चुनावों से पहले ही चंद्रशेखर आजाद के सिर अपनी हार का ठीकरा फोड़ रही मायावती

चंद्रशेखर आजाद मायावती

PC : Lokmat news

बसपा प्रमुख मायावती ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण के वाराणसी से चुनाव लड़ने को भाजपा की साजिश बताया है। उन्होंने ट्वीट कर यह बताया कि भाजपा ने जासूसी करने के लिए चंद्रशेखर आजाद को बसपा में शामिल होने के लिए कहा था लेकिन उसकी यह चाल कामयाब नहीं हो पाई। लेकिन यहां हास्यास्पद बात यह है कि पिछले वर्ष सितम्बर में जेल से छूटने के बाद रावण ने एक तरफ जहां भाजपा पर खुलकर हमला बोला था तो वहीं बसपा को ‘अपनी पार्टी’ कहा था। ऐसे में मायावती द्वारा चंद्रशेखर रावण को भाजपा का एजेंट बताना भाजपा से उनके डर को दर्शाता है।

मायावती ने आजाद रावण को लेकर दो ट्वीट किये। पहले ट्वीट में उन्होंने भाजपा पर साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया ”दलितों का वोट बांटकर बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए ही बीजेपी भीम आर्मी के चन्द्रशेखर को वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़वा रही है। यह संगठन बीजेपी ने ही षडयंत्र के तहत बनवाया है और इसकी आड़ में भी अपनी दलित-विरोधी मानसिकता वाली घिनौनी राजनीति कर रही है।”

इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने भीम आर्मी चीफ को ‘गुप्तचर’ तक कह डाला। उन्होंने लिखा ”बीजेपी ने गुप्तचरी करनेे के लिये पहले चन्द्रशेखर को बी.एस.पी. में भेजने का प्रयास किया लेकिन उनका यह षडयंत्र विफल रहा। अहंकारी, निरंकुश व घोर जातिवादी व साम्प्रदायिक बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिये आपका एक-एक वोट बहुत कीमती है। इसे किसी भी हाल में बर्बाद नहीं होने दे : अपील।”

आपको बता दें कि रावण को मई 2017 में सहारनपुर में जातीय दंगा फैलाने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासूका) के तहत जेल भेजा गया था। पिछले वर्ष सितंबर में वह रिहा हुआ था। जेल से छूटते ही उन्होंने मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही थी, वहीं बसपा प्रमुख मायावती को अपनी बुआ समान बताया था। उन्होंने भाजपा पर संविधान निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर का अपमान करने का भी आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर उत्तर प्रदेश में कोई महागठबंधन बनता है तो वे उसके लिए प्रचार करेंगे।

इसके अलावा पिछले महीने उन्होंने कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय सचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की थी। प्रियंका गांधी अस्पताल में उनसे मिलने गई थी जिसके बाद मायावती ने कांग्रेस के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था। उसके बाद चंद्रशेखर आजाद ने यह एलान किया था कि वे वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। इन तथ्यों से यह साफ होता है कि भाजपा के साथ उनका शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इतना ही नहीं, बसपा के साथ उनकी नजदीकियां पहले ही सबके सामने है। वे एक तरफ तो मायावती को अपनी बुआ समान बता चुके हैं तो वही बसपा को अपनी पार्टी कह चुके हैं।

दरअसल, आगामी चुनावों में अपनी हार को लेकर उन्होने पहले से ही बहाने बनाने शुरू कर दिए हैं। वाराणसी से पीएम मोदी का चुनाव जीतना तय है और वहां गठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं जीत सकता। ऐसे में बसपा सुप्रीमो ने पहले ही हार के कारण खोजने शुरू कर दिए हैं। वे अपनी बन्दूक आजाद रावण के कंधे पर  रखकर चलाने का काम कर रही हैं। हालांकि इसको लेकर अब तक रावण की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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