मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे की मुश्किलें अब और बढ़ती नज़र आ रही हैं। दरअसल, आयकर विभाग ने बीती 7 अप्रैल को हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स नाम की एक कंपनी पर छापेमारी की थी जहां अब उसे लगभग 1350 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता चला है। आपको बता दें कि यह कंपनी सीएम कमलनाथ के भांजे रातुल पुरी की है। आयकर सूत्रों के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में भोपाल, गोवा, इंदौर के अलावा दिल्ली की लगभग 35 जगहों पर छापे मारे गए थे, जिसमें हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स कंपनी भी शामिल थी। ये छापे आयकर (अन्वेषण) महानिदेशालय ने अहम और विश्वसनीय सूचना के आधार पर मारे थे। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय भी ऑगस्टा वेस्टलैंड केस के 3600 करोड़ रुपये के घोटाले में भी रातुल पुरी से दिल्ली में पूछताछ कर चुका है।
सीबीडीटी के मुताबिक रातुल पुरी की यह कंपनी नकली कंपनी और नकली बिल बनाकर वित्तीय लेन-देन में भारी गड़बड़ी कर रही थी। आयकर विभाग ने पाया कि 330 करोड़ के नकली बिलों को जानबूझ कर ऊंची कीमतों पर दिखाया गया और हवाला ऑपरेटर के जरिए डॉलर में इन बिलों का भुगतान किया गया। इसके अलावा आयकर विभाग को एक हाथ से लिखी डायरी भी मिली है जिसमें आधिकारिक वित्तीय रिकॉर्ड के अलावा 240 करोड़ रुपये के अन्य मिले पैसे का ब्यौरा है। आयकर विभाग को रेड मारने के वक्त 9 करोड़ रुपये की नकदी और 3 करोड़ रुपये की बेहिसाबी संपत्ति मिली थी।
कमलनाथ के भांजे रातुल पुरी मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी फंसे हुए हैं। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में फंसे एक अन्य आरोपी राजीव सक्सेना से पूछताछ में उसने रातुल पुरी का नाम लिया था जिसके बाद उनपर यह छापेमारी की गई थी। राजीव सक्सेना का दुबई से अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील मामले में प्रत्यर्पण हुआ था। यह घोटाला जिस समय हुआ था, उस समय कांग्रेस सत्ता में थी। इस मामले में केवल कांग्रेसी नेता ही नहीं, बल्कि कुछ बड़े पत्रकार भी सुप्रीम कोर्ट की रडार में आए थे। इन पत्रकारों पर भी सौदा करवाने की एवज में रिश्वत खाने का आरोप लगा था। खबरों की मानें, तो इस सौदे में कांग्रेस के कई पूर्व मंत्रियों, दिग्गज नेताओं और कांग्रेस से नजदीकी रखने वाले कई बड़े अधिकारियों के भी नाम आने की संभावना है।
अब बेशक मध्य प्रदेश के सीएम इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ते दिखें, लेकिन सच्चाई की बात तो यह है कि यह वही नेता है जिनके बल पर उनके भांजे जैसे कारोबारी सभी नियमों और कानूनों को तक पर रखकर अपनी मनमर्ज़ी चलाते हैं। हालांकि अब जब आयकर विभाग इनकी काली करतूतों को सबके सामने एक्स्पोज करने का काम कर रहा है, तो यह इसे राजनीतिक उद्देश्यों से लिया गया कदम बताकर उल्टा आयकर विभाग और सरकार पर ही आरोप लगाने का काम शुरू कर देते हैं। हालांकि, अब देश के सामने इसकी सच्चाई जरूर आनी चाहिए जिसकी शुरुआत अब हो चुकी है।