रिटायर्ड आईएएस अधिकारी उमराव सलोदिया एक बार फिर नाम बदलने और अपने धर्म को लेकर चर्चा में आ गए है। मंगलवार को उन्होनें जयपुर से ‘बीएसपी प्रत्याशी’ के रूप में नामांकन दाखिल किया। नामांकन पत्र भरते समय उन्होनें अपना पुराना नाम ‘उमराव सलोदिया’ लिखा जिसके बाद राजनीतिक गलियारों और मीडिया में फुसफुसाहट शुरू हो गयी।
दरअसल, उमराव सलोदिया ने 3 साल पहले ही इस्लाम अपना लिया था और अपना नाम भी बदल लिया था। उन्होनें अपना नाम बदल कर ‘उमराव खान’ रख लिया था। लेकिन मंगलवार को बीएसपी से नामांकन पत्र भरते समय उन्होनें अपना नाम ‘उमराव सलोदिया’ लिखा। जब इसपर मीडिया ने जवाब मांगा गया तो उन्होनें सफाई देते हुए कहा कि नाम परिवर्तन के लिए अभी केंद्र सरकार से मंजूरी नही मिली है। लेकिन वो अपने नाम बदलने के फैसले पर कायम हैं और उनका नाम ‘उमराव खान’ ही है।
उमराव सलोदिया ने बताया कि वो केंद्र सरकार को पहले ही पत्र लिख चुके हैं लेकिन अभी तक कोई जवाब नही आया जिस कारण उन्हें पुराने नाम को ही नामांकन पत्र भरते समय इस्तेमाल करना पड़ा। आपको बता दें कि उमराव सलोदिया एसीएस और रोड़वेज के चेयरमेन भी रह चुके है। उन्होनें 31 दिसम्बर 2015 को इस्लाम अपनाने की घोषणा कर दी थी। धर्म परिवर्तन के साथ ही उन्होंने अपना नाम भी बदल लिया था।
सालोदिया का कहना है कि दलितों को अब तक अधिकार नहीं मिले इसलिए वे चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होनें कहा – “आजादी के बाद मैं पहला दलित आईएएस बना था। वरिष्ठता के आधार पर मुझे मुख्य सचिव बनाया जाना चाहिए था, जो नहीं बनाया गया।“ जिसका ठीकरा उन्होनें उस वक़्त केंद्र सरकार के सर पर फोड़ा था। मुख्य सचिव का पद ना मिलने से नाराज़ होकर उन्होनें अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद ही उनके धर्म परिवर्तन करने की खबर भी खूब चर्चा में थी।
आपको बता दें इससे पहले कांग्रेस में शामिल हुई अभिनेत्री उर्मिला मतोंडकर की भी शादी के बाद नाम बदलने की बात सामने आई थी। उर्मिला ने साल 2015 में कश्मीरी कारोबारी मोहसीन अख्तर मीर से शादी रचाई थी जिसके बाद ये कहा जा रहा था की उर्मिला ने शादी के बाद इस्लाम अपना लिया है। साथ ही अपना नाम भी बदल लिया था ऐसी चर्चा थी कि उन्होनें अपना नाम बदल कर ‘मरियम अख्तर मीर’ कर लिया है लेकिन उर्मिला ने भी अपना नामांकन पत्र भरते समय अपना नाम उर्मिला मतोंडकर ही लिखा था। साथ ही उन्होनें ये भी कहा कि उन्होनें अपना नाम नहीं बदला है।
पहले नाम बदल लेना, धर्म बदल लेना और बाद में राजनीति में अपना सिक्का जमाने के लिए वापस से पुराने धर्म पर आ जाना। चाहे उमराव सलोदिया हो या उर्मिला मतोंडकर धर्म बदलना तो जैसे खेल हो गया है। अगर अपना धर्म बदला है तो खुलकर अपनाएं और उसपर अमल भी करें जानबुझकर दुनिया को धोखे में क्यों रखना।