कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने चुनावी घोषणापत्र को जारी कर देश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी हैं। भाजपा ने अपने घोषणापत्र को देशहित को ध्यान में रखकर बनाया गया ‘संकल्प पत्र’ बताया है तो कांग्रेस ने भी अपने घोषणापत्र को देश-कल्याणकारी बताया है। दोनों पार्टियां जहां अपने घोषणापत्र की प्रशंसा करते नहीं थक रही हैं तो वहीं विपक्षी पार्टियों के घोषणापत्र में खामिया निकालने में भी पीछे नहीं हट रही हैं। ऐसे में हमने सिलसिले-वार तरीके से दोनों पार्टियों के घोषणापत्रों का एक तुलनात्मक अध्यन्न आपके समक्ष पेश करने की कोशिश की है।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में यह साफ किया था कि वह अंतर्राष्ट्रीय संधि अथवा संगठनों के माध्यम से भारत में रह रहे अप्रवासियों को शरण देने का काम करेगी, वहीं भाजपा ने अवैध आप्रवासन को देश की संस्कृति के लिए खतरा बताया है और घुसपैठियों को रोकने के लिए भी अहम कदम उठाने की बात कही है। इस तरह जहां एक ओर भाजपा देश की सुरक्षा को ध्यान में रख रही हैं तो दूसरी और कांग्रेस का यह वादा देश की सुरक्षा को ही खतरे में डालता नजर आ रहा है।
भाजपा और कांग्रेस ने देश के किसानों के लिए भी अलग अलग योजनाएँ सामने रखी हैं। कांग्रेस ने जहां किसानों को कर्ज़ लेने के बाद आने वाली मुश्किलों को आसान करने की बात कही है, तो वहीं भाजपा ने इस बात को सुनिश्चित करने का वायदा किया है कि किसान को कर्ज लेना ही ना पड़े। भाजपा ने किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के खाते में सीधे 6000 रुपये सालाना भेजने की बात कही है, तो वहीं कांग्रेस ने यह ऐलान किया है कि यदि वह सत्ता में आती है तो कर्ज़ न चुकाने की स्थिति में किसानों के ऊपर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। इसके अलावा भाजपा ने 1 से 5 वर्ष के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपये तक के नए अल्पावधि कृषि ऋण मूल राशि के समय पर भुगतान की शर्त प्रदान करने की बात कही है । वहीं भाजपा ने देश में सभी छोटे और सीमांत किसानों के लिए पेंशन योजना आरंभ करने की भी बात कही है जिससे की 60 वर्ष आयु के बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। दोनों पार्टियों द्वारा किसानों के लिए की गई घोषणाओं की तुलना करने पर स्पष्ट है कि, एक ओर जहां बीजेपी किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं वहीं कांग्रेस सिर्फ किसानों को फौरी तोर पर ही फायदा पहुंचाने के वादे करते दिख रही है।
दोनों पार्टियों ने देश के शिक्षा तंत्र के संबंध में भी बहुत बड़ी घोषणाएँ की हैं। कांग्रेस ने जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा क्षेत्र पर खर्च करने का वादा किया है तो वहीं भाजपा ने सभी शैक्षणिक संस्थानो में सीटें बढ़ाने का वादा किया है। इसके अलावा भाजपा ने गरीबों के कल्याण के लिए सभी लोगों तक बेहतर स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का भी वादा किया है। जबकि कांग्रेस ने गरीबों के कल्याण के लिए अपनी न्याय योजना का उल्लेख किया है जिसमें उसने देश के सबसे गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को हर साल 72 हज़ार रूपये देने का ऐलान किया है।
भाजपा के इस पूरे घोषणापत्र में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र भाजपा का कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को हटाने का वादा रहा है। भाजपा ने यह साफ किया है कि अगर भाजपा की सरकार सत्ता में आती है तो वह इन दोनों विवादित अनुच्छेदों को हटाने का काम करेगी। आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले जारी हुए कांग्रेस के घोषणापत्र में बिल्कुल इसके उलट बातें कही गयी थी। भाजपा ने जहां अनुच्छेद 370 के विरोध में जाने की बात कही है, तो वहीं कांग्रेस ने इसे ना हटाने की बात कही थी। इसमें भी एक तरफ जहां बीजेपी जनता की आवाज को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय एकता के पक्ष में निर्णय ले रही है तो वहीं कांग्रेस पुरानी गलतियों को ही बार-बार दोहराना चाहती है।
कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में यह कहा था कि वह अफस्पा कानून में बदलाव कर देश की सेना को मिलने वाले अधिकारों को सीमित करने का काम करेगी। इसके जरिये कांग्रेस ने सेना को कमजोर करने की तरफ इशारा किया था। इसको लेकर पूरे देश में घमासान मचा था लेकिन भाजपा ने इसके उलट सेना के लिए हथियारों की खरीददारी तेज करने का वादा कर सेना को और ज़्यादा मजबूत करने की बात कही है।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राजद्रोह के कानून को हटाने संबंधित भी कुछ आपत्तिजनक बातें कही थीं जो किसी के गले नहीं उतरीं। कांग्रेस ने यह वादा किया था कि वह राजद्रोह के कानून को हटाने का काम करेगी क्योंकि अब वह किसी काम का नहीं है। आपको बता दें कि राजद्रोह के कानून के तहत देशविरोधी सोच रखने वाले लोगों पर शिकंजा कसने में सरकार सक्षम होती है। पत्थरबाज़ों से निपटना हो या जेएनयू के देशविरोधी छात्रों पर नकेल कसना हो, भारतीय सरकार इसी कानून के तहत इनपर काबू पाने की कोशिश करती आई है। कांग्रेस ने इस कानून को गैर-जरूरी बताकर अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के चुनावी घोषणापत्रों में जमीन-आसमान का फर्क है। ऐसे में अब देश की जनता ही यह तय करेगी कि किस पार्टी का घोषणापत्र देश की जरूरतों को पूरा करने वाला है और कौन-सी पार्टी देश की सत्ता पर काबिज होंने के लायक है।