ईस्टर धमाके के बाद आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए श्रीलंका भारत से मांगी एनएसजी फोर्स की मदद

एनएसजी श्रीलंका

(PC: NDTV)

पिछले दिनों ईस्टर बम धमाकों से दहले श्रीलंका ने आतंकियों से निपटने में अब भारत से मदद मांगी है। श्रीलंका ने अनाधिकारिक चैनल के माध्यम से भारत सरकार को आग्रह किया है कि स्थानीय आतंकियों से निपटने के लिए उसे भारत के ‘राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड’ (एनएसजी) कमांडो की आवश्यकता है। हालांकि, भारत के आधिकारिक सूत्रों का यह कहना है कि अपने सिद्धांतों का पालन करते हुए भारत किसी अन्य देश में अपने सैनिक नहीं भेजेगा और इसके संबंध में वह श्रीलंका के आधिकारिक आग्रह का इंतज़ार कर रहा है। आधुनिक हथियारों से लैस भारत के ये एनएसजी कमांडो आतंकी हमलों से निपटने में माहिर माने जाते हैं। श्रीलंका के आग्रह के बाद भारत ने चेन्नई में लगभग 100 एनएसजी कमांडो को होल्ड पर रखा है।

गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक ‘आतंकी वारदातों के समय में एनएसजी की निपुणता की वजह से ही हमने एनएसजी कमांडो को होल्ड पर रहने के लिए कहा है। दिल्ली में मौजूद एनएसजी कमांडो के सीनियर्स को भी उनके साथ भेजा जाएगा। आतंक-विरोधी ऑपरेशन को अंजाम देने में माहिर ऐसे 100 कमांडोज़ को तैयार रहने के लिए कहा गया है। हालांकि एनएसजी कमांडोज़ को श्रीलंका भेजने के फैसले पर भारतीय और श्रीलंकन विदेश मंत्रालय साथ मिलकर विचार करेंगे’।

ईस्टर बम धमाकों के बाद श्रीलंका मदद के लिए अब भारत की ओर देख रहा है। आतंक के खिलाफ इस लड़ाई में श्रीलंका को भारत का पूरा साथ भी मिल रहा है। भारत ने इन आतंकी हमलों से पहले श्रीलंका को खूफिया सूचना भी दी थी। आतंक विरोधी लड़ाई में भारत की भूमिका को खुद श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने स्वीकार किया है। खूफिया सूचना को साझा करने के मुद्दे पर भी रानिल विक्रमसिंघे ने भारत का धन्यवाद किया।

आपको बता दें कि ईस्टर बम धमाकों के बाद श्रीलंका इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ अपना कड़ा रुख दिखा रहा है। धमाकों के संबंध में अब तक पुलिस द्वारा 106 संदिग्धों को पकड़ा गया है। पकड़े गए लोगों में एक अध्यापक समेत एक स्कूल प्रिंसिपल भी शामिल है। धमाकों के संबंध में आतंकी संगठन नेशनल तोहिद जमात को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस संगठन के तार आईएसआईएस से भी जुड़े पाये गए हैं।

इससे पहले इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी खबर में यह भी लिखा था की भारतीय खूफिया एजेंसी रॉ और आईबी की दो सदस्यों वाली टीम इस वक्त श्रीलंका में मौजूद है। आपको बता दें कि इन आतंकी हमलों से पहले भारतीय खूफिया एजेंसियों ने श्रीलंकाई एजेंसियों को तीन बार चेतावनी दी थी। पहली चेतावनी हमलों से लगभग एक महीने पहले दी गई थी जबकि आखिरी चेतावनी हमले वाले दिन कुछ घंटों पहले दी गई थी। इस पूरे मामले को देखने से यह साफ पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सुरक्षा तंत्र इतना मजबूत हो चुका है कि वह सिर्फ भारत के अंदर ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर भी कारगर है, यही कारण है कि श्रीलंका जैसे देश आज आतंक विरोधी लड़ाई में भारत को अपने अहम साझेदार के तौर पर देख रहे हैं।

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