लोकसभा चुनाव अपने दूसरे चरण में पहुंच गया है। जिसके साथ ही सभी पार्टियों का जोश भी दोगुना हो गया। जोश दोगुना हुआ तो एक-दूसरे पर तीखे वार भी शुरू हो गए और इस बार तो चुनाव आयोग भी विपक्ष के निशाने पर आ गया। आजम खान, मायावती, गुलाम नबी आज़ाद ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के दबाव में काम करता है। चुनाव आयोग पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए ये कहा गया कि केवल विपक्षी दलो पर ही आचार संहिता के उल्लंघन के तहत कार्रवाई की गयी।
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करके चुनाव आयोग और योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा। मायावती ने कहा कि उत्तर पदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होनें आगे कहा कि पूजा पाठ, दलितों के घर भोजन करना ये सब ड्रामा है। योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के लिए ये सारा ड्रामा कर रहे हैं। जिसका फायदा उन्हें लोकसभा चुनावों में मिल सके।
मायावती ने चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आयोग योगी आदित्यनाथ पर इतना मेहरबान क्यों है ? बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि – “अगर ऐसे ही भेदभाव व बीजेपी नेताओं के प्रति चुनाव आयोग की अनदेखी व गलत मेहरबानी जारी रहेगी तो फिर इस चुनाव का स्वतंत्र व निष्पक्ष होना असंभव है। इन मामलों में जनता की बेचैनी का समाधान कैसे होगा ? बीजेपी नेतृत्व आज भी वैसी ही मनमानी करने पर तुला है जैसा वह अब तक करता आया है, क्यों ?”
मायावती के ट्वीट पर योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार ने भी करारा जवाब देते हुए लिखा कि, ‘किसी के व्यतिगत निमंत्रण पर उसके घर भोजन करना, व्यक्तिगत आस्था के तहत पूजन दर्शन करना आयोग के निर्देशों का उल्लंघन कैसे हो सकता है ? लिखा हुआ भाषण पढ़ती हैं तो आयोग के ऑर्डर की कॉपी भी पढ़िए।‘
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी चुनाव आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन के लिए 72 घंटो का बैन लगाया था। योगी बैन हटने तक चुनाव प्रचार नहीं कर सकते। ऐसे में वो महंत होने के नाते मंदिरों में जा कर अपना समय बिता रहे हैं। मायावती ने सीएम योगी के मंदिर दर्शन को ड्रामा बताया और कहा कि योगी मंदिर में पूजा करके दलित के घर खाना खाकर उसकी मीडिया कवरेज करवाकर जमकर प्रचार कर रहे हैं।
भारतीय निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है जो संविधान के आर्टिकल 324 के तहत भारत में होने वाले चुनावों और चुनावी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है। आयोग लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव कराता है। देश की उच्च न्यायपालिका, केंद्रीय लोक सेवा आयोग और भारत के कॉम्ट्रोलर और ऑडिटर जनरल के अलावा निर्वाचन आयोग ही ऐसी संस्था है जो स्वायत्त और स्वतंत्र है। ये जग ज़ाहिर है कि चुनाव आयोग बिना किसी भेदभाव के अपना काम करता है। अगर चुनाव आयोग कोई भेदभाव करता तो मायावती पर केवल 48 घंटो और योगी आदित्यनाथ पर 3 दिन का बैन नहीं लगाता। चुनाव आयोग की कार्यशैली या सत्यता पर संदेह करना शर्मनाक है। ऐसा लगता है हताश विपक्षी दलों को आदत हो गयी है चुनाव आयोग पर सवाल उठाने की और अम जनता को गुमराह करने की कि चुनाव आयोग पर बीजेपी का नियंत्रण है और पक्षपाती रवैया अपना रहा है। हालांकि, बीजेपी नेता मेनका गांधी और योगी आदित्यनाथ पर भी आचार सहिंता का उल्लंघन करने को लेकर बैन लगाया गया है जो ये दर्शाता है कि चुनाव आयोग नियमों के अनुसार ही अपना कार्य कर रहा है।