मुलायम और शरद पवार पहले ही जनता का मूड भांप चुके हैं

मुलायम शरद पवार लोकसभा चुनाव

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक उतार-चढ़ाव मतदाताओं को प्रभावित करेगा। कई योजनाओं और वादों को लेकर टीवी पर बहसबाजी होगी। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू होगा। इस बार मजबूत राष्ट्र के साथ देश की सुरक्षा और कई मुद्दें राजनीतिक रैलियों का मुख्य मुद्दा बनेगा। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी के प्रति कुछ अनुभवी नेताओं का रुख उनके सफल शासन को परिभाषित कर रहा है।

चुनाव आयोग द्वारा आम चुनाव की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद महाराष्ट्र के पूर्व सीएम, पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और एनसीपी के नेता शरद पवार ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर पार्टी के कार्यकर्ताओं और लोगों को चौंका दिया है। कांग्रेस पार्टी में अपने कार्यकाल के बाद  जून 1999 में शरद पवार ने राजनीतिक दल ‘नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी’ की स्थापना की थी। वो कांग्रेस कल्चर’ के खिलाफ थे जिस वजह से उन्होंने स्वतंत्र रूप से अपने विचार न रख पाने और पार्टी में गांधी नीति के प्रभुत्व से तंग आकर खुद को परिवारवाद पार्टी से अलग कर लिया था। उन्होंने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और बताया कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। शरद पंवार की पार्टी चाहती है कि वो चुनाव लड़ें लेकिन फिर भी उन्होंने महाराष्ट्र के लोकसभा क्षेत्र माढा से चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। शरद पवार ने ये घोषणा तब की है जब महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात चल रही है।

शरद पवार ने दावा करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि मेरे परिवार के दो सदस्य इस बार चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए मुझे चुनाव न लड़ने का फैसला लेने का यह सही समय लगा।” कई राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार शायद माढा से संभावित हार के डर से उन्होंने ये फैसला किया है। अब शरद पवार जो भी कारण बतायें पर इस ना के पीछे कहीं न कहीं उनका डर है।

ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अनुभवी नेता मुलायम सिंह यादव ने भी कहा था। उन्होंने 16वीं लोकसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन कहा था, “प्रधानमंत्री को बधाई देना चाहता हूं कि पीएम ने सबको साथ लेकर चलने की कोशिश की है। मैं कहना चाहता हूं कि सारे सदस्य फिर से जीत आयें और आप दोबारा प्रधानमंत्री बनें।”मुलायम सिंह यादव जो सपा में बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं के समर्थन का आनंद उठाते हैं उनके इस बयान से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा था। बसपा के साथ गठबंधन को लेकर उत्साहित सपा के लिये ये शुभ संकेत नहीं थे।

मुंबई कांग्रेस पार्टी इकाई के प्रमुख संजय निरुपम के ने मुलायम सिंह यादव पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “नेताजी का भाषण सुनकर दृढ़ विश्वास हो गया कि राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र ज़रूर तय होनी चाहिए।“

वहीं, योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “मुलायम सिंह यादव जमीनी वास्तविकता को पहचानते हैं यही वजह है कि उन्होंने सच बोला हो। 16 लोकसभा के आखिरी सत्र में जो भी उन्होंने कहा वास्तव में राष्ट्र का मूड है।”

मुलायम सिंह यादव हो या शरद पवार ये भारतीय राजनीति की बारीकियों को समझते हैं और देश के मूड को भी अच्छी तरह से समझते हैं। हालांकि, शरद पवार के विपरीत मुलायम सिंह इस बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा भी कि वो बहुमत के साथ नहीं आ सकते लेकिन प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल के लिए रास्ता आसान कर सकते हैं। वास्तव में मुलायम को भी पता है कि एकजुट विपक्ष भी पीएम मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोक सकता। अगर ऐसा कर पाने में सफल भी होते हैं तो एकजुट विपक्ष अलग-अलग विचारधाराओं की वजह से बंट जायेगा। ऐसे में फिर से भारतीय जनता पार्टी साथ होगी।

शरद पवार और मुलायम सिंह यादव अनुभवी नेता हैं और उनका ये फैसला अपनी जगह सही भी है। भारतीय राजनीति के ये दो अनुभवी नेता बखूबी समझते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव पहले के चुनावों से अलग हैं। 2014 की तरह ही इस बार भी देश की जनता एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। ये बात विपक्षी दल भी अच्छी तरह से जानता है और जनता का जनादेश आने के बाद विपक्ष को जवाब भी मिल जायेगा।

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