कभी वामपंथ के गढ़ रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अब जल्द ही वीर सावरकर को भी पढ़ाया जाएगा। हिंदुत्व विचारक और स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के बारे में जेएनयू में पढ़ाया जाना अपने आप में एक बड़ा बदलाव है। दरअसल, स्वातंत्र्यवीर सावरकर अध्यासन केंद्र द्वारा जेएनयू से एक सेंटर बनाने की बात की जा रही है, जहां विद्यार्थी सावरकर के विभिन्न विषयों से संबंधित विचारों का अध्ययन कर सकें। इसमें सावरकर के हिंदुत्व, राजनीति और सामाजिक दायित्वों से संबंधित विचार मुख्य हैं।
बता दें कि, इस सेंटर के निर्माण के लिए पूरी रूपरेखा के साथ प्रस्ताव भेजा जा चुका है और यह अब बातचीत के अंतिम दौर में है। यह प्रस्ताव सावरकर राष्ट्रीय स्मारक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा उठाया गया था। उधर इस सेंटर के बारे में भनक लगते ही वाम संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।
मीडिया से बातचीत में सावरकर स्मारक के अध्यक्ष रणजीत सावरकर ने कहा कि, पुरानी पीढ़ी सावरकर के बारे में जानती हैं लेकिन नई पीढ़ी को नहीं पता कि सावरकर कौन हैं। उन्होंने कहा कि, यह प्रस्ताव इसीलिए भेजा गया है ताकि नई पीढ़ी जान सकें कि आखिर सावरकर कौन थे और उनके राजनीतिक विचार और समाज के लिए योगदान क्या थे। रणजीत सावरकर ने यह भी कहा कि, इस सेंटर से स्टूडेंट सावरकर पर एमफिल, सेट, नेट और पीएचडी भी कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि 14 मार्च को जेएनयू में सावरकर के जीवन पर आधारित एक हिंदी ड्रामा मृत्युंजय का मंचन हुआ था जिस पर वहां के स्टूडेंट्स की काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आईं थीं, उसके बाद से ही अध्यासन केंद्र ने जेएनयू के विद्यार्थियों को सावरकर के विचारों से रूबरू करने की ठान ली थी।
बता दें कि, कुछ साल पहले इसी तरह का सेंटर पुणे विश्वविद्यालय में भी शुरू किया गया था लेकिन वह अभी बंद है। अगर जेएनयू में यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो यह महाराष्ट्र के बाहर अपने जैसा पहला सेंटर होगा।
आज जिस जेएनयू में सावरकर के विचारों की पढ़ाई के लिए सेंटर बनाने की बात हो रही है, वहीं पर एक समय कन्हैया कुमार के नेतृत्व में टुकड़े-टुकड़े गैंग ने भारत विरोधी नारे लगाए थे। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से ही जेएनयू में देश को तोड़ने वाले लोगों पर काफी शिकंजा कसा गया है और अब वीर सावरकर का सेंटर बन जाने से जेएनयू में एक बड़ा परिवर्तन आना निश्चित है।
वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। हिन्दू राष्ट्र की विचारधारा को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे एक महान क्रान्तिकारी होने के साथ ही एक चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, वकील, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी थे जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद और सकारात्मकवाद, मानवतावाद, सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। वीर सावरकर को पढ़कर जेएनयू के विद्यार्थी निश्चित ही हमारी संस्कृति की जड़ों में वापस लौट सकेंगे।