2014 में भाजपा के धुर विरोधी रहे नेता अब पीएम मोदी के लिए मांगेंगे वोट

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PC: HS NEWS

यह चुनाव पिछले लोकसभा चुनावों के मुकाबले कुछ खास होने वाला है, वो इसलिए क्योंकि पिछले चुनावों में एक-दूसरे को पानी पी-पीकर कोसने वाले नेता आज एक दूसरे का हाथ थामकर खड़े हैं। उदाहरण के तौर पर सपा-बसपा को ही देख लीजिये! पिछले चुनावो में दोनों पार्टिया एक दूसरे पर उत्तर प्रदेश का बेड़ा गर्क करने का आरोप लगा रही थीं। जैसे बसपा सुप्रीमो मायावती ने वर्ष 2016 में कहा था “अखिलेश की सरकार प्रदेश भर में अराजकता,अपराध एवं सांप्रदायिकता के लिए जानी जाती है, इनकी सरकार बनने की वजह से प्रदेश में गुंडों, बदमाशों, माफियाओं, भ्रष्टाचारियों, अराजक, आपराधिक व सांप्रदायिक तत्वों के मनोबल आसमान तक पहुंच चुके हैं।“ आज मायावती उसी ‘अराजक’ सरकार चलाने वाले अखिलेश के साथ गठबंधन करके यूपी की सत्ता पर काबिज़ होने का ख्वाब देख रहीं हैं।

यह तो मात्र एक उदाहरण था। उन नेताओं की सूची काफी लम्बी है जो अबकी बार अलग खेमे तथा अलग चुनाव निशान के साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। इस सूची में सबसे बड़ा नाम रीता बहुगुणा जोशी का है जो पिछली बार के लोकसभा चुनावों में मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ लड़ी थीं। राजधानी लखनऊ से वे कांग्रेस के टिकेट पर चुनाव लड़ी थी, जहां उनको  लगभग पौने तीन लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। बाद में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले वे भाजपा में शामिल हुई, विधायक बनी और आज यूपी की सरकार में मंत्री भी हैं। जाहिर है कि इस बार वे भाजपा के पक्ष में वोट मांगती नजर आएंगी।

ऐसे ही समाजवादी पार्टी के तीन बड़े नेता नरेश अग्रवाल, यशवंत सिंह और अशोक वाजपेयी भी अब की बार भाजपा के कमल को खिलाने की भरपूर कोशिश करेंगे। पिछले लोकसभा चुनावों में नरेश अग्रवाल भाजपा को हराने के लिए दिन-रात एक कर समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे, हालांकि उनके पुत्र नितिन अग्रवाल अभी भी समाजवादी पार्टी से विधायक हैं।

ऐसे ही एक और नेता स्वामी प्रसाद मौर्य हैं जो कभी मायावती के करीबियों में से एक थे। 2017 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब बसपा छोड़ी, तो वह सदन में विरोधी दल के नेता थे। बसपा सरकार में भी वह कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। लेकिन 2019 के चुनावों में वह बीजेपी के लिए वोट मांगते नजर आएंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य 2009 में कुशीनगर से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। इस चुनाव में वह भले ही हार गए थे लेकिन बीजेपी को तीसरे स्थान पर धकेलने में उनकी अहम भूमिका थी। अब उसी बीजेपी के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य वोट मांगेंगे। बसपा के एक और नेता बृजेश पाठक भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और अब भाजपा को जिताने की जद्दोजहद करते नजर आएंगे।

जिन भी नेताओं के नाम हमने आपको ऊपर बताएं हैं, वो कोई छोटे नेता नहीं हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश में उनका बड़ा जनाधार रहा है। अब भाजपा में शामिल होने के बाद बेशक बीजेपी की स्थिति पहले से मजबूत होगी। उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है जहां पिछली बार भाजपा को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी। अब बड़े नामों को अपने में मिलाकर दोबारा भाजपा 2014 को दोहराना चाहेगी।

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