आडवाणी के लेटेस्ट ब्लॉग से अतिउत्साहित मीडिया के प्रोपेगंडा पर पीएम मोदी ने फेरा पानी

आडवाणी मोदी

हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के सह-संस्थापक लाल कृष्ण आडवाणी ने काफी लंबे समय बाद एक ब्लॉग लिखा है। अपने ब्लॉग में उन्होंने बीजेपी और उसकी विचारधारा के साथ अपने रिश्ते पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके लिए राष्ट्र सबसे पहले है।

हालांकि, अपने बलॉग में उन्होंने राजनीतिक विरोधियों के लिए अपनी राय भी व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये सम्मान है। अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को कभी ‘दुश्मन नहीं माना बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना। ऐसे ही राष्ट्रवाद की हमारी धारणा में हमने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं माना। पार्टी (भाजपा) व्यक्तिगत एवं राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता को प्रतिबद्ध रही है।“

हालांकी, ये बातें काफी सीधी और सहज थीं लेकिन कुछ लेफ्ट-लिबरल बुद्धिजीवियों ने इसका इस्तेमाल पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ करना शुरू कर दिया। उनके द्वारा किये गये कुछ ट्वीट्स हैं:

https://twitter.com/rupasubramanya/status/1113811367717408768?s=20

लेफ्ट-लिबरल्स के अपने ट्वीट के जरिये ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी अंदरुनी कलह से जुझ रहा है और पीएम मोदी को अब को ‘राजनीतिक असहमति’ को ‘राष्ट्र विरोधी कहना बंद कर दें।

वैसे इन ट्वीट्स से कोई हैरानी नहीं हुई और न ही इसमें कुछ नया है। शायद यही वजह भी है कि लेफ्ट-लिबरल का झूठ मतदाताओं पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका। दरअसल, ये सभी पीएम मोदी को सत्ता से बहार करने के लिए वही ट्रिक इस्तेमाल कर रहे हैं जिस वजह से 2014 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई थी। हालांकि, पीएम मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी के ब्लॉग की सराहना करके लेफ्ट-लिबरल के प्रोपेगंडा को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने लिखा: “आडवाणी ने ब्लॉग में सही अर्थों में बीजेपी के मतलब को समझाया है। खासकर ‘देश पहले, फिर पार्टी और आखिर में स्वयं’ के प्रथ-प्रदर्शक मंत्र को बताया है। मुझे बीजेपी कार्यकर्ता होने पर गर्व है और गर्व है कि एल. के. आडवाणीजी जैसे महान लोगों ने इसे मजबूत किया है।”

वैसे इससे पहले भी किसी को भी देशद्रोही करार देने को लेकर अपना रुख साफ़ कर चुकी है। साल 2016 में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जेएनयू में लगे देशद्रोही मुद्दे को लेकर इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा भी था कि ‘कोई अगर पार्टी को सीधे गाली देता है तो इससे बीजेपी को कोई समस्या नहीं है। आपको मेरी और मेरी पार्टी के खिलाफ बोलने का पूरा अधिकार है लेकिन मेरे राष्ट्र के खिलाफ बोलेगा तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।’

वास्तव में लेफ्ट-लिबरल बुद्धिजीवियों की आदत ही है रंग बदलने और पीएम मोदी के प्रति अपनी नफरत में अंधे हो चुके। कभी कभी इन लेफ्ट-लिबरल्स पर तरस भी आता है जो एक छोटे से मुद्दे को भी हवा देने का काम करते हैं, लेकिन बीजेपी उनके प्रोपेगंडा को खूब समझती है और हर बार इन्हें आईना दिखाती है।

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