पाकिस्तान का ‘ऑल वैदर फ्रेंड’ माने जाने वाले चीन ने पाकिस्तान की एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय बेइज्जती की है। दरअसल, बीआरआई परियोजना की एक बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उस वक्त हैरान रह गए जब उनका स्वागत चीनी प्रशासन के एक जूनियर अधिकारी ने किया। चीन को अपना ‘आयरन ब्रदर’ मानने वाले पाक में इसे बड़े अपमान के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तान चीन के बड़े कर्ज़ों तले पहले ही दबा हुआ है, इसके अलावा अपना हुक्का-पानी जारी रखने के लिए उसे भविष्य में भी चीनी सहायता की जरूरत पड़ेगी। लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या कुछ पैसों के लिए पाक अपना आत्मसम्मान भी दांव पर लगाने के लिए तैयार है?
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान जब से सत्ता में आए हैं, उनका चीन-प्रेम कई मौकों पर देखने को मिल चुका है। चीन के दौरे पर जाने से पहले भी उन्होंने चीन का गुणगान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा ‘चीन हमारा सबसे करीबी दोस्त है, और हमारा भाई है’। हालांकि, चीन में पहुंचते ही उनको करारा झटका तब लगा जब उनको पता लगा कि उनका स्वागत करने के लिए एक छोटे पद के अधिकारी को भेजा गया है। दरअसल, पाकिस्तानी पीएम के स्वागत के लिए कोई बड़ा अधिकारी या नेता नहीं पहुंचा और उनका स्वागत बीजिंग की म्यूनिसिपल कमेटी की डिप्टी सेक्रेट्री जनरल ली लिफेंग ने किया। अब सोशल मीडिया पर जमकर उनकी खिल्ली उड़ाई जा रही है। चीन पाकिस्तान की मजबूत होती दोस्ती के बाद हर कोई यह उम्मीद कर रहा था कि इमरान खान का स्वागत करने के लिए खुद चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग पहुंचेंगे, लेकिन चीन ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
हालांकि, चीन द्वारा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की बेइज्ज़ती कोई नई बात नहीं है। इससे पहले पाक के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खक्कान अब्बासी को भी खुद चीनी मीडिया द्वारा अपमानित किया जा चुका है। दरअसल, पिछले वर्ष अप्रैल में चीन के आधिकारिक टेलीविजन चैनल चीन ग्लोबल टेलीविज़न नेटवर्क (सीजीटीएन) ने शाहिद खक्कान अब्बासी का एक इंटरव्यू प्रकाशित किया था जिसमें ये साफ देखा जा सकता था कि पाकिस्तानी पीएम को बैठने के लिए एक बेहद असुविधाजनक कुर्सी दी गई थी जिसमें बैठकर वे बार बार अपने आप को एडजस्ट करते देखे जा रहे हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद भी पाकिस्तानी पीएम की सोशल मीडिया पर जमकर खिल्ली उड़ाई गई थी।
अब यहां ये जानना बेहद दिलचस्प है कि बार-बार बेज्जत होने के बाद भी पाकिस्तान का चीन-प्रेम आखिर कम होने का नाम क्यों नहीं ले रहा है। आपको बता दें कि पाकिस्तान आर्थिक दृष्टि से अपने पड़ोसी चीन पर जरूरत से ज़्यादा निर्भर हो चुका है। एक तरफ जहां ‘चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरीडोर’ की आड़ में चीन पाक को भारी कर्जे देकर उसे अपने ‘कर्ज़ों के जाल’ में फंसा चुका है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की खराब आर्थिक हालत का फायदा उठाकर वह उसे और ज़्यादा कर्जा देंने की कोशिश में जुटा है। पिछले वर्ष पाकिस्तान को चीन ने 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान की थी। हालांकि इतनी सहायता के बाद भी पाकिस्तान आज दोबारा उसी हालत में आ पहुंचा है। उसे अब फिर नए कर्ज़ों की जरूरत है, जिसके लिए वह चीन समेत आईएमएफ़ की तरफ भी निगाहें जमाए बैठा है। ऐसी दयनीय आर्थिक स्थिति के बाद पाक के पीएम को दुनियाभर में अपने सम्मान की उम्मीद करनी भी नहीं चाहिए। आज पाकिस्तानी पीएम को जो ‘सम्मान’ दुनियाभर में मिल रहा है, उसके लिए पाकिस्तान ने कई वर्षों तक बड़ी शिद्दत से मेहनत की है।