देश में चुनावी माहौल है और चौथे चरण के मतदान समाप्त भी हो चुके हैं। 6 मई को होने वाले पांचवें चरण के मतदान के लिए देशभर में प्रचार जारी है। इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी पश्चिम बंगाल की रैली में एक ऐसा खुलासा किया है जिससे सीएम ममता बनर्जी की रातों की नींद उड़ना तय माना जा रहा है। दरअसल, पीएम मोदी ने कहा कि टीएमसी के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं और 23 मई को नतीजे आने के बाद वे भाजपा में शामिल हो जाएंगे। आपको बता दें कि भाजपा इन चुनावों में पश्चिम बंगाल में अपने प्रदर्शन को लेकर काफी उत्साहित है, और उसे अभूतपूर्व सफलता हासिल हो सकती है। इतना स्पष्ट है कि पीएम मोदी का यह बयान टीएमसी के मनोबल पर एक कड़ा प्रहार साबित हो सकता है।
पीएम मोदी ने सोमवार को सेरमपुर की अपनी रैली में एक बड़ा बयान देते हुए कहा ‘पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ विश्वासघात करने वाली दीदी, बस इतना समझ लो, ये देश की जनता गलती माफ कर सकती है लेकिन विश्वासघात को माफ नहीं कर सकती’। आगे पीएम मोदी ने कहा ‘दीदी, आपकी जमीन खिसक चुकी है। और दीदी देख लेना कि जब 23 तारीख को नतीजे आएंगे और जब चारों तरफ कमल खिलेगा तो आपके विधायक भी आपको छोड़कर भाग जाएंगे दीदी। आज भी आपके 40 विधायक हमारे संपर्क में हैं। दीदी आपका बचना मुश्किल है क्योंकि आपने विश्वासघात किया है।’ पीएम मोदी के इस दावे तृणमूल कांग्रेस पार्टी में हलचल मच गयी जिसके बाद आननफान में इस पार्टी को बयान जारी करना पड़ गया कि विधायक तो छोड़िये पार्षद तक भाजपा के संपर्क में नहीं हैं। हालांकि, सच यही है कि टीएमसी राज्य में बिखरी हुई सी नजर आ रही है। यही नहीं अपनी इस रैली में पीएम मोदी ने ममता पर चिटफंड घोटाले को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा ‘चिटफंड के नाम पर जिन गरीब परिवारों को जीवन खोना पड़ा है, उनके आंसुओं का जवाब इस बार पश्चिम बंगाल की जनता देने वाली है’।
Everywhere across West Bengal there is a desire to reject TMC. Watch from Sreerampur. https://t.co/aWIPDRXiXn
— Narendra Modi (@narendramodi) April 29, 2019
आपको बता दें कि इन चुनावों के दौरान टीएमसी पार्टी और इसके कार्यकर्ताओं की हताशा साफ देखने को मिली है। टीएमसी के कार्यकर्ता अपने संभावित प्रदर्शन को लेकर इतने बौखलाए हुए हैं कि वे अब खुलेआम गुंडागर्दी पर उतर आए हैं। पिछले दिनों ही टीएमसी के एक ऐसे ही कार्यकर्ता की ऑडियो क्लिप सामने आई थी जिसमें वे टीएमसी के पक्ष में शत प्रतिशत मतदान करवाने की बात कहते सुनाई दे रहे थे।
यही नहीं जिस तरह से चौथे चरण के मतदान के दौरान राज्य के आसनसोल में मतदान केंद्र संख्या 125-129 के निकट टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसा की खबरें सामने आई थी। पहले और दूसरे चरण के मतदान के वक्त भी कुछ ऐसी ही खबरें सामने आयी थीं।
वैसे ये ममता बनर्जी की ये हताशा यूं ही नहीं है, इसके पीछे भी कारण है। कारण ये कि राज्य में बीते वर्षों में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पकड़ को मजबूत बनाया है। यही वजह है कि साल 2018 में हुए पंचायत चुनाव के नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का दौर शुरू हो गया था जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा। टीएमसी की बंगाल में इतनी गुंडागर्दी है की कोई भी पार्टी या नेता अगर उसके सामने चुनाव में खड़े होने की हिम्मत दिखाता है तो पहले उन्हें पैसो से खरीदने की कोशिश की जाती है। अगर इससे भी बात नहीं बनती तो उनके घर को आग लगा दी जाती है या हत्या करवा दी जाती है, अगर चुनाव में कोई प्रतिद्वंदी होगा ही नहीं तो मुक़ाबला होगा ही नहीं होगा। ये दर्शाता है कि ममता बनर्जी को कुर्सी से इतना प्यार है की उसे बचाने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकती। बीजेपी और मोदी को लोकतंत्र के लिए खतरा बताने वाली ममता बनर्जी अपने ही राज्य में लोकतंत्र का स्तर इतना कमजोर करने के पक्ष में क्यों हैं ? लोकतंत्र में वोट पाने के लिए इतनी गुंडागर्दी, इतनी ज़बरदस्ती, ये कहां का लोकतंत्र है ?
अब पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल की अपनी रैली में इसी बात की तरफ इशारा किया है कि ममता राज की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री के इसी लोकतंत्र-विरोधी रवैये का नतीजा है कि आज टीएमसी का कोई कार्यकर्ता भी ममता के सामने कुछ बोलने से डरता है। राज्य के लोगों के बीच असुरक्षा की भावना इतनी बढ़ चुकी है कि बाहर निकलकर वोट डालना भी उनके लिए किसी जोखिम से कम नहीं है। अगर ममता का यही रवैया रहता है तो वह दिन दूर नहीं जब खुद टीएमसी के नेता और कार्यकर्ता अपनी पार्टी का साथ छोड़ किसी अन्य राजनीतिक दल का दामन थामने से परहेज़ नहीं करेंगे।