दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में चुनावी पर्व आने वाला है, सभी राजनीतिक दल जी-तोड़ मेहनत लगाकर वोटर्स को लुभाने में लगे हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों से जुड़ा एक दिलचस्प चुनावी समीकरण सामने आया है। दरअसल, राजनीतिक दृष्टि से देश के सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश की दो सीटें भाजपा के लिए अति-भाग्यशाली साबित हुई हैं। प्रयागराज (इलाहबाद) एवं रॉबर्ट्सगंज के वोटर्स ने यह साबित किया है कि वे चुनावी मौसम को भांपने में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं, क्योंकि जब जब यहां के वोटर्स ने लोकसभा चुनावों में भाजपा के प्रत्याशियों को चुना है, तब तब भारतीय जनता पार्टी केंद्र में अपनी सरकार बनाने में सफल हुई है। यानि अब तक के चुनावी समीकरणों के आधार पर यदि हम बात करें तो अगर इन दो सीटों के मतदाता दोबारा भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों पर अपना विश्वास जताते हैं तो भाजपा केंद्र की सत्ता पर काबिज होने में एक बार फिर सफल हो सकती है।
हम इन दोनों सीटों की चर्चा यूं ही नहीं कर रहे। इन दोनों सीटों की चर्चा के पीछे भी यहां का अब तक का जीत का आंकड़ा है। इन आंकड़ों पर एक नजर डाल लेते हैं।
वर्ष 1996, वर्ष 1998 और वर्ष 1999 के लोकसभा चुनावों में इन दोनों सीटों से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते, और केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। हालांकि, वर्ष 1996 एवं वर्ष 1998 में बनी सरकारें ज्यादा समय तक नहीं चल पाई लेकिन वर्ष 1999 में एनडीए की मदद से अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बनने में सफल हुए और पूरे 5 साल तक अपनी सरकार चलाई। उसके बाद वर्ष 2004 एवं वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में इन दोनों सीटों से भाजपा हारी और केंद्र में भी भाजपा सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाई। इसके बाद वर्ष 2014 में मोदी लहर ने उत्तर प्रदेश की 71 सीटों से विपक्ष के परचम को उखाड़ फेंकने का काम किया था, जिसमें भाजपा को प्रयागराज एवं रॉबर्ट्सगंज पर तो जीत मिली ही थी, इसके अलावा केंद्र में भी भाजपा अकेले अपने दम पर सरकार बनाने में सफल हुई थी।
इलाहबाद सीट की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी इस सीट से 3 बार सांसद बन चुके हैं। 1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी ने चुनाव जीता तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। 1998 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से क्षेत्र की जनता ने बीजेपी का साथ दिया और मुरली मनोहर जोशी को जिताकर संसद में भेजा तब वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मुरली मनोहर जोशी को एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा और इस बार भी उन्हें जीत मिली। केंद्र में वाजपेयी जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी और पूरे पांच साल चली। लेकिन वर्ष 2004 के चुनावों में यहां से जोशी हर गए और वर्ष 2009 में भाजपा के उम्मीदवार अशोक कुमार वाजपेयी को हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2014 में भाजपा के श्यामचरण गुप्ता को यहां से जीत मिली और केंद्र में भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब हुई।
रॉबर्ट्सगंज सीट की बात करें तो यहां भी वर्ष 1996, 1998 अथवा 1999 में भाजपा को जीत मिली थी। इन तीनों सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार राम शकल अपने विरोधियों को मात देने में सफल हुए थे। लेकिन वर्ष 2004 और वर्ष 2009 में यहां से भाजपा को जीत नहीं मिल पाई थी। वर्ष 2014 में भाजपा के छोटेलाल यहां से विजयी हुए थे।
आगामी लोकसभा चुनावों की बात करें तो इस बार प्रयागराज से भाजपा की नेता एवं योगी सरकार में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी चुनावी मैदान में हैं। वे यूपी के पूर्व सीएम हेमवती नंदी बहुगुणा की बेटी हैं और वर्ष 2007 से वर्ष 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की और 2017 के चुनावों में वे लखनऊ कैंट से विधायक बनी। उत्तर प्रदेश के साथ काफी दशकों से जुड़े होने की वजह से राज्य में उनका बड़ा जनाधार माना जाता है। इस बार उनका प्रयागराज सीट से सांसद बनना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं अगर हम रॉबर्ट्सगंज सीट की बात करें तो यह पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पास पड़ता है, और पीएम मोदी की छवि का इस्तेमाल कर यहां से भाजपा के भावी उम्मीदवार अपनी जीत को सुनिश्चित कर सकते हैं। लेकिन यह जानना दिलचस्प होगा कि इन दोनों सीटों के चुनावी समीकरण एक बार फिर सिद्ध हो पाते हैं या नहीं।