बीते रविवार को श्रीलंका में हुए ईस्टर बम धमाकों के मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, अब इस बात का खुलासा हुआ है कि इन धमाकों से पहले भारतीय खूफिया एजेंसी ने श्रीलंकाई खूफिया एजेंसियों को संभावित हमलों की चेतावनी पहले ही जारी कर दी थी। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने श्रीलंकाई खूफिया अधिकारियों को कुल तीन बार इन हमलों के बारे में चेताया था। आपको बता दें कि श्रीलंका के होटल्स और चर्च में हुए हमलों में अब तक कुल 350 से ज़्यादा लोगों की मौत हो जाने की पुष्टि हो पाई है, इसके अलावा 500 से ज़्यादा लोगों के घायल हो जाने की खबर सामने आ चुकी है।
भारत द्वारा श्रीलंका को पहली बार खूफिया सूचना तब भेजी गई जब भारत की जांच एजेंसी एनआईए को कोयंबटूर आईएसआईएस मॉड्यूल की जांच करते वक्त नेशनल तोहीद जमात के सरगना मौलवी जहरन बिन हाशीम की कुछ वीडियो मिली थी। आपको बता दें कि श्रीलंका में हुए बम धमाकों में इसी आतंकी को मास्टरमाइंड माना जा रहा है। पहली चेतावनी में भारतीय एजेंसियों ने कहा था कि आतंकियों के निशाने पर कुछ चर्चों के अलावा राजधानी कोलंबो में मौजूद भारतीय दूतावास भी हो सकता है। अधिकारियों के मुताबिक, भारत ने दूसरा अलर्ट इन बम धमाकों से एक दिन पहले भेजा था जिसमें संभावित हमले के बारे में पहले अलर्ट के मुक़ाबले ज़्यादा जानकारी दी गई थी। इसके बाद भारत द्वारा तीसरा और आखिरी अलर्ट ईस्टर बम धमाकों से महज़ कुछ घंटों पहले दिया गया जिसमें आंतकियों द्वारा 3 चर्चों और 4 होटल्स को निशाना बनाया गया।
खुद श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने एनडीटीवी को दिये एक इंटरव्यू में बताया ‘भारत ने हमें खूफिया जानकारी दी थी, हालांकि हमारी तरफ से उसपर अमल करने में कोई चूक हो गई। हमारे यहां अधिकारियों तक यह चेतावनी ठीक से पहुंच नहीं पाई’। भारत द्वारा खूफिया सूचना दिये जाने के बाद भी श्रीलंका द्वारा इस पर कोई अमल आखिर क्यों नहीं किया गया, यह तो एक बहस का विषय है, हालांकि इस हमले के तुरंत बाद श्रीलंका में आंतरिक राजनीति शुरू हो गयी, जिसमें वहां के पीएम और प्रधानमंत्री ने एक दूसरे पर इसका आरोप मढ़ना शुरू कर दिया। देश के बड़े पदों पर बैठे हुए दो व्यक्तियों के बीच की राजनीति को इन आतंकी हमलों का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। हमले के अगले दिन सोमवार को श्रीलंकाई मंत्रियों ने राष्ट्रपति श्रीसेना पर इन अलर्ट्स को नकारने का आरोप लगाया था।
यह तो साफ है कि आईएसआईएस दक्षिण एशिया में अपनी पैठ जमाने के लिए ऐसे देशों को अपना निशाना बना रहा है, जिनमें सुरक्षा तंत्र विश्व स्तर का नहीं है। कुछ अहम खूफिया सूत्रों की माने तो भारत ने श्रीलंका की ही तरह बांग्लादेश को भी एक अलर्ट जारी किया हुआ है। आईएसआईएस इस क्षेत्र में नेशनल तोहीद जमात के माध्यम से बड़े पैमाने पर मुस्लिमों में कट्टरपंथ फैलाकर यहां एक ‘इस्लामिक राज्य’ स्थापित करना चाहता है। आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है, जिसके खात्मे के लिए सभी को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। सभी देशों को एक तरफ जहां पाकिस्तान जैसे आतंक-एक्सपोर्ट देशों का बहिष्कार करना चाहिए, तो वहीं आतंक-विरोधी इस लड़ाई में अपनी घरेलू राजनीति को परे रखकर एक दूसरे का पूरा सहयोग करना चाहिए।