ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, देना होगा 20 लाख रूपय का जुर्माना

ममता बनर्जी कोर्ट

PC: Inkhabar

पश्चिम बांगल की मुख्यमंत्री ‘ममता बनर्जी’ अक्सर दूसरी पार्टियों और नेताओं पर दिये तीखे बयानों से तो चर्चा में रहती ही हैं लेकिन इस बार अपनी तानाशाही को लेकर सुर्ख़ियों में आ गयी हैं। दरअसल, मामला पश्चिम बांगल में ही बनी एक बांग्ला फिल्म ‘भविष्योतेर भूत’ का है जिसको बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बिना कोई कारण बताए प्रतिबंधित करा दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है । साथ ही 20 लाख का जुर्माना भी लगाया है।

सूप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि फिल्म पर केवल इसलिए बैन लगाना कि उसमें सरकार पर व्यंग किया गया है ये सही नहीं है। कोर्ट ने ये भी माना कि ये फ़िल्मकारों की ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ के अधिकार का उल्लंघन है। साथ ही सूप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार पर 20 लाख रूपय का जुर्माना भी लगाया। ममता सरकार के बैन के खिलाफ सूप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी जिसके बाद कोर्ट का ये फैसला आया है। जुर्माने कि राशि को कोर्ट फिल्म निर्देशक और सिनेमा हाल मालिकों को वितरित करेगी ताकी उनके हुए नुकसान की भरपाई की जा सके।

दरअसल, फिल्म निर्देशक अनिक दत्त का कहना था कि ममता बनर्जी के निर्देश पर उनकी फिल्म का प्रदर्शन रोका गया है सिनेमा हाल मालिकों ने फिल्म पर्दे से हटाने का कोई कारण नहीं बताया उन्होनें बस इतना कहा कि उन्हें ऊपर से आदेश आया है कि फिल्म को ना दिखाया जाए।  ममता बनर्जी के शासन पर कटाक्ष करती  इस फिल्म का निर्देशन ‘अनिल दत्त’ ने किया है। फिल्म 15 फरवरी को प्रदर्शित हुई थी और 16 फरवरी को इसे सिनेमा घरों से हटवा दिया गया था। फिल्म के प्रदर्शन रोके जाने पर बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री ने ममता सरकार का जमकर विरोध भी किया था।

ये वही ममता बनर्जी है जिन्होंने संजयलीला भंसाली की फिल्म पद्मावत का स्वागत किया था जबकि देशभर में फिल्म के खिलाफ़ प्रदर्शन हो रहे थे। उस समय ममता ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी को ख़त्म करने के लिए दुर्भाग्यपूर्ण  और सुनियोजित प्रयास बताया था तो अब वो खुद इस अधिकार को कैसे छीन सकती है ? ये तो वही बात हुई के हाथी के दाँत दिखाने को कुछ और खाने को कुछ और।

बता दें कि ममता बनर्जी अपने तानाशाही रवैये के लिए जानी जाती हैं लेकिन दूसरी तरफ वो केंद्र सरकार पर ‘लोकतंत्र खतरे में हैं’ और ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ को छीनने का आरोप मढ़ती हैं। वास्तव में अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाली ममता ही इस आजादी को खत्म करने का प्रयास करती रही हैं। ‘भविष्योतेर भूत’ फिल्म पर लगाया गया बैन भी इसी का एक उदाहरण है। यही नहीं इसके कई और उदाहरण हैं। जैसे एक विशेष समुदाय को खुश करने लिए मोहर्रम पर दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाना, सीबीआई अधिकारियों को जांच करने से रोकना, चुनाव प्रचार करने से अन्य दलों को रोकने का प्रयास जैसे तमाम उदाहरण हैं जो ममता के तानाशाही रवैये को दिखाता है। कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में दीदी का दबदबा और दूसरी भाषा में कहें तो तानाशाही। जो लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी दोनों के ही चिथड़े उड़ाती नज़र आती हैं। हालांकि, इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट का फैसला राहत भरा है।

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