भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपना घोषणापत्र ‘संकल्प पत्र’ के नाम से जारी कर दिया है। इस घोषणापत्र में भाजपा ने देश की सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर अपने विचार रखने का काम किया है। इसमें भाजपा ने आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को दोहराया है। वहीं देश के सैनिकों के कल्याण के लिए भी भाजपा ने उचित कदम उठाने की बात कही है। एक तरफ इस घोषणापत्र में देश के पुलिस बलों को आधुनिक बनाने की बात कही गई है, तो वहीं देश में घुसपैठ को रोकने के लिए देश के बॉर्डर पर आधुनिक फेंसिंग करने की भी चर्चा की गई है।
सेना को और ज़्यादा मजबूत करने के लिए बीजेपी ने हथियारों की खरीददारी को तेज करने का वादा किया है। भाजपा ने इस घोषणापत्र में लिखा है कि वह रक्षा से जुड़े बाकी हथियारों और उपकरणों की खरीददारी को तेज करने का काम करेंगे’। भाजपा ने यह वादा किया है कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में ही हथियार निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा। घुसपैठियों को रोकने के लिए भाजपा ने देश की सीमाओं की सुरक्षा को सुदृढ़ करने का वादा भी किया है, वहीं देश के पूर्वोत्तर राज्यों में ‘अवैध आप्रवासन’ को रोकने के लिए भी भाजपा ने सभी प्रभावी प्रयत्नों को करने का वादा किया है।
सबसे बड़ी बात यह कि बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में ‘वामपंथी उग्रवाद’ को खत्म करने का संकल्प लिया है। घोषणापत्र में भाजपा ने कहा है कि पिछले 5 सालों में मोदी सरकार ने नक्सलवाद की कमर तोड़ने का काम करके नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों पर ध्यान दिया है।
भाजपा के इस पूरे घोषणापत्र में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र भाजपा का कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं अनुच्छेद 35 ए को हटाने का वादा रहा है। भाजपा ने यह साफ किया है कि अगर भाजपा की सरकार सत्ता में आती है तो वह इन दोनों विवादित अनुच्छेदों को हटाने का काम करेगी। आपको बता दें कि, कुछ दिनों पहले जारी हुए कांग्रेस के घोषणापत्र में बिल्कुल इसके उलट बातें कही गयी थी। भाजपा ने जहां अनुच्छेद 370 के विरोध में जाने की बात कही है, तो वहीं कांग्रेस ने इसे ना हटाने की बात कही थी।
इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर अगर दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के घोषणापत्र का एक तुलनात्मक अध्यन्न किया जाए, तो हमें यह साफ देखने को मिलता है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर बीजेपी ने अपना रुख लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर बनाया है, जबकि कांग्रेस ने मात्र तुष्टिकरण की राजनीति को केंद्र में रखकर अपना घोषणापत्र तैयार किया है। अनुच्छेद 370 के अलावा कांग्रेस का देश की सेना को लेकर भी दुर्भाग्यपूर्ण रुख रहा है। कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में यह कहा था कि वह अफस्पा कानून में बदलाव कर देश की सेना को मिलने वाले अधिकारों को सीमित करने का काम करेगी। इसके जरिये कांग्रेस ने सेना को कमजोर करने की तरफ इशारा किया था। इसको लेकर पूरे देश में घमासान मचा था लेकिन भाजपा ने इसके उलट सेना के लिए हथियारों की खरीददारी तेज करने का वादा कर सेना को और ज़्यादा मजबूत करने की बात कही है।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राजद्रोह के कानून को हटाने संबंधित भी कुछ आपत्तिजनक बातें कही थीं जो किसी के गले नहीं उतरीं। कांग्रेस ने यह वादा किया था कि वह राजद्रोह के कानून को हटाने का काम करेगी क्योंकि अब वह किसी काम का नहीं है। आपको बता दें कि राजद्रोह के कानून के तहत देशविरोधी सोच रखने वाले लोगों पर शिकंजा कसने में सरकार सक्षम होती है। पत्थरबाज़ों से निपटना हो या जेएनयू के देशविरोधी छात्रों पर नकेल कसना हो, भारतीय सरकार इसी कानून के तहत इनपर काबू पाने की कोशिश करती आई है। कांग्रेस ने इस कानून को गैर-जरूरी बताकर अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के चुनावी घोषणापत्रों में जमीन-आसमान का फर्क है। ऐसे में अब देश की जनता ही यह तय करेगी कि किस पार्टी का घोषणापत्र देश की जरूरतों को पूरा करने वाला है और कौन-सी पार्टी देश की सत्ता पर काबिज होंने के लायक है।