सरकार बनी तो सामाजिक न्‍याय के लिए अमीर ‘सवर्णों’ पर लगाएंगे 2% अतरिक्त टैक्स: अखिलेश

अखिलेश यादव अप्पर कास्ट

PC: Amar uJala

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिया। इस घोषणापत्र को उन्होंने समाजिक न्याय से महापरिवर्तन, एक नई दिशा, एक नई उम्मीद बताया और सवर्णों के खिलाफ अपनी गन्दी राजनीति को भी सामने रख दिया। उन्होंने इस घोषणापत्र में कहा है कि अगर सपा सत्ता में आती है तो सवर्णों के एलीट वर्ग पर 2 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाएंगे

दरअसल, अखिलेश यादव का मानना है कि देश में अप्पर कास्ट (सवर्ण) सबसे ज्यादा अमीर हैं जबकि अन्य जाति के लोग उनकी नजर में गरीब हैं। यही नहीं अखिलेश ने अपने टैक्स वाले वादे को सही बताने के लिए कुछ तर्क भी दिए। उन्होंने कहा भी कि ‘आज अमीरी और गरीबी की खाई बेहद गहरी हुई है। इसलिए हमारा घोषणापत्र नए विजन और सामाजिक न्याय से महापरिवर्तन के वादे के साथ लोगों के बीच पहुंचेगा।’ उन्होंने आगे कहा कि आज देश में अमीर और भी अमीर हो गया है, आज देश में 10 प्रतिशत समृद्ध (जिनमें से ज्यादातर सवर्ण हैं) के पास देश की 60 प्रतिशत संपत्ति है। उन्होंने कहा, ‘आज देश की आधी आबादी के पास देश की कुल आय का 8% धन है। गरीब दिनों-दिन और गरीब हो रहा है। अगर उनकी सरकार आती है तो देश के उन 0.1 प्रतिशत अमीरों पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाएंगे जिनकी संपत्ति 2.5 करोड़ रुपये से अधिक है। इस अतिरिक्त टैक्स से सामाजिक न्याय में वृद्धि होगी।’ अखिलेश यादव की ये बातें सिर्फ अपने वोटबैंक को और मजबूत करने के लिए है ताकि यादव वोटबैंक कहीं न जाकर सिर्फ उन्हें ही वोट दे। और ये बात तब और स्पष्ट हो गयी जब उन्होंने सेना में एक अलग अहीर रेजिमेंट और गुजरात इन्फैंट्री रेजिमेंट बनाने का वादा किया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस तरह से उत्तर प्रदेश में कौन अमीर है और कौन गरीब के लिए अपने तर्क दे रहे हैं, वो ये बताएं कि क्या अन्य जातियों में अमीर लोग नहीं है ? और हैं तो उनपर ये टैक्स क्यों नहीं ? क्या समृद्ध व्यक्ति सिर्फ अप्पर कास्ट में होते हैं? यादव या अन्य जातियों में नहीं होते? अगर अमीरी की बात करें तो उत्तर प्रदेश में उन्हीं की पार्टी के सांसद और विधायक सबसे अमीर नजर आते हैं। उदाहरण के तौर पर मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव को ही ले लीजिये, जो साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जब उतरीं थीं, तब लखनऊ की सबसे अमीर उम्मीदवार थीं जिनके पास उस वक्त 22.95 करोड़ की संपत्ति थी जो आज पहले की तुलना में और बढ़ गयी होगी। वहीं इस बार लोकसभा चुनाव में इस बार अखिलेश यादव की पत्नी भी कन्नौज से मैदान में हैं। उनकी संपत्ति की बात करें तो ये महज दो साल में 3 गुना से भी ज्यादा बढ़ गयी। डिंपल यादव ने 2012 के लोकसभा उपचुनाव में कन्नौज से निर्विरोध जीतीं थीं तब आयोग के पास सबमिट किये गये एफिडेविट में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 9 करोड़ रुपए घोषित की थी। वहीं, साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान सबमिट किए एफिडेविट में डिंपल यादव ने अपनी संपत्ति 28 करोड़ रुपये बताई थी। इसका मतलब ये है कि सिर्फ दो साल में उनकी संपत्ति 3 गुना से भी ज्यादा बढ़ गयी। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को ही ले लीजिये जो आय से अधिक संपत्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। और तो और जब देश की सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टियों की बात करें तो देश के क्षेत्रीय दलों के वर्ष 2016-17 के आय-व्यय को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार 82.76 करोड़ रुपये की आय के साथ सपा देश की सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टी है।

