अमेरिका ने पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका दिया है। अब पाकिस्तानी नागरिकों को अमेरिकी वीज़ा लेने के लिए पहले से ज्यादा कड़ी शर्तों का सामना करना पड़ेगा। दरअसल, पाकिस्तान में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए नई वीज़ा नीति की घोषणा की है।
नई नीति के मुताबिक पाकिस्तान के नागरिकों को मिलने वाले वीज़ा की अवधि को पांच साल से घटाकर 12 महीने कर दिया गया है। वहीं पाकिस्तानी मीडियाकर्मियों को मिलने वाले वीज़ा की अवधि को भी पांच साल से कम करके सिर्फ 3 महीने किया गया है। वीजा अवधि कम करने के साथ ही वीजा शुल्क को भी पहले के मुकाबले लगभग पांच हज़ार पाकिस्तानी रुपये बढ़ाया गया है। अमेरिकी दूतावास के मुताबिक पाकिस्तानी नागरिकों को यह शुल्क वीज़ा के जारी होने से पहले दूतावास के पास जमा कराना होगा। इस नए आदेश के अनुसार, वर्क वीज़ा, जर्नलिस्ट वीज़ा, ट्रांसफर वीज़ा, धार्मिक वीज़ा के लिए फीस में बढ़ोतरी हुई है जोकि 32 से 38 डॉलर तक की गई है। दूतावास के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी कानून के मुताबिक ऐसा करना आवश्यक हो गया था। दरअसल, इससे पहले पाक की तरफ से भी अमेरिकी नागरिकों को दिए जाने वाले वीज़ा की अवधि को कम किया गया था, जिसके जवाब में अब अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से भी कुछ ऐसे ही निर्देश दिए गए हैं। दूतावास से जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका ने वर्ष 2018 में ट्रेवल बैन की वजह से लगभग 37,000 पाकिस्तानियों को वीजा देने से इंकार कर दिया था।
Visa duration for Pakistani citizens has been reduced to three months from five years, reports ARY News quoting US Embassy spokesperson. pic.twitter.com/5Pq2ylghhf
— ANI (@ANI) March 6, 2019
अमेरिका में ट्रम्प सरकार आने के बाद से ही अमेरिकी प्रशासन का पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प पहले ही पाकिस्तान को मिलने वाली अरबों डॉलर की सैन्य मदद रोक चुके है। अमेरिका का कहना था कि उससे मिलने वाले पैसे से पाक आतंकियों के ख़िलाफ़ कोई सख्त कार्रवाई करने में असफल रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प व अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ कई मौकों पर यह कहते नजर आये हैं कि पाकिस्तान आतंकियो के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। भारत पर हुए पुलवामा हमले के बाद भी अमेरिका की तरफ से पाक को खरी-खरी सुनाई गई थी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान को अपने यहां मौजूद आतंक के ठिकानों को साफ करने में भारत की सहायता करनी चाहिए व किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई करने से बचना चाहिए। वहीं दूसरी ओर पाक द्वारा भारत के खिलाफ अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-16 को इस्तेमाल करने से भी पाकिस्तान-अमेरिकी संबंधो पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि हमेशा की तरह झूठ बोलने वाला पाकिस्तान अपने यहां किसी भी आतंकी ठिकाने की मौजूदगी को अस्वीकार करते आया है।
पाकिस्तान की चीन से बढ़ती नज़दीकियों को लेकर भी अमेरिका पाक से नाराज़ चल रहा है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को भी अमेरिका दक्षिण एशिया में अपने दबदबे को चुनौती के तौर पर देखता है।
अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन तालिबान को समर्थन करने को लेकर भी पाकिस्तान पर आरोप लगाता आया है। अमेरिका का मानना है कि पाक अपने द्वारा समर्थित आतंकी गुटों से अफ़ग़ानिस्तान में भी आतंकी हमले कराता है जिनमें मासूम अफगानिस्तानी नागरिकों के साथ अमेरिकी सैनिक भी मारे जाते हैं। आने वाले दिनों में अमेरिका का रूख पाकिस्तान को लेकर और ज़्यादा सख्त हो सकता है।