पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के क्रियाकलाप बता रहे हैं कि वह 2024 की तैयारी में लगी है

सेल्फ गोल साबित

कांग्रेस घोषणा पत्र

लोकसभा चुनाव नजदीक है और इसके मद्देनजर देश के तमाम राजनीतिक दल वोटर्स को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले चुनावों में मुंह के बल गिरकर 44 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी अबकी बार प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। इसको लेकर कांग्रेस अपना घोषणापत्र भी जारी कर चुकी है जो कि जारी होने के मात्र कुछ घंटों के अंदर ही विवादों से घिर गया क्योंकि इसमें अफस्पा और अनुच्छेद 370 को लेकर कुछ विवादास्पद बातें लिखी हुई थीं, जिससे कि यह साफ हो गया कि कांग्रेस इन चुनावों में ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। इस चुनावी मौसम में कांग्रेस ने कई बार खुद ही सेल्फ गोल मार लिया जिसने यह लगभग तय कर दिया है कि चुनाव से पहले ही कांग्रेस अपनी हार का पूरा बंदोबस्त कर चुकी है।

अफस्पा को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में जिन बातों का ज़िक्र किया है, वह वाकई सभी को निराश करने वाली है। अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह वादा किया है कि उनकी सरकार “अफस्पा” यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर कानून में बदलाव करेगी ताकि सेना को मिलने वाली छूटों में कमी की जा सके। घोषणापत्र में लिखा है ”हम अफस्पा कानून, 1958 में बदलाव लाएंगे ताकि लोगों के मानवाधिकारों एवं सेना की शक्तियों में एक संतुलन बनाया जा सके। हम ऐसा इसलिए करेंगे ताकि यौन उत्पीड़न, जबरन लापता एवं शारीरिक उत्पीड़न जैसी घटनाओं को कम किया जा सके।” अपने इस ऐलान से कांग्रेस ने यह दर्शाने की कोशिश की है कि कश्मीर जैसे राज्यों में सेना अफस्पा का गलत इस्तेमाल कर वहां के लोगों के खिलाफ अत्याचार करती है। आपको बता दें की अफस्पा के तहत देश के सेना को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं ताकि बिगड़े हालातों में सेना अपने स्तर पर कार्रवाई कर जल्द से जल्द हालातों को काबू में कर सके। लेकिन ऐसे संवेदनशील कानूनों के साथ छेड़छाड़ कर क्या कांग्रेस देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का काम नहीं करेगी? 

पिछले महीने ही देश ने मिशन शक्ति का सफलतापूर्वक परिक्षण किया था। देश की इतनी बड़ी उपलब्धि पर भी राजनीतिक व्यंग करके राहुल गांधी ने डीआरडीओ के उन कर्मठ वैज्ञानिकों का अपमान किया था जिन्होंने दिन रात कड़ी मेहनत से भारत को इस अंजाम तक पहुंचाया। देश की सुरक्षा जैसे तमाम संवेदनशील मुद्दों पर राहुल गांधी की शर्मनाक बचकाना राजनीति ही हमें देखने को मिलती है। चाहे एक तरफ उनके द्वारा डोकलाम विवाद के समय चीन के राजदूत के साथ छुप-छुपकर मिलना हो, महत्वपूर्ण रफाल डील पर फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ कथित मुलाक़ात की बात हो, या फिर अब मिशन शक्ति पर बेहूदा ट्वीट, हर बार हमें उनका राजनीतिक बचपना ही देखने को मिलता है। हालांकि, इस ट्वीट को करने से पहले वे यह भूल गए कि वर्ष 2012 में कांग्रेस सरकार ने ही देश के वैज्ञानिकों को एंटी-सैटेलाइट हथियार बनाने से रोका था और इसका खुलासा स्वयं उस वक्त के डीआरडीओ प्रमुथ वीके सारस्वत ने किया था।

कांग्रेस पार्टी की हालत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपनी परंपरागत सीट अमेठी के अलावा पहली बार दक्षिण भारत कि वायनाड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। माना जा रहा की इस बार अमेठी में भाजपा की पकड़ बेहद मज़बूत है एवं राहुल को ईरानी द्वारा शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2009 में लगभग पौने चार लाख वोटों के फासले से एकतरफा जीत हासिल करने वाले राहुल गांधी वर्ष 2014 में ईरानी से मात्र एक लाख वोटों से जीत पाए थे। 2014 के पांच सालों को देखें तो ईरानी लगातार अमेठी के दौरे कर वहां के लोगों का दिल जीतती रही है। कांग्रेस को डर है कि, 2009-14 के बीच करीब 3 लाख वोट कम हुए थे और अब यदि इस बार 3 लाख और कम हो गए तो इस सीट से राहुल चुनाव हार जाएंगे।

कल जारी किए अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह लिखा है कि ‘कांग्रेस अन्तर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों के अनुरूप नागरिक शरण कानून पारित करने का वायदा करती है’। आपको बता दें कि इस कानून को पारित करने के बाद भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों अथवा बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत की नागरिकता मिलना बड़ा आसान हो जाएगा। भारत की सुरक्षा एजेंसी जैसे एनआईए इन घुसपैठियों को देश की सुरक्षा के लिए घातक बता चुकी है। ऐसे में क्या इनके प्रति सहानुभूति रखकर कांग्रेस देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का काम नहीं करेगी?

इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर यही कहा जा सकता है कि पहले से आईसीयू में पड़ी कांग्रेस के लिए यह चुनावी राह आसान नहीं होने वाली। इन तमाम मुद्दों पर लोगों की भावनाओं के उलट जाकर कांग्रेस ने अपने ही वोटबैंक को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। यह कांग्रेस के लिए किसी सुसाइड अटैंप्ट से कम नहीं है।

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