गरीबों को लेकर बड़े-बड़े दावे ठोकने वाली कांग्रेस का पाखंड एक बार फिर सामने आया है। दरअसल, एक आरटीआई के जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने स्विट्जरलैंड के दौरे पर अंधाधुंध खर्चा किया। सीएम कमलनाथ ने लगभग एक हफ्ते के दौरे पर 1.5 करोड़ रुपये खर्च किये। आरटीआई से उपलब्ध जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा बड़ी मात्रा में गैर-जरूरी खर्चा किया गया जिसे टाला जा सकता था। कल तक राज्य के खजाने में पैसे नहीं है का राग अलापने वाली मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार के पास ट्रिप के लिए इतने पैसे कहां से आये ये भी अपनेआप में एक बड़ा सवाल है।
दरअसल, इसी वर्ष जनवरी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हर वर्ष आयोजित होने वाले दावोस ‘वर्ल्ड इकनॉमिक फॉरम’ में हिस्सा लेने के लिए स्विट्जरलैंड गए थे, जिसके संबंध में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले समाजसेवी अजय दुबे ने एक आरटीआई दायर की थी। आपको बता दें कि इस दौरे में सीएम कमलनाथ के साथ-साथ राज्य के मुख्य सचिव एसआर मोहंती, मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव अशोक बर्नवाल भी स्विट्जरलैंड के दौरे पर गए थे, जहां इन सब ने सरकारी पैसे पर खूब मौज उड़ाई।
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने वर्ल्ड इकनॉमिक फॉरम में आए निवेशकों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं आदि के सामने मध्य प्रदेश के राज्य को एक ऐसे स्थान के रूप में दिखाना था जहां उनको निवेश के लिए सभी सुविधाएं बड़ी आसानी से मिल सकें। राज्य सरकार ने इसी बात को इस यात्रा का उद्देश्य भी बताया था। आरटीआई के जवाब में समाजसेवी अजय दुबे को एक नोटशीट भी मिली है, जिसमें यह बताया गया है कि अगर यह यात्रा ना की जाती तो राज्य में आने वाले वेदेशी निवेश को गहरा झटका पहुंच सकता था।
इसके अलावा आरटीआई के जवाब में यह भी सामने आया है कि दावोस के लिए हवाई टिकट और वीजा खर्च के लिए 30 लाख रुपये, होटल के लिए 45 लाख रुपये (ठहरने और बैठक कक्ष के लिए), दावोस में स्थानीय यात्रा पर 9.5 लाख रुपये, ज्यूरिख हवाई अड्डे पर वीआईपी लाउंज की सुविधा के लिए 2 लाख रुपये, यात्रा बीमा पर 50,000 रु और डीआईपीपी लाउंज की सुविधा पर 40 लाख रुपए का भुगतान किया गया था। इसके अलावा इस जवाब में यह भी सामने आया कि इस पूरे दौरे के लिए राज्य सरकार ने 1 करोड़ 57 लाख 85 हज़ार रूपये का भारी-भरकम बजट आवंटित करवाया।
आपको बता दें कि पिछले वर्ष दिसंबर में कांग्रेस राज्य के गरीबों से बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में 15 साल बाद वापस आई थी। कमलनाथ ने गरीब किसानों से उनके कर्ज़ों को माफ करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस ने अपने तमाम वादे भूलकर किसानों के साथ घटिया मज़ाक किया। यह भी खबरे आई कि कर्जमाफ़ी के नाम पर 24 हज़ार की जगह किसानों को सिर्फ 13-13 रुपयों तक की राहत दी गई। राज्य सरकार ने कहा था कि पैसों की कमी की वजह से ऐसा किया जा रहा है, हालांकि उसी राज्य सरकार के पास अपने मुख्यमंत्री पर नाजायज़ 1.5 करोड़ रुपए का खर्चा करने की पूरी सुविधा है। किसानों के कर्जमाफी के लिए पैसे नहीं हैं लेकिन विदेश यात्रा पर करोड़ो खर्च करने के लिए पैसे हैं. यह मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार के पाखंड को दर्शाता है।