कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति करने का एक पुराना इतिहास रहा है। अब फिर से कांग्रेस नेताओं का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें कांग्रेस के कुछ नेता दिल्ली में बढ़ी मुस्लिमों की आबादी को अपने वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल करके दिल्ली की चांदनी चौंक और उत्तर दिल्ली सीट से मुस्लिम उम्मीदवार उतारने का अनुरोध करते नज़र आ रहे हैं। इसी के साथ इन नेताओं का एक पत्र भी सामने आया है जिसमें ये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उन दो सीटों में से किसी एक पर मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा करने की बात कही है।
Wanna make your ears bleed? Here's the video of they discussing Muslim voters.
"Delhi Mein Muslim vote kitne?"
"20 Lakh"
"20 lakh kam nahi. Ek seat toh waise he ho gayi"
"Pehle Outer Delhi mein Muslim nahi tha. Ab jaake dekho, Beshumaar Muslim kaha kaha se aake bass rhe hain" pic.twitter.com/1b8iNmQSyG
— Saahil Murli Menghani (@saahilmenghani) April 14, 2019
वीडियो में दिखाई दे रहे पांच नेता शोएब इकबाल, मतीन अहमद, हारून यूसुफ, हसन अहमद, आसिफ मोहम्मद खान हैं। ये नेता दिल्ली से पांच बार एमएलए रह चुके हैं। इनका मानना है कि अब उन्हें दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीट से टिकट दे देना चाहिए। वीडियो में कांग्रेस के ये नेता टिकट वितरण को लेकर आपस में चर्चा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। एक नेता कह रहे हैं ‘दिल्ली में मुस्लिम वोट मेरे ख्याल से 18 से 20 परसेंट तक होंगी, ये कोई कम थोड़ी ना है, 1 सीट तो वैसे ही पक्की हो गयी, पहले दिल्ली में इतना मुसलमान नहीं था, लेकिन अब एक भी ऐसी सीट नहीं हैं जहां मुस्लिम वोट नहीं है।’ आगे ये नेता कह रहे हैं कि इस बात का पता ही नहीं लग रहा है, कि दिल्ली में बेशुमार मुसलमान कहां से आ रहा है।
इन्हीं नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को एक पत्र भी लिखा है जिसमें उन्होंने अपने आप को एक ‘अनुभवी नेता’ बताया है। उन्होंने लिखा है कि वे बार-बार अपनी सीट से जीतते आए हैं जिससे कि उन्होंने अपने अच्छे रिपोर्ट कार्ड को प्रस्तुत किया है। अपने इस बयान के बाद उन्होंने एक तरफ जहां अपनी तुष्टीकरण की राजनीति का उदाहरण पेश किया है, वहीं दूसरी तरफ इन नेताओं ने अपनी टिकट को पक्का करने के लिये सांप्रदायिक कार्ड भी चला है। आपको बता दें कि दिल्ली में अब तक सिर्फ आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। कांग्रेस और भाजपा ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर नहीं लगाई है। माना जा रहा है कि पार्टी हाइकमान पर दबाव बनाने के लिए इन नेताओं ने अपना यह पत्र जारी किया है, लेकिन इसके चक्कर में उन्होंने खुद को ही एक्सपोज कर लिया है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने दिल्ली के मुसलमानों पर तुष्टीकरण कि राजनीति करने के लिए ऐसे बयान दिये हों। इससे पहले खुद यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी दिल्ली के शाही इमाम से मिलकर भाजपा को वोट ना देने की अपील कर चुकी हैं । इन चुनावों में दिल्ली कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति बनी हुई है क्योंकि पार्टी का दिल्ली में ना तो कोई एमएलए है और ना ही कोई लोकसभा सदस्य। ऐसे में अब भी पार्टी अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो पार्टी का बचा-कुचा जनाधार भी पार्टी के ‘हाथ’ से निकाल जाएगा। इसी लिए अब पार्टी के नेता सांप्रदायिक समीकरणों के बल पर पार्टी की नैया पार कराने की कोशिश कर रहे हैं ।