लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए सभी पार्टियां अलग अलग दांव आज़मा रही हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने तो प्रचार की परिभाषा ही बदल दी। ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी ‘तृणमूल कांग्रेस’ के प्रचार के लिए नयी रणनीति अपनाई। दरअसल, ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के प्रचार के लिए ‘बांग्लादेश’ से फिल्म एकटर ‘फिरदौस अहमद’ को बुलाया था, लेकिन अब यह खबर सामने आई हैं कि गृह मंत्रालय द्वारा फिरदौस अहमद का वीजा रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें भारत छोड़ने का नोटिस भी जारी किया गया है। गृह मंत्रालय ने यह फैसला आव्रजन ब्यूरो से फिरदौस द्वारा वीजा उल्लंघन की रिपोर्ट मिलने के बाद लिया है। गृह मंत्रालय ने अहमद फिरदौस का व्यावसायिक वीजा रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अहमद फिरदौस को ब्लैक लिस्ट भी कर दिया गया है।
फिरदौस के साथ ही ममता ने टॉलीवुड एक्ट्रेस पायल सरकार और अंकुश को भी पार्टी के प्रचार के लिए बुलाया था। फिरदौस से रोड शो करा कर टीएमसी दिनाजपुर के 50 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करना चाहती थी। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाता आम चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या करीब 2.47 करोड़ है, जो कुल आबादी का 27.5 प्रतिशत है। जिसके लिए तृणमूल कांग्रेस वोट बंटोरने के लिए सभी दांव चल रही है
गृह मंत्रालय के फैसले के बाद भाजपा ने भी ममता पर अपना रोष व्यक्त किया। भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि “कोई भारतीय पार्टी कैसे एक विदेशी नागरिकता वाले शख्स को अपने राजनीतिक रोड शो के लिए बुला सकती है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं सुना गया। ममता बनर्जी कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को टीएमसी का प्रचार करने के लिए बुला लेंगी। भारतीय लोकतंत्र के महापर्व में हम एक बांग्लादेशी फिल्म स्टार का शामिल होने की हम निंदा करते है।“
ऐसा लगता है कि ममता को देश कि जनता से ज्यादा बांग्लादेश के एक्टर पर भरोसा है। तुष्टीकरण की राजनीति करने में एक्सपर्ट ममता बनर्जी इन चुनावों में भाजपा से इतना घबरा गई हैं कि अब उन्हें बांग्लादेशी कलाकारों का सहारा लेना पड़ रहा है। चुनाव में पार्टियां प्रचार-प्रसार के लिए अक्सर ही बॉलीवुड का सहारा लेते दिख जाती हैं। इतना ही नहीं, राजनीतिक पार्टियों का बॉलीवुड कलाकारों को पार्टी से टिकट देना भी कोई नयी बात नहीं है, लेकिन ममता ने तो इन सबको पीछे छोड़ते हुए प्रचार का एक अलग ही लेवेल सेट कर दिया। उन्होनें तो टीएमसी के चुनाव प्रचार के लिए दूसरे देश से कलाकारों को बुला लिया। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ करने लिए टीएमसी अब विदेशी ग्लैमर का सहारा लेने से भी गुरेज़ नहीं कर रही है। इससे पहले भी ममता दीदी पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए कई ऐसे दांव चल चुकी है। उनकी दुर्गा पूजा को लेकर हिंदुओं के प्रति नफरत भी हम साफ देख चुके हैं। ममता बनर्जी का अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को पश्चिम बंगाल में बसाने के पीछे का मकसद भी उनकी तुष्टीकरण की राजनीति ही है। लेकिन इस बात का तो ममता को भी पता है कि कोई बांग्लादेशी कलाकार नहीं, बल्कि यह देश की जनता तय करेगी कि राज्य की सत्ता पर कौन काबिज होगा।