प्रशांत किशोर ने दी लालू यादव को कैमरे के सामने आकर बहस करने की चुनौती, कहा- किसने क्या ऑफर दिया सब पता चल जाएगा

प्रशांत किशोर लालू

PC : prabhatkhabar

देशभर में चुनावी पारा अपने चरम पर है, जिसके कारण सभी राजनीतिक पार्टियां अपने विरोधियों के जनाधार को कमजोर करने के लिए एक दूसरे पर जमकर आरोप मढ़ रहीं हैं। ऐसा ही एक उदाहरण हमें बिहार की राजनीति में देखने को मिला है जहां राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर बीते शुक्रवार को यह चुनावी बाउंसर दे मारा कि वे उनके पति के पास जेडीयू प्रमुख नितीश कुमार का यह प्रस्ताव लेकर आए थे कि जेडीयू और आरजेडी का आपस में विलय कर दिया जाए, ताकि वे 2019 में पीएम पद की अपनी दावेदारी को मजबूत कर सकें, और तेजस्वी यादव के लिए वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो सके। हालांकि, राबड़ी देवी के बाउंसर के छक्के छुड़ाते हुए प्रशांत किशोर ने लालू को अब मीडिया के सामने आकर उनसे बहस करने की चुनौती दे डाली है।

आपको बता दें कि राबड़ी देवी का यह खुलासा लालू प्रसाद यादव की हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा में किए गए दावे के बाद हुआ है। इस आत्मकथा में कहा गया है कि, नीतीश कुमार अपनी पार्टी को महागठबंधन में फिर से शामिल कराना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने प्रशांत किशोर को आरजेडी सुप्रीमो के पास अपना दूत बना कर भेजा था।

राबड़ी देवी ने आगे कहा, ‘मैं क्रोधित हो गई और उनसे जाने को कहा क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासघात के बाद मुझे उन पर कोई भरोसा नहीं रह गया था’। हालांकि, इसका जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में ऐसे कई संकेत दिये हैं जिसके बाद अब खुद राजद सुप्रीमो लालू यादव शक के कटघरे में नज़र आ रहे हैं। किशोर ने ट्वीट में लिखा है ‘जब कभी लालू जी चाहें उन्हें मेरे साथ मीडिया के सामने बैठना चाहिए क्योंकि इससे सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या प्रस्ताव दिया’। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लालू यादव पर झूठे दावे करने के लिए भी जम कर बरसे और यह ट्वीट किया, ‘जो पद और धन के दुरुपयोग के आरोपों का सामना कर रहे हैं या दोषी साबित हुए हैं, वह सच्चाई के सरंक्षक होने का दावा कर रहे हैं।

https://twitter.com/PrashantKishor/status/1116889129285869568

प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद राबड़ी देवी के पुत्र और राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी अपने एक बयान में कहा है कि जेडीयू राजद में अपने विलय की कोशिशों के बाद कांग्रेस के साथ भी जाना चाहती थी। हालांकि, वहां भी उनकी कोई दाल नहीं गल पाई। राजद नेता राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के इन बयानों में कोई तथ्य नज़र नहीं आते, और ना ही ये बयान तर्कसंगत लगते हैं। दरअसल, नितीश कुमार ने जुलाई 2017 में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद राजद का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था, जो कि राज्य के विधानसभा चुनावों में 53 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी, और वे दोबारा एनडीए की तरफ से मुख्यमंत्री बने थे।

भाजपा का बिहार में जनाधार मजबूत माना जाता है, और जेडीयू के साथ आने की वजह से बिहार में एनडीए किसी भी गठबंधन की चुनौती से डटकर मुक़ाबला करने की क्षमता रखता है, ऐसे में भला नितीश कुमार को कांग्रेस जैसी कमजोर और बहुत कम जनाधार वाली पार्टी में विलय करने से क्या फायदा होता? वहीं दूसरी तरफ पार्टी के सुप्रीमो के जेल में होने की वजह से और यादव परिवार में अंदरूनी कलह के कारण राजद भी इस चुनाव प्रचार में अपना खास प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं हो पाई है, जिसके कारण खुद राजद की मुश्किलें बढ़ी हुई नज़र आ रही हैं। ऐसे में राबड़ी देवी के आरोपों के मुताबिक नितीश कुमार का राजद में विलय का प्रस्ताव की बात करना बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं लगता।

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