कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर चुनाव आयोग ने 72 घंटों का बैन लगा दिया है। चुनाव आयोग ने सिद्धू को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया जिसके बाद उन पर ये बैन लगाया गया है। बिहार के कटिहार और पूर्णिया में चुनावी रैली में सिद्धू ने मुस्लिमों को एकजुट होकर मोदी के खिलाफ वोट करने की अपील की थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने सिद्धू को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। कारण बताओ नोटिस में चुनाव आयोग ने कहा नवजोत सिंह सिद्धू ने आदर्श आचार संहिता, चुनाव कानून और राजनीतिक प्रचार के लिए धार्मिक मामलों का जिक्र करके सूप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। सिद्धू को इसका जवाब देने के लिए 4 घंटे की मोहलत दी गयी थी।
आपको बता दें की कांग्रेस नेता सिद्धू ने 16 अप्रैल को बिहार के कटिहार में एक चुनावी रैली में मुस्लिम वोटरों को मोदी के खिलाफ एकजुट होकर वोट करने की अपील की थी जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज़ की गयी थी। सिद्धू को जनप्रतिनिधि नियम की धारा 123 के साथ आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत दोषी पाया गया था। दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू कटिहार में कांग्रेस उम्मीदवार ‘तारिक अनवर’ के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे लेकिन उनकी मदद करने की जगह खुद ही मुसीबत में जा फंसे।
चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होने कहा ‘मैं अपने मुस्लिम भाइयों को एक ही बात कहने आया हूं कि आप यहां अल्पसंख्यक बनकर भी बहुसंख्यक हो और 62 फीसदी हो। ये आपको बांट रहे हैं। ये बीजेपी वाले आपके वोट को बांटने का प्रयास करेंगे। उन्होनें आगे कहा कि ‘मैं कहता हूं अगर आप इकट्ठे आ गए तो तारिक साहब को दुनिया की कोई ताकत नहीं हरा सकती। अगर आप एकजुट हो गए तो फिर मोदी सुलट जाएगा….छक्का लग जाएगा….मैं जब जवान था तो मैं भी खूब छक्का मारता था…ऐसा छक्का मारो कि मोदी को यहां बाउंड्री से पार होना पड़े।‘ सिद्धू के इस बयान के बाद ही चुनाव आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए उन्हें 72 घंटे के लिए बैन कर दिया है।
वैसे नवजोत सिंह सिद्धू अक्सर ही अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं कभी वो पाकिस्तान का पक्ष लेते नज़र आते है कभी भारत के द्वारा आतंकवाद के खिलाफ की गयी एयर स्ट्राइक को गलत ठहराते हुए आतंकवाद को बिना किसी जाती, धर्म का बताते है। ऐसे बयानों के लिए उन्हें पहले भी मुसीबतें झेलनी पड़ी थी और एक मशहूर टीवी शो से भी उन्हें बतौर जज अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मुस्लिमों से ऐसे ही अंदाज़ में वोट की अपील की थी जिसके बाद उनपर भी चुनाव आयोग ने बैन लगा दिया था। साथ ही बसपा के एक और नेता आजम खान पर भी चुनाव आयोग अस्थायी रूप से बैन लगा चुका है। पहले तो ये नेता उल्टी सीधी बातें करते है मर्यादा को लांघ जाते है और बाद में चुनाव आयोग के ऊपर भेद भाव करने का आरोप मंढते है। इन नेताओं को ये समझना चाहिए की चुनाव आयोग और आचार संहिता कोई मज़ाक नहीं है। साथ ही अपनी ज़बान और शब्दों पर काबू रखना चाहिए।