प्रकाश आंबेडकर के पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सामाजिक कार्यकर्ता की जमकर की पिटाई

दलित प्रकाश आंबेडकर

PC: Twitter

देश के संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के परपौते प्रकाश आंबेडकर ने वैसे तो अपने परदादा जी का नाम इस्तेमाल कर खूब राजनीतिक स्कोर बंटोरा, हालांकि उनके सिद्धांतों और मूल्यों का पालन करने में उनको कोई दिलचस्पी नज़र नहीं आती। वे हमेशा ही अपने विवादित बयानों और कृत्यों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन अब उनके कार्यकर्ता भी उनका अनुसरण करते नज़र आ रहे हैं। दरअसल, प्रकाश आंबेडकर के कार्यकर्ताओं का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वे एक बूढ़े आदमी को बुरी तरह पीटते नज़र आ रहे हैं, और वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उस व्यक्ति ने प्रकाश आंबेडकर के खिलाफ लिखने का ‘दुस्साहस’ किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस व्यक्ति का नाम रजनीकांत है और वह अकोला में एक सामाजिक कार्यकर्ता है। रजनीकांत ने इस वीडियो को व्हाट्सएप पर डाला जो कि वायरल हो गया ।

आपको बता दें कि प्रकाश आंबेडकर और विवादों का पुराना रिश्ता रहा है। अपने आप को दलितों का ठेकेदार बताने वाले आंबेडकर पिछले दिनों तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने चुनाव आयोग को ही जेल में डाल देने की धमकी दे डाली थी। उन्होंने कहा था ‘हमें चुनाव आयोग पुलवामा हमले पर बोलने से रोक रहा है, वह ऐसा कैसा कर सकता है? हमको अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है,हम भाजपा नहीं हैं, अगर मैं सत्ता में आता हूं तो मैं दो दिनों के लिए चुनाव आयोग को जेल में डालने का काम करूंगा’। इससे पहले भीमा-कोरेगांव की हिंसक घटना के मामले में जून 2018 में जब पुणे पुलिस ने पांच संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया था, तो भी उस खबर को कवर कर रहे पत्रकारों को प्रकाश आंबेडकर ने खुलेआम डराने-धमकाने का काम किया था। आंबेडकर ने टाइम्स नाऊ के सीनियर एडिटर आनंद नरसिम्हन पर कैमरे के सामने अश्लील टिप्पणी की थी। इसके अलावा वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को लेकर भी एक बेहद आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं। उन्होंने यह दावा किया था कि मोहन भागवत के पास ‘खतरनाक हथियार’ हैं, और उनपर मकोका के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

अपनी बातों और बयानों से प्रकाश आंबेडकर बेशक विवादों में घिरे रहते हों लेकिन असल में वे देश की संसद के दोनों सदनों में सांसद रह चुके हैं। महाराष्ट्र की अकोला लोकसभा सीट से वे दो बार सांसद रह चुके हैं, इसके अलावा वे ‘भरिपा बहुजन महासंघ’ और ‘वंचित बहुजन आघाडी’ जैसी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। वे 2019 के लोकसभा चुनावों में भी अकोला और सोलापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

उनका दावा है कि वो एक दलित कार्यकर्ता हैं लेकिन ऐसा लगता है कि वो सिर्फ आत्म घोषित दलित कार्यकर्ता हैं जो सिर्फ दलितों की भावनाओं का राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके कार्यकर्ताओं द्वारा एक सामाजिक कार्यकर्ता को इस तरह पीटना प्रकाश आंबेडकर के साथ-साथ उनकी पूरी पार्टी की मानसिकता को दिखाता है। उनकी अवांछित बातों पर रोक लगाने के लिए जब चुनाव आयोग उनपर नकेल कसता है, तो वे उसे अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताते हैं, लेकिन जब उनके खुद के कार्यकर्ता एक सामाजिक कार्यकर्ता को पीटने का काम करते हैं, तो वे उसपर अपनी चुप्पी साध लेते हैं। यही उनकी दोहरे मापदंड वाली राजनीति का सबसे उपयुक्त उदाहरण है।

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