राजदीप सरदेसाई ने की पीएम मोदी के बयान को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश

राजदीप मोदी हिंदू

PC: Jansatta

अपनी एजेंडावादी पत्रकारिता कर वामपंथी गुट की आंखों का तारा बन चुके पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अब पीएम मोदी के एक बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करके उन पर हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करने का आरोप लगाया है। दरअसल, राहुल गांधी के वायनाड ने चुनाव लड़ने के फैसले पर तंज कसते हुए पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के वर्धा में अपनी एक रैली में कहा था कि वे देश की बहुसंख्यक आबादी से इतना डरते हैं कि उन्होंने अपने लिए ऐसी सीट खोजी है जहां पर बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक है। उन्होंने यह भी कहा था कि लगातार कांग्रेस के हिन्दूविरोध के कारण अब देश के हिंदू कांग्रेस को सबक सिखाने के मूड में हैं। लेकिन पीएम मोदी के इस बयान को पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया और ट्वीट कर लिखा कि पीएम मोदी अपने विकास के एजेंडे को भूलकर अब हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करने लगे हैं, परन्तु सच्चाई यह है कि पीएम मोदी ने एक बार भी मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। यहां तक कि उन्होंने अप्रत्यक्ष तरीके से भी मुस्लिमों की कोई बात नहीं की। उन्होंने सिर्फ कांग्रेस की हिन्दुओं के प्रति गंदी राजनीति को सामने रखा था।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने शुरू से ही देश के हिन्दुओं को बदनाम करने का काम किया। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे का उदाहरण देते हुए कहा था कि उन्होंने तो भाजपा एवं आरएसएस पर हिन्दू आतंकवाद फ़ैलाने का आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस के इन नेताओं ने हिन्दुओं की 5 हजार साल पुरानी संस्कृति को धूमिल करने की कोशिश की।‘

बतादें  कि वर्ष 2013 में केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भाजपा और आरएसएस पर तथाकथित हिन्दू-आतंकवाद को फ़ैलाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद इस बयान पर उनको माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी। इस संदर्भ में उन्होंने एक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा “कांग्रेस के नेता कान खोलकर सुन लें – हिन्दू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता। हिन्दू आतंकवाद का झूठ फैलाने का पाप कांग्रेस ने किया है और अब इतना डर लगने लगा है कि सीट बदलनी पड़ी है….यह डर अच्छा है। कांग्रेस की पराजय पक्की है।“

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने इसमें भी हिन्दू-मुस्लिम का एंगल खोज निकाला। उन्होंने ट्वीट किया “आज की खबर, पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर ऐसी सीट पर भागने का आरोप लगाया जहां बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक है। क्या हम दोबारा हिन्दू-मुस्लिम राजनीति की तरफ बढ़ रहे हैं? इस ध्रुवीकरण से किसको फायदा पहुंचेगा? जाहिर है कि अगर यहां कोई हिन्दू-मुस्लिम की बात कर रहा है तो वह पीएम मोदी नहीं बल्कि खुद राजदीप सरदेसाई हैं जो अपने डिबेट शो पर टीआरपी बंटोरने के लिए अक्सर ऐसे संवेदनशील मुद्दों की ताक में रहते हैं।

लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब राजदीप सरदेसाई ने अपने एजेंडे को साधने के लिए झूठी खबरों सच का सहारा लिया हो। इससे पहले वे रोबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्ति को लेकर हास्यास्पद रिपोर्टिंग पर अपनी फ़ज़ीहत करवाने का काम भी करवा चुके हैं। वाड्रा परिवार को बेक़सूर साबित करने ले लिए उन्होंने बड़े ही नाटकीय ढंग से खबर चलाई कि जिस बेनामी सम्पत्ति को लेकर मोदी सरकार रोबर्ट वाड्रा के खिलाफ जांच कर रही है, उस सम्पत्ति के दस्तावेजों पर रोबर्ट वाड्रा का नाम ही नहीं है। यहां उनको यह बात समझने में काफी कठिनाई हुई थी कि किसी व्यक्ति द्वारा खरीदी गई संपत्ति, जो उसके नाम पर नहीं हो, बेनामी संपत्ति कहलाती है। ऐसी संपत्तियां हमेशा किसी और के नाम पर पंजीकृत होती हैं। इसलिए दस्तावेजों पर उनका नाम ना होना ही सबसे बड़ा सबूत था कि वाड्रा परिवार ने कोई घोटालेबाजी की है।

कई मौकों पर राजदीप सरदेसाई की पत्रकारिता में दोहरे मापदंड हमें साफ नज़र आते हैं। एक तरफ तो वे भाजपा के नेताओं के बयानों को तोड़-मरोड़ कर उनमें अपना एंगल डालने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के नेताओं के खुलेआम सांप्रदायिक बयानों पर वे लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। कांग्रेस नेता एवं यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल देश के तमाम मुस्लिमों से अपील की कि वे भाजपा के लिए वोट न दें। उन्होंने दिल्ली के शाही इमाम से अपनी मुलाकात में इस बात पर जोर दिया कि देश के तमाम मुसलमान भाजपा के लिए बिल्कुल भी वोट ना करें क्योंकि पीएम मोदी देश में साम्प्रदायिकता फैलाते हैं। लेकिन क्रांतिकारी पत्रकार राजदीप को सोनिया गांधी के इन बयानों में कोई साम्प्रदायिकता नज़र नहीं आती। पत्रकारिता का ऐसा निम्न स्तर अति निंदनीय है और किसी भी लोकतंत्र के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

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