राम मंदिर निर्माण के समर्थन में सामने आया सुन्नी सोशल फोरम, कहा- भड़का रहे हैं आयातित घुसपैठिए मुस्लिम

राम मंदिर सुन्नी सोशल फोरम

PC : himachalabhiabhi

राम मंदिर निर्माण को लेकर मुस्लिम समुदाय ने अपनी सहमती दिखाई है। दरअसल, बुधवार को सुन्नी सोशल फोरम के दो दर्जन प्रतिनिधि राममंदिर का समर्थन पत्र लेकर रामनगरी पहुंचे और अपना समर्थन दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास को सौंपा। इसके साथ ही कहा कि भगवान राम हमारे पूर्वज थे और हम सभी राम मंदिर बनाये जाने का समर्थन करते हैं।

सुन्नी सोशल फोरम के संयोजक ठाकुर राजा रईस ने ये समर्थन पत्र महंत सुरेशदास को सौंपा। इस दौरान उन्होंने कहा भी कि ‘जैसे काबा के स्थान को बदला नहीं जा सकता, वैसे ही भगवान राम के जन्म स्थल को बदला नहीं जा सकता।‘ उन्होंने बताया कि मंदिर के समर्थन में 65 मुस्लिमों ने पत्र लिखा है और भविष्य में यह संख्या और ज्यादा हो सकती है। इस पत्र में ये भी कहा गया है कि भारतीय मुसलमान तो मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं लेकिन आयातित घुसपैठिए मुस्लिम ही भारतीय मुस्लिमों को भड़काकर कट्टरता फैला रहे हैं। पत्र में साफ़ कहा गया है कि जब यहां इस्लाम मजहब नहीं था उस समय भगवान श्रीराम ही हमारे पूर्वज थे। हिंदुस्तान में जब इस्लाम नहीं था और न ही कोई मस्जिद थी तब केरल के हिंदू राजा ने पहली मस्जिद तामीर की। इतिहास के मुताबिक बाबर के सिपाहसलार मीर बाकी ने हमारे नबी श्रीराम के मंदिर को तोड़कर एक अनाधिकृत ढांचा बना दिया था। यही नहीं इस पत्र में ये नारा भी दिया गया है कि ‘सनातन सत्य है। सत्य ही ईमान है, ईमान ही मुकम्मल मुसलमान है, कट्टरता नहीं।‘ सुन्नी फोरम के इस समर्थन का हिंदू पक्षकारों ने स्वागत किया है। वास्तव में मंदिर निर्माण के लिए मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से सामने आया ये समर्थन सराहनीय है जिन्होंने राम जन्मभूमि के महत्व को न सिर्फ समझा बल्कि अपने पूर्वज का भी सम्मान किया।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या विवाद का आठ हफ्तों में मध्यस्थता के जरिए हल निकालने का आदेश दिया था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी का गठन भी किया था। ऐसे में जिस तरह से मुस्लिम सोशल फोरम राम मंदिर के निर्माण के लिए सामने आ रहा है उससे तो यही लगता है कि सालों से चला आ रहा विवाद अब जल्द ही सुलझ जायेगा। हालांकि, कुछ ऐसे नेता भी हैं जो जानबुझकर अयोध्या मामले को विवादित रहने देना चाहते हैं। वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी जिसमें सरकार ने विवादित जमीन को छोड़कर बाकी जमीन को लौटाने की बात कही थी और इसपर जारी यथास्थिति हटाने के लिए कहा था।

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