‘अब 370 खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा’: राजनाथ

PC: oneindia

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह विपक्ष पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि जो देश को बांटना चाहते हैं और देशविरोधी कानून खत्म करना चाहते हैं वो सफल नहीं होंगे। भारतीय जनता पार्टी सत्ता में दुबारा आने के बाद राजद्रोह के कानून को और भी सख्त बनाएगी। इसके साथ ही देश में दो प्रधानमंत्री बनाये जाने की बात को लेकर भी उन्होंने विपक्ष पर हमला बोला।

शुक्रवार को गुजरात में कच्छ जिले के गांधी धाम शहर में शुक्रवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं, क्या हमें उन देशद्रोहियों को माफ कर देना चाहिए जो हमारे देश की एकता और सामाजिक तानेबाने को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं?” राजनाथ सिंह ने आगे कहा,”यदि हमारा बस चले तो राष्ट्रद्रोह (कानून) को और कड़ा बनाएंगे, जिससे इसकी याद आने पर लोगों की रूह कांप जाए।“

इसके बाद राजनाथ ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान पर भी कटाक्ष करते हुए कहा,“जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में दो प्रधानमंत्री होने चाहिए, एक जम्मू-कश्मीर के लिए और दूसरा भारत के लिए, मैं उन्हें चेतावनी देता हूं कि यदि भारत में दो प्रधानमंत्री की मांग की जाती है तो हमारे पास आर्टिकल 370 और 35ए को हटाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा।“राजनाथ सिंह यही नहीं रुके उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू को कश्मीर संकट के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “यदि पंडित नेहरू ने सरदार वल्लभभाई पटेल को इस मुद्दे को संभालने के लिए पूरी ताकत दी होती, तो ये मुद्दा उसी समय सुलझ गया होता।“

बता दें कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में देश द्रोह कानून 124 A हटाने के लिए कहा है। इसके साथ ही देश में उन अवैध अप्रवासियों को वैध करने की भी बात कही जो देश में आतंकी गतिविधियों में लिप्त होते हैं। यहां तक कि सेना को कमजोर करने के लिए आफ्सपा को भी हटाने की बता कही थी जिसके बाद से कांग्रेस का घोषणापत्र को लेकर सोशल मीडिया पर खूब रोष भी दिखा था। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने शुरू से ही देश की सेना और देश दोनों को मजबूत करने के प्रतिबद्धता को जाहिर करती है। इसके बाद जब भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में आर्टिकल 370 और 35 A को खत्म करने की घोषणा की थी ज्सिके बाद जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने इसकी खूब आलोचना की और देश में दो प्रधानमंत्री की बात कहने लगे।

वास्तव में कश्मीर को लेकर देश में बयानबाजी जारी है लेकिन हकीकत तो यही है कि यदि कश्मीर के विलय के समय 370 आर्टिकल और 35 A जैसी कुछ शर्तें नहीं होती तो ये आज कश्मीर में अलगाववादी इतने न होते। कांग्रेस ने अपने शासनकाल में देश की सुरक्षा व्यस्था, अर्थव्यवस्था और कई विकासशील मुद्दों पर गौर को ज्यादा महत्व नहीं दिया था।

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