चुनाव के बीच बढ़ीं मायावती की मुश्किलें, चीनी मिल घोटाले की जांच शुरु की

मायावती सीबीआई

PC: Jagran

लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मायावती को सीबीआई से एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, सीबीआई ने मायावती के शासनकाल में हुए 21 सरकारी चीनी मीलों की बिक्री में कथित अनियमितता की जांच शुरू कर दी है। चुनावी दौर में इस जांच से बसपा सुप्रीमो मायावती की मुश्किलें बेशक बढ़ सकती हैं।जांच अधिकारियों ने बताया कि मायावती के कार्यकाल में वर्ष 2011-12 के बीच चीनी मिलों की बिक्री से सरकारी खजाने को कथित तौर पर 1,179 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ था।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने पिछले वर्ष 12 अप्रैल को इस मामले में सीबीआई की जांच कराने की सिफ़ारिश की थी। लखनऊ पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। ऐसे आरोप हैं कि उस समय मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी सरकार ने 10 चालू मीलों सहित 21 मीलों को बाजार दर से कम दर पर बेच दिया था, जिसके कारण सरकारी खजाने को 1,179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।  

अधिकारियों के मुताबिक, ‘यूपी की योगी सरकार ने पिछले साल 21 चीनी मिलों की बिक्री और देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, चिट्टौनी और बाराबंकी में बंद पड़ी सात मिलों की खरीद में फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। इस ममाले में लखनऊ पुलिस जांच कर रही थी। इसके बाद जांच में सीबीआई ने माना कि चीनी मिलों की बिक्री में कथित तौर पर गड़बड़ी की गयी थी। चीनी मिल बिक्री घोटाले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन शाखा ने आईपीसी 420, 468, 471, 477A और कंपनी एक्ट में एफआईआर दर्ज किया है। इस जांच की आंच बसपा सुप्रीमो पर भी पड़ सकती है

वैसे ये पहली बार नही है जब बसपा सुप्रीमो मायावती का कोई घोटाला सामने आया हो इससे पहले मायावती के कार्यकाल में 14 अरब का स्मारक घोटाला भी सामने आ चुका है। गौरतलब है कि जब सत्ता बीएसपी के हाथ में थी तब पार्टी ने नोएडा और लखनऊ में करीब 42 अरब 77 करोड़ रुपये की लागत से स्मारकों और पार्कों का निर्माण करवाया, जिसमें करीब 14 अरब 88 करोड़ 40 लाख की गड़बड़ी का मामला सामने आया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन 34 फीसदी लागत राशि की बंदरबांट हुई थी।

जांच में मायावती ने आंबेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, इको पार्क, नोएडा आंबेडकर पार्क, रामबाई आंबेडकर मैदान स्मृति उपवन आदि के निर्माण में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपये का घोटाले का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद मायावती के करीबी रहे लोगों के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा छापे मारी भी की गयी थी।

ये जनता का पैसा है जिससे ये नेता अपने घर के खज़ाने भरते है। करोड़ों रुपये के गबन के बाद अब अगर ये उम्मीद कर रहे हैं कि जनता इन्हें अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए एक और अवसर देगी तो गलत सोचते हैं। पहले से ही स्मारक घोटाले मामले में मायावती की मुश्किलें कम  होने का नाम नहीं ले रही थीं अब चीनी मीलों में हुई धांधली बेशक मायावती के देश का प्रधानमंत्री बनने के सुनहरे सपने को तोड़ सकती है।

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