किसी भी पत्रकार का काम होता है प्रश्न पूछना, जांच पड़ताल करना और सच को सबके सामने लाना। अब कोई अगर अपना काम कर रहा हो तो ये कोई गुनाह तो नहीं ? लेकिन समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक पत्रकार को खरी खोटी सुना डाली वजह थी पत्रकार के कुछ सवाल।
दरअसल, वाराणसी में एक प्रेसवार्ता के दौरान अखिलेश यादव एक पत्रकार पर भड़क गए और उसे बिका हुआ पत्रकार तक कहा। पत्रकार ने केवल अखिलेश से उनके शासनकाल से जुड़े कुछ सवाल पूछे थे जिसके बाद अखिलेश यादव अपना आपा खो बैठे और पत्रकार पर बिका हुआ होने और झूठा होने तक के आरोप लगाने लगे। शालिनी यादव को सपा में शामिल करने के लिए अखिलेश यादव ने वाराणसी में एक प्रेस वार्ता आयोजित करवाई थी। इस दौरान राघवेन्द्र प्रताप सिंह नाम के एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया, ‘उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को आप संवैधानिक संस्था मानते हैं तो आपके शासनकाल में एक कातिलाना हमले के आरोपी अनिल यादव को कैसे उसका अध्यक्ष बना दिया गया, जिसको कोर्ट ने बर्खास्त किया वो कैसे अध्यक्ष बना रहा? इस सवाल को सुनते ही अखिलेश यादव भड़क गये और उस पत्रकार को काफी कुछ सुनाया।
वैसे ये कोई पहली बार नही है जब अखिलेश ने ऐसा व्यवहार किया हो। इससे पहले भी एक अग्रेंजी अखबार के आर्टिकल में आशु मालिक अखिलेश को औरंगजेब लिखा था जिसके बाद भी वो भड़क गए थे। खुद की औरंगजेब से तुलना होना अखिलेश को बिलकुल भी पसंद नही आया। इसी संबंध में जब वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने एक इंटरव्यू में उनसे सवाल किया तो उन्होंने उस पत्रकार को भी बिकाऊ बताया था और उसे खत्म करने की बात कही थी। अपने जवाब में उन्होंने कहा था, “मेरी गलती है कि मैंने दिल्ली से लखनऊ बुलाकर पत्रकार को कहा कि मुझे औरंगजेब लिखने के लिए तुम्हें जितने पैसे मिले, उससे दोगुना मुझसे ले लेते।” उन्होंने कहा, “मुझसे यही गलती हो गई मुझे भी औरंगजेब की तरह तलवार निकालनी चाहिए और उस शख्स को उसी समय खत्म कर देना चाहिए।” इस दौरान उन्होनें ये भी बताया था कि वो उस पत्रकार से मिले भी थे और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज़ कराने की धमकी भी दी थी।
वहीं एक मामले में अखिलेश का एक और चेहरा सामने आया था जब उन्होंने एक प्रेस वार्ता में एक महिला पत्रकार को समाजवादी पार्टी को सपोर्ट करने को कहा था और पार्टी के बारे में अच्छी खबर छापने के लिए कहा था। इसके बदले उन्होंने उस महिला पत्रकार को सम्मान के तौर पर पचास हज़ार रूपए देने की बात कही थी।
अखिलेश ने कहा था – ‘अगर वह अपने कार्य में अच्छी रहेंगी तो उन्हें सम्मान में पचास हज़ार रूपए महिना दिया जाएगा।‘ अखिलेश ने आगे कहा कि ‘कई पत्रकारों को यश भारती सम्मान दिया गया है वैसे ही उन्हें भी सम्मान दिया जाएगा।‘ ‘इसके लिए आपको समाजवादी पार्टी के लिए स्टोरी लिखनी पड़ेगी। अखिलेश ने आगे कहा कि ‘अगर आप समाजवादी पार्टी के पक्ष में स्टोरी लिखना शुरू करें तो ढाई साल में ही इंतेजाम हो जाएगा की अगला कोई सम्मान आपको मिले।‘
अखिलेश यादव एक तरफ अपने शासनकाल या अपनी पार्टी के खिलाफ की खबरों पर भड़क जाते हैं, उनसे जुड़े सवालों पर भडक जाते हैं दूसरी तरफ एक अन्य पत्रकार को पार्टी के समर्थन में लिखने के लिए इनाम देने की बात कहते हैं। वास्तव में अखिलेश यादव का एक पत्रकार को परखने का अंदाज ही पक्षपाती है। वैसे तो वो भाजपा की सरकार को भ्रष्ट बताते हैं और बाकी नेताओं को सहजता और शांति का ज्ञान देते नज़र आते हैं लेकिन अपनी कही बातों में उन्हें कोई त्रुटि नज़र नहीं आती। खुले आम एक पत्रकार को रिश्वत देने की बात करना कितना सही है ? अपना गुणगान करने वालों को इनाम और खिलाफ जाने वालों को तलवार से मार डालने की धमकी देना अखिलेश के दोहरे रूप को दर्शाता है।