लोकसभा चुनावों से पहले राजस्थान में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। वह इसलिए क्योंकि राजस्थान में आरएलपी ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है। बीजेपी ने आज राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) से गठजोड़ होने की घोषणा कर दी है। आरएलपी जाट नेता हनुमान बेनीवाल की पार्टी है जो करीब 9 सीटों पर अपना प्रभाव रखती है। भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से नागौर की सीट आरएलपी को दी है। इस सीट पर विधायक हनुमान बेनीवाल खुद चुनाव लड़ने वाले हैं। राज्य की बाकी सीटों पर हनुमान बीजेपी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे। इस गठबंधन को लेकर राजधानी जयपुर के बीजेपी मुख्यालय पर दोनों पार्टियों की ज्वाइंट प्रेस कांफ्रेंस हुई है। इस कांफ्रेस को बीजेपी के लोकसभा चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर और हनुमान बेनीवाल ने संबोधित किया।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जावड़ेकर ने बताया कि लोकसभा चुनाव के लिए यह गठजोड़ किया गया है जिसके तहत पार्टी राज्य की नागौर सीट आरएलपी को देगी। बदले में आरएलपी राजस्थान के साथ-साथ पड़ोसी हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व दिल्ली जैसे राज्यों में भाजपा को समर्थन देगी और उसके प्रत्याशियों को जिताने में मदद करेगी।
‘एक ही लक्ष्य मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाना’
वहीं हनुमान बेनीवाल ने कहा कि राष्ट्रहित, किसानों और युवाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी से हाथ मिलाया है ताकि नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाया जा सके। एनडीए में शामिल होने पर हनुमान बेनीवाल ने कहा, ‘राष्ट्रहित हमारे लिए सर्वोपरि है। आरएलपी के लिए नागौर सीट छोड़ी है। 24 सीटों के साथ हरियाणा, पश्चिमी यूपी और पंजाब के इलाके में भी आरएलपी के कार्यकर्ता मोदीजी को पीएम बनाने के लिए अपनी ताकत लगा देंगे। सत्ता में रहने के लिए कांग्रेस ने देश को लूटने का काम किया है। राजस्थान में 25-0 का रिजल्ट आएगा और कांग्रेस का सूपड़ा फिर साफ करेंगे।’ पीएम मोदी की तारीफ करते हुए बेनीवाल ने कहा, ‘दिल्ली में कोई तीसरा मोर्चा नहीं नजर आ रहा था। मैं शुरू से बीजेपी में था। पाकिस्तान और चीन का कोई इलाज कर सकता है तो वह नरेंद्र मोदी हैं। अभी एक ही लक्ष्य है नरेंद्र मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाना।’
कौन हैं हनुमान बेनीवाल
बता दें कि, जाट समुदाय से आने वाले आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल खुद वर्तमान में खींवसर सीट से विधायक हैं। बेनीवाल छात्र राजनीति से ही सियासत में सक्रिय हैं। 2008 में भाजपा के टिकट से खींवसर से विधायक बनने के बाद वसुंधरा राजे से खिलाफत करने पर बेनीवाल को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद 2013 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की। बताया जाता है कि, हनुमान बेनीवाल की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नहीं बनती है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) का गठन किया था। उनकी पार्टी ने इस चुनाव में तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी।
9 लोकसभा सीटों पर होगा फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार राजस्थान की करीब 9 लोकसभा सीटों पर हनुमान बेनीवाल की पार्टी का असर है। राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी मारवाड़ी क्षेत्र के नागौर, बाड़मेर, जोधपुर, जालोर, पाली और सीकर जिलों में बेनीवाल की पार्टी का जनाधार माना जाता है। इस बेल्ट की कई सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में माने जाते हैं। बेनीवाल के आने से भाजपा को इस क्षेत्र की लोकसभा सीटों पर चुनावी फायदा मिल सकता है। इसके अलावा हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी इस जाट नेता के जरिए भाजपा जाट वोटों में सेंध लगा सकती है।
कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकराया
गौरतलब है कि, बेनीवाल कुछ दिन पहले तक कांग्रेस तथा तीसरे मोर्चे के दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे। बीजेपी में आने से पहले बेनीवाल कांग्रेस का गठबंधन का प्रस्ताव भी ठुकरा चुके हैं। हनुमान बेनीवाल कांग्रेस से 7 सीटें मांग रहे थे लेकिन कांग्रेस आरएलपी को केवल 3 सीटें ही देने को तैयार थी। इसके बाद बेनीवाल ने कांग्रेस का गठबंधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया। बेनीवाल द्वारा प्रस्ताव ठुकराने पर कांग्रेस ने नागौर सीट से डॉ. ज्योति मिर्धा को टिकट दे दिया था। बता दें कि, नागौर से वर्तमान बीजेपी सांसद सीआर चौधरी का विरोध हो रहा था ऐसे में हनुमान बेनीवाल को इस सीट से उतारकर बीजेपी ने एक सियासी दांव भी खेला है। बेनीवाल का भाजपा में आना मनोवैज्ञानिक रूप से भी राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा महत्वपूर्ण साबित होगा।