विरोधियों के सारे वार चले गए खाली और एनआईए कोर्ट के इस निर्णय से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की हो गई जीत

एनआईए प्रज्ञा ठाकुर कोर्ट

(PC: Rediffmail)

मध्यप्रदेश की भोपाल सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को एनआईए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इसी के साथ मालेगांव बम धमाकों के आरोपों को लेकर जो लिबरल गैंग बार-बार साध्वी के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग कर रही थी, उसे करारा झटका लगा है। दरअसल, मुंबई की एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही एनआईए कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि, दायर याचिका में शिकायतकर्ता ने अपने हस्ताक्षर तक नहीं किये।

सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील का कहना था कि, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई है, लेकिन वह टीवी पर इंटरव्यू देती दिखाई दे रही हैं। इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर के वकील जेपी मिश्रा ने कहा कि, साध्वी प्रज्ञा इलाज करा रही हैं और उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। मिश्रा ने यह भी बताया कि, एक डॉक्टर हमेशा साध्वी के साथ रहता है। कोर्ट में मिश्रा ने कहा कि, साध्वी विचारधारा और देश के लिए चुनाव लड़ रही है। वे देश को यह बताना चाहती है कि, भगवा आतंकवाद जैसी कोई चीज नहीं होती। सुनावाई के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘जो चुनाव चल रहा है, उसमें कोर्ट के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है जिससे किसी को चुनाव लड़ने से रोका जा सके। यह चुनाव अधिकारियों का काम है कि वह इस पर फैसला करें।

बता दें कि, इससे पहले कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला ने चुनाव आयोग में साध्वी के चुनाव लड़ने से रोकने के लिए याचिका दायर की थी जिसे आयोग ने खारिज कर दिया था। इसके बाद मालेगांव बम धमाके की एक पीड़िता के पिता ने साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के लिए एनआइए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका को अब एनआईए कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस याचिका पर साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि, यह याचिका राजनीति से प्रेरित है और केवल पब्लिसिटी स्टंट है। उन्होंने कहा था कि, याचिकाकर्ता ने सिर्फ कोर्ट का समय बर्बाद किया है, उस पर जुर्माना लगाकर याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।

वहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मीडिया में छाए रहने और दिनों दिन उनकी लोकप्रियता के बढ़ने से लेफ्ट-लिबरल गैंग के लोगों के चेहरों की हवा उड़ी हुई है। इन लोगों को डर है कि, कहीं कट्टर हिंदू छवी वाली साध्वी दिग्विजय को भोपाल से हरा ना दे। इसका एक बड़ा उदाहरण तब सामने आया जब बरखा दत्त ने एक ट्वीट किया। वामपंथी पत्रकार बरखा ने कल एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, ‘माफ करें लेकिन प्रज्ञा ठाकुर की मीडिया कवरेज शर्मनाक है। हां, वह एक उम्मीदवार है (जो कि उसे नहीं होना चाहिए) और एक खबर भी।’ लेकिन इसे सामान्य तरह से लेने के बजाय उसका इस तरह महिमामंडन करना जैसे वह एक दुर्लभ प्रजाति हो, कहां तक सही है। आखिर है तो वह एक आतंकी अभियुक्त ही।’

इस ट्वीट से साफ दिख रहा है कि, बरखा को प्रज्ञा ठाकुर के लाइम लाइट में आने से बड़ी दिक्कत हो रही है। मिडिया द्वारा प्रज्ञा को तवज्जो देना बरखा दत्त से बर्दाश्त नहीं हो रहा। उधर बरखा के इस ट्वीट पर यूजर्स ने उन्हें जमकर लताड़ लगाई। लोगों ने कहा कि, जब बुरहान वानी और कन्हैया कुमार को मीडिया द्वारा हीरो बनाया जा रहा था तब उन्होंने ये आवाज नहीं उठाई और अब उन्हें यह सब याद आ रहा है।

https://twitter.com/Amit_knc/status/1120869272064888832

इस बीच जब साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए याचिका दायर की गई और चुनाव आयोग द्वारा प्रज्ञा को दो नोटिस भेज दिये गए तो बीजेपी ने भी अपना बैकअप प्लान तैयार कर लिया। बता दें कि, वर्तमान सांसद और बीजेपी नेता आलोक संजर ने पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नामांकन के 10 मिनट बाद ही अपना पर्चा दाखिल कर दिया था। दरअसल, बीजेपी ने आलोक संजर को बैकअप प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल कराया है ताकी अगर साध्वी प्रज्ञा की उम्मीद्वारी को लेकर कुछ होता है तो बीजेपी के पास प्रत्याशी तैयार रहे।

मीडिया से बातचीत के दौरान संजर ने कहा कि साध्वी के साथ ही उनके भी नामांकन दाखिल करने में कुछ भी असामान्‍य नहीं है। उन्‍होंने कहा, ‘वर्ष 2014 में जब मैंने नामांकन किया था तब एक डमी कैंडिडेट ने नामांकन किया था। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि यदि आधिकारिक उम्‍मीदवार का नामांकन तकनीकी या कानूनी आधार पर रद्द होता है तो पार्टी का एक प्रत्‍याशी लड़ाई में बना रहे।’ संजर ने यह भी कहा कि, जब साध्वी का नामांकन चुनाव आयोग स्‍वीकार कर लेगा तब वे निश्चित रूप से अपना नामांकन वापस ले लेंगे।

लेकिन अब एनआईए कोर्ट ने साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव लड़ने से रोक लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है, तो बीजेपी की ये परेशानी भी दूर हो गई है और साथ ही विरोधियों को बड़ा झटका लगा है।

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