ऐसे में अखिलेश यादव का ये कहना कि सिर्फ अप्पर कास्ट ही समृद्ध हैं कितना सही है? पार्टी के सदस्य तो बाद में आते हैं उनके परिवार के सदस्यों को ही देख लें जिनके पास करोड़ों की संपत्ति है लेकिन फिर भी अखिलेश के लिए सिर्फ अप्पर कास्ट ही समृद्ध हैं। टैक्स देने की बात करने वाले अखिलेश यादव खुद ईमानदारी से अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं देते, सरकारी बंगले को खाली करना नहीं चाहते थे,  सिर्फ अपना हित देखते हैं। फिर भी शर्मनाक तरीके से देश में अमीर सवर्ण पर और 2 % टैक्स लगाने की घोषणा कर रहे हैं।

यही नहीं उनकी सहयोगी पार्टी बसपा सुप्रीमों मायावती की संपत्ति भी कुछ कम नहीं है। इसबार चुनाव भी शायद इसलिए लड़ने के लिए मना किया कि उन्हें अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना पड़ेगा। मायावती ने आखिरी बार चुनाव उत्तर प्रदेश विधान परिषद का चुनाव लड़ा था उस समय उन्होंने संपत्ति के ब्यौरा में बताया था कि उनके पास कुल संपत्ति 87 करोड़ 27 लाख 42 हज़ार रुपए थी। वहीं मायावती तो पार्टी का टिकट देने के लिए भारी रकम वसूलती हैं। यही नहीं मायावती पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप भी हैं। मायावती के भाई आनंद कुमार पर भी आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप है। उत्तर प्रदेश में सिर्फ सवर्ण ही नहीं बल्कि अन्य जातियों के लोग भी समृद्ध हैं लेकिन फिर भी सिर्फ अप्पर कास्ट एलीट वर्ग पर ही 2 % का अतिरिक्त टैक्स क्यों? क्या ये प्रदेश की जनता के साथ भेदभाव के रुख को व्यक्त नहीं कर रहा?

वास्तव में अखिलेश यादव को सिर्फ वोट बैंक नजर आ रहा है। प्रदेश की जनता का पैसा खाकर अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के लिए खूब धन बंटोरा था। अपने शासनकाल में अखिलेश यादव ने उपेक्षा भरी राजनीति की और यादव जाति के लोगों को राजनीतिक संरक्षण तक दिया जा रहा था। सपा की पूर्व सरकार के ‘यादवीकरण’ ने पूरे प्रदेश के कई अहम पदों पर ही ही नहीं बल्कि सरकारी परीक्षाओं में भी सामने आई थी। इस बार भी वो प्रदेश में कुछ ऐसा ही करने की घोषणा कर हैं। कभी मायावती और खुद उनका परिवार इतना समृद्ध नहीं था अगर वो यही बता देते कैसे अमीर बन गये या वो ईमानदारी से अपना टैक्स ही जमा करते तो शायद देश के अन्य गरीबों की गरीबी भी दूर हो जाती। वैसे सच तो ये भी है कि जो अतरिक्त टैक्स अप्पर कास्ट एलीट से आप वसूलने की बात कर रहे हैं उसका भी सीधा फायदा आपकी पार्टी और आपके नेता ही लेंगे उसके बाद भी प्रदेश की जनता को सिर्फ गरीबी मिलेगी। कुल मिलाकर हकीकत तो ये है वो अपने घोषणापत्र के जरिये भी अपने शासनकाल में की गयी उपेक्षा भरी राजनीति को फिर से दोहराने का वादा कर रहे हैं।

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