लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा को एक बड़ी खुशखबरी मिली है। भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सरथ चंद ने भाजपा को ज्वाइन कर लिया है। बीते शनिवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की उपस्थिती में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। स्वराज ने उनका पार्टी में स्वागत किया है। पूर्व सेनाध्यक्ष ने भाजपा में शामिल होंने का कारण भाजपा की देशहित की नीति को बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सेना के लिए बहुत कुछ किया है जिससे वे पार्टी से प्रभावित हुए हैं। पिछले वर्ष ही लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सरथ चंद सेना से रिटायर हुए थे।
Former Vice Army Chief Sarath Chand joins BJP, terms party as first choice for 'Fauji'
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— ANI Digital (@ani_digital) April 6, 2019
मीडिया से अपनी बातचीत में उन्होंने कहा ‘आज की वैश्विक परिस्थितियों के मुताबिक देश को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। मैं पीएम मोदी के नेतृत्व से बहुत प्रभावित हूँ, इसलिए भाजपा से जुड़ रहा हूँ’। आपको बता दें कि सरथ चंद ने जून 1979 में सेना की प्रतिष्ठित रेजीमेंट गढ़वाल राइफल्स को ज्वाइन किया था। उन्होंने अब तक सेना में रहते हुए देश को अपनी सेवाएँ दीं, लेकिन भाजपा में शामिल होंने के बाद अब वे एक राजनेता के तौर पर देश को अपनी सेवाएँ देते दिखाई देंगे।
पिछले काफी समय से भाजपा देश के सेवानिवृत सैनिक अधिकारियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र रहा है जो अपने आप में बहुत कुछ बयां करता है। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सरथ चंद से पहले पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह भी भाजपा को जॉइन कर चुके हैं। हालांकि सूची यहीं खत्म नहीं होती। ओलंपिक सिल्वर पदक विजेता और केंद्रीय राज्य खेल मंत्री कर्नल (रिटायर्ड) राज्यवर्धन सिंह राठौड़, खिलाड़ी और पूर्व पैरा-कमांडो मेजर सुरेंदर पूनिया, पूर्व कानपुर मेयर कैप्टन (रिटायर्ड) जगतवीर सिंह डरोना, मेजर जनरल (रिटायर्ड) बीसी खंदूरी, मेजर जनरल (रिटायर्ड) जेएफ़आर जैकोब जैसे सेवानिवृत सैन्य अधिकारी भाजपा जॉइन कर चुके हैं। इन सबके अलावा देहरादून के एक कार्यक्रम में मेजर जनरल (रिटायर्ड) के नेतृत्व में 9 सेना अफसरों ने भी भाजपा का दामन थामा था।
यहां इस बात पर गौर करना बेहद जरूरी है कि आखिर भाजपा ही देश के सैनिकों की पहली पसंद क्यों बनी हुई है? अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को पूरी करने के लिए ये अफसर और अधिकारी किसी भी पार्टी का दामन थाम सकते थे, और सभी पार्टियां इनका इतने ही ज़ोर-शोर से स्वागत करती, लेकिन भाजपा पर विश्वास जताना सेना के प्रति भाजपा की नीतियों की सफलता मानी जानी चाहिए। भाजपा के शासन के दौरान हमें सेना का एक अन्य रूप देखने को मिला है, जो सिर्फ मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की बदौलत हो पाया है।
भाजपा की केंद्र सरकार ने सेना को खुली छूट देने का काम किया है। पिछले 5 वर्षों में सेना इसी राजनीतिक इच्छाशक्ति के बल पर पाकिस्तान में घुसकर दो बार आतंकी ठिकाने ध्वस्त करने का साहस कर पाई। देश की सेना पहले से बेहद मजबूत रही है, लेकिन कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के चलते सेना को ऐसे ओपरेशन करने की इजाजत कभी दी ही नहीं गयी थी। मोदी सरकार के आने के बाद से सरकार द्वारा देश की सेना को सशक्त करने की ओर पहले से ज़्यादा जोर दिया गया है। बुलेट प्रूफ जैकेट का 9 साल से इंतज़ार कर रही सेना को 1 लाख 86 हजार जैकेट्स पिछले वर्ष ही मुहैया करवाई गयी थी। डोकलाम में चीन की बाजू मरोड़ना हो, या पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों का सफाया करना हो, हर क्षेत्र में भारतीय सेना पहले से ज्यादा आत्मविश्वास के साथ दुश्मनों का मुकाबला करती दिखी है, जिसके लिए मोदी सरकार बधाई की पात्र है। ऐसे में देश के सैनिकों द्वारा भाजपा पर विश्वास जताना तर्कसंगत है।