देगा। रवीश की बातों से हमें इस बात पर भी कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला कि जिन न्यूज़ चैनलों की वे बात कर रहे हैं, क्या उनमे उनका खुद का चैनल भी शामिल है?
आज के युग में टीवी देश-दुनिया की हर छोटी-बड़ी खबर को लोगों तक पहुंचाने का एक बड़ा एवं महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है, ऐसे में लोगों से टीवी का बहिष्कार करने की बात कहना अपने आप में ही बड़ा हास्यास्पद लगता है। वरिष्ठ पत्रकार रवीश एक तरफ तो लोकतंत्र को बचाने की बात कहते हैं, वहीं दूसरी ओर ये भी चाहते हैं कि लोग उनके अलावा और किसी को सुने भी नहीं! क्या लोगों पर सिर्फ अपने विचार थोपना लोकतंत्र की हत्या करना नहीं? रवीश कुमार ने लोगों से अखबारों का भी बहिष्कार करने का अनुरोध किया है। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा ”आप अख़बार डिलीवर करने वाले लड़के से सीधा कह सकते हैं कि चुनाव खत्म होने तक वो आपको अख़बार ना देकर जाये”। कुल मिलाकर रवीश कुमार यह समझते हैं कि मात्र दो महीने के लिए पत्रकारिता का बहिष्कार करने से उसका स्तर बेहतर हो सकता है। हम मानते हैं कि अगर पत्रकारिता का स्तर गिर गया है तो उसमें सुधार लाने के लिए सबको प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। पत्रकारिता का बहिष्कार इसमें सुधार नहीं बल्कि और ज्यादा पतन की ओर ही ले जाने का काम करेगा। आप स्वयं सोचिए कि टीआरपी के लिए किसी भी हद तक जाने वाली मीडिया क्या ‘संभावित बहिष्कार’ के दौरान अपने स्तर को सुधारने की ज़हमत उठाएगी?
रवीश ने अपनी पोस्ट में ये भी लिखा कि यदि आप अपने बच्चों को सांप्रदायिकता से बचाना चाहते हैं तो भी आपको उन्हें न्यूज़ चैनलों से बचाना चाहिए। इस पोस्ट में उनकी सबसे रोचक बात यह रही कि उन्होंने उन राजनेताओं का ज़िक्र तक नहीं किया जो हर रोज़ अपने देशविरोधी बयानों से देश की जनता को बरगलाने का काम करते हैं। मीडिया से ज्यादा ज़हर तो आज वो नेता फैलाते हैं जो अपने दलहित को देशहित से ऊपर रख भारत-विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देने में भी नहीं कतराते! कितना अच्छा होता अगर रवीश जी उन नेताओं के लिए भी दो शब्द कह पाते!