सत्ता जाने के बाद भी गरीब जनता के लिए ऐसे फंड जुटा रहे शिवराज, अपने जन्मदिन पर की अनूठी पहल

मध्यप्रदेश शिवराज

PC: ZEE News

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आज यानी 5 मार्च को जन्मदिन है। उन्होंने एलान किया कि अबकी बार वे अपना जन्मदिन अलग तरीके से मनाएंगे। दरअसल शिवराज सिंह चौहान 13 वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे जिसके दौरान देश-विदेश से उन्हें सैकड़ों उपहार मिले। अब उन्होंने यह एलान किया है कि वे एक गैर-राजनीतिक कोष की स्थापना करने जा रहे हैं जिसके अंदर वो अपने सारे उपहारों व स्मृति चिह्नों को नीलाम करने के बाद पैसा जमा करेंगे। शिवराज के मुताबिक मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य के गरीब तथा बेसहारा तबके की पूरी सहायता करने की कोशिश की, और सत्ता से बाहर आने के बावजूद भी वे उनके लिए कुछ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रयास छोटा ज़रूर है लेकिन कल को बड़ा भी बन सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि जल्द इसके क्रियान्वन के लिए एक टीम बनेगी जो शासकीय योजना के तहत ज़रूरतमंदो को योजनाओं का लाभ दिलाएगी। अपने जन्मदिन पर शिवराज ने 5 स्मृति चिन्ह बेचकर इसकी शुरुआत भी की। उन्होंने कल एक वीडियो सन्देश देते हुए ट्विटर पर लिखा ”साथियों, कल मेरा जन्मदिन है, जिन्दगी का एक साल और कम हो गया। बचे हुए जीवन में और बेहतर कर पाऊं,इसके लिए एक नए संकल्प की शुरुआत कल से कर रहा हूं। आपका सहयोग अपेक्षित है। यह छोटा-सा प्रयास आपके सहयोग से महाप्रयास बन जायेगा। आइये, अपने गरीब भाइयों-बहनों के कल्याण के लिए कदम बढ़ाएं”

बता दें कि शिवराज सिंह चौहान का आज 60वां जन्मदिन है। इस मौके पर उन्होंने अपने घर भी एक कार्यक्रम रखा है, जिसमें दान किए जाने वाले स्मृति चिन्हों से जमा हुई राशि से कोष की स्थापना की जाएगी। शिवराज सिंह मध्यप्रदेश के एक लोकप्रिय नेता हैं और उनको मध्यप्रदेश में ‘मामा’ कहकर भी बुलाया जाता है। मुख्यमंत्री के पद को कांग्रेस के हाथों गंवाने के बाद उन्होंने अब जनता से अपना संवाद बढ़ा दिया है। 13 वर्षों तक मुख्यमंत्री की हैसियत से हेलीकॉप्टर में सफर करने वाले शिवराज आज कल मोटरसाइकिल और ट्रेन के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं|

 मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी वे अपनी बातों से अपने विरोधियों समेत सभी का दिल जीतने में कामयाब रहे थे। उन्होंने कहा था कि ”मेरा राजकीय राजनीति को छोड़कर केंद्र में जाने का कोई विचार नहीं है, मध्यप्रदेश मेरे लिए मंदिर है और यहाँ की जनता मेरे लिए भगवान के समान है| मेरे घर के दरवाज़े सभी नागरिकों के लिए खुले हैं और वे जब चाहे मुझसे बेझिझक मिलने के लिए आ सकते हैं। मैं उनकी हमेशा की तरह मदद करने की भरपूर कोशिश करूंगा।”

पिछले वर्ष दिसंबर में कांग्रेस के हाथों उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था। हालाँकि, 13 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस को उन्होंने कड़ी टक्कर दी। कांग्रेस को मध्यप्रदेश में 114 सीटें मिली जबकि भाजपा प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद 109 सीटें पाने में कामयाब रही। राज्य में बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है।

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