आपने गौर किया होगा कि, कई सोसाइटीज में एक विशेष तरह की आंटी होती है जो अक्सर सुर्खियों में रहती है। उस सोसाइटी के लोगों की गॉसिप बिना इस आंटी की चर्चा के कभी पूरी नहीं होती। जी हां, आप सही समझ रहे हैं, मैं चुगलखोर आंटी की ही बात कर रहा हूं, जिसे खुद के अवगुण कभी नजर नहीं आते और हर एक के काम में नुक्ताचीनी करना उसका पसंदीदा शगल होता है। ऐसी ही एक शख्सियत मीडिया में भी है। नाम है रवीश कुमार। वामपंथ के इस सिपहसालार को जहां कहीं भी बीजेपी या दक्षिणपंथ की कोई अच्छी बात नजर आए तो इन्हें मिर्ची लग ही जाती है।
अब सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी और अक्षय कुमार का एक गैर राजनीतिक इंटरव्यू आने के बाद की रवीश कुमार की प्रतिक्रिया ही देख लीजिए। प्रतिक्रिया क्या है, उन्हें तो जोर की मिर्ची लग गई है। रवीश ने बकायदा इस पर प्राइम टाइम किया। सवाल यह खड़ा किया गया कि, आखिर प्रधानमंत्री ने गैर राजनीतिक इंटरव्यू दिया तो कैसे दिया? आखिर प्रधानमंत्री ने मीडिया के तमाम बड़े-बड़े वामी पत्रकारों को दरकिनार कर एक अभिनेता को इंटरव्यू दे कैसे दिया? और सबसे बड़ी आपत्ति रवीश कुमार की इस इंटरव्यू से जो थी, वो यह कि, अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री से यह कैसे पूछ लिया कि वे आम खाते हैं कि, नहीं।
तो प्रिय रवीश कुमार जी, मैं आपको जरा कुछ याद दिलाना चाहता हूं। ज्यादा पुरानी बात नहीं, बस कुछ दिनों पुरानी। आप बेगूसराय में कन्हैया के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे। सॉरी, चुनावी कवरेज कर रहे थे। इस दौरान आपने कन्हैया का एक इंटरव्यू भी किया था। 100 प्रतिशत राजनीतिक इंटरव्यू। इसमें आपने श्रीमान कुंवारे कन्हैया कुमार से पहला ही सवाल जो पूछा था, वह यह था कि, ‘आप कब शादी कर रहे हैं।’ तो रवीश जी, मैं आपके इस राजनीतिक इंटरव्यू के हवाले से पूछता हूं कि, क्या कन्हैया बेगूसराय में गली-गली फिरकर अपने लिए लड़की ढूंढ रहे थे, जो आपने उनसे यह सवाल किया। इस प्योर राजनीतिक इंटरव्यू में रवीश ने कन्हैया की तथाकथित सादा जीवनशैली का महिमामंडन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
अब वापस रवीश कुमार के हालिया गैर राजनीतिक प्राइम टाइम पर आते हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि, इस प्राइम टाइम से भले ही दर्शकों को कुछ नॉलेज ना मिले लेकिन, वे आम की लस्सी और ज्यूस बनाना जरूर सीख गए होंगे। दर्शकों को यह बहुत अच्छे से समझ में आ जाए इसके लिए उन्होंने यूट्यूब से आम के व्यंजनों से जुड़ी इंडियन और चाइनीज वीडियोज को काट-काट कर अपने प्राइम टाइम को अच्छे से सजाने की पूरी-पूरी कोशिश की। इसके लिए उन्हें 100 में से 90 नंबर तो दिये ही जाने चाहिए।
वहीं बातों ही बातों में अपने प्राइम टाइम में रवीश ने अपनी एक इच्छा भी जाहिर कर दी। वे बोले, ‘लोगों ने कहा कुमार (रवीश कुमार) को इंटरव्यू दे दीजिए तो वे अक्षय कुमार को ले आए।’ कहीं ऐसा तो नहीं कि, ये सब प्रधानमंत्री मोदी का इंटरव्यू नहीं कर पाने की खीझ हो! रवीश को यह भी तकलीफ थी कि, अक्षय ने पीएम मोदी का ही इंटरव्यू क्यों लिया विपक्ष के नेताओं का क्यों नहीं लिया। उन्होंने अपने प्राइम टाइम में ऐसा कहा भी।
प्रधानमंत्री मोदी से इंटरव्यू में अक्षय कुमार द्वारा सामान्य उत्सुकतावश पूछे गए हर वो गैर राजनीतिक सवाल जो अपनापन व प्रेम लिये हुए थे, रवीश कुमार को पता नहीं क्यों छलनी कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी का हाफ आस्तिन का कुर्ता पहनना, खुद से कपड़े धोना और प्रेस करने जैसी बातों पर व्यंग कसने की रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम में भरपूर कोशिश की। मगर प्रधानमंत्री के जीवन से जुड़ी जो बाते जनता के दिल में उतर चुकी हों, उनसे कैसे रवीश कुमार जनता को बरगला सकते थे। हुआ भी यही। रवीश का यह प्राइम टाइम आधे में ही दर्शकों को बोर करने लगा, उन्हें इस पर दर्शकों की तीखी टिप्पणियां मिली वो अलग।
अब रवीश ने प्राइम टाइम किया है तो जनता तो पूछेगी और वह पूछ रही है कि जब राजदीप सरदेसाई और शेखर गुप्ता ने सोनिया गांधी से सास-बहु के रिश्तों पर सवाल पूछे थे तब वे क्या कर रहे थे? और वह तो इंटरव्यू भी राजनीतिक था। तब उन्होंने क्यों नहीं प्राइम टाइम किया।
लेकिन, रवीश शेखर और राजदीप के उस राजनीतिक इंटरव्यू के लिए प्राइम टाइम में बात नहीं करेंगे उन्हें तो बस इस गैर राजनीतिक इंटव्यू से तकलीफ है। रवीश अपने प्राइम टाइम में कहते हैं कि, ‘चुनाव बहुत लंबा हो गया है, पॉलिटिक्स बहुत हो गई, रिपोर्टर भी थक गए हैं, अब राजनीति नहीं हो रही है, तो इस मौसम में राजनीति से हट जाते हैं, कुछ अलग करते हैं।’ बिल्कुल सही कह रहे हैं रवीश कुमार आप, अब आपकी प्रोपेगेंडा वाली पत्रकारिता से जनता ऊब चुकी हैं, अब आपको कोई नहीं देख रहा। ऐसे में दो ही ऑप्शन है- या तो ऐसे ही आम की लस्सी बनाना सिखाने वाले प्राइम टाइम कीजिए या फिर बोरिया बिस्तर बांध लीजिए।