राहुल गांधी को सुषमा स्वराज की नसीहत, कहा- ‘कृपया भाषा की मर्यादा न भूलें’

राहुल गांधी आडवाणी हिंदू

PC: Voice of Lucknow

‘जनेऊधारी’ हिन्दू राहुल गांधी ने कल पीएम मोदी को हिन्दुत्व का पाठ पढ़ाते हुए उनको नसीहत दी थी कि उन्हें अपने गुरु का तथाकथित निरादर नहीं करना चाहिए। हालांकि, हिन्दुत्व की रट लगाते-लगाते उन्होंने स्वयं अपनी भाषा की मर्यादा की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा था ‘पीएम मोदी ने अपने गुरु आडवाणी जी को स्टेज से जूता मारकर भगा दिया’। उनका इशारा भाजपा की तरफ से 91 वर्षीय नेता को टिकट ना दिये जाने की तरफ था। हालांकि उनकी अमर्यादित भाषा को लेकर भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर अपनी कड़ी नाराजगी जाहिर की है।

दरअसल, कल राहुल गांधी ने अपनी एक जनसभा के दौरान पीएम पर हमला बोलते हुए कहा ‘हिन्दू धर्म में गुरु-शिष्य का रिश्ता सबसे जरूरी होता है, पीएम मोदी ने आडवाणी जी को अपना गुरु बनाया लेकिन पीएम मोदी ने उनको स्टेज से उठाकर नीचे फेंक दिया, उन्होंने अपने गुरु को जूता मारकर स्टेज से भगा दिया’। कांग्रेस अध्यक्ष के इस निम्न स्तरीय बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया ‘राहुल जी- अडवाणी जी हमारे पिता तुल्य हैं। आपके बयान ने हमें बहुत आहत किया है। कृपया भाषा की मर्यादा रखने की कोशिश करें’।

इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक ब्लॉग लिखकर पार्टी के मूल सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए पार्टी को मजबूत करने की बात कही थी। उनके ब्लॉग का शीर्षक था ‘देश पहले, पार्टी बाद में, और खुद सबसे आखिर में’। हालांकि कांग्रेस ने उनके ब्लॉग को अपने फायदे के लिए हथियार बनाने की पूरी कोशिश की। राहुल गांधी के ‘राइट हैंड’ माने जाने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अति-उत्साहित होकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और दावा किया कि आडवाणी ने अमित शाह और पीएम मोदी की पोल खोलने का काम किया है। हालांकि, पीएम मोदी ने कांग्रेस की इस साजिश का जल्द ही भांडा फोड़ दिया। उन्होंने आडवाणी के ब्लॉग पर एक ट्वीट कर लिखा ‘आडवाणी जी ने अपने ब्लॉग ‘देश पहले, पार्टी बाद में, और खुद सबसे आखिर में’ के माध्यम से भाजपा के मूल सिद्धांतों का उल्लेख किया है। मैं अपने आप को खुशकिस्मत मानता हूं कि मैं उस पार्टी का कार्यकर्ता हूं जिसको आडवाणी जी ने कड़ी मेहनत से मजबूत किया है’।

आज राहुल गांधी बेशक लालकृष्ण आडवाणी के कथित अपमान को लेकर भाजपा पर हमलावर हो रहे हैं, लेकिन अपने वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करने के मामले में खुद कांग्रेस पार्टी का इतिहास राहुल गांधी को चुप कराने के लिए काफी है। कांग्रेस पार्टी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिंहा राव के मृत शरीर का अपमान करने की घटना को भला कौन भूल सकता है? कांग्रेस के ही एक पूर्व नेता मारग्रेट अल्वा के मुताबिक 23 दिसंबर 2004 को जब उनका देहांत हुआ तो उनके मृत शरीर को ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के परिसर में नहीं आने दिया गया, उनके मृत शरीर को बाहर फुटपाथ पर रखना पड़ा था।

राहुल गांधी की माताजी सोनिया गांधी भी एक बड़े कांग्रेस के नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सीताराम केसरी का घोर अपमान कर पार्टी की अध्यक्ष बनी थीं। केसरी उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष थे। मार्च 1998 में सोनिया गांधी के समर्थकों द्वारा उनको उनके दफ्तर के बाथरूम में बंद कर दिया गया था, क्योंकि सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनना चाहती थीं, और केसरी पार्टी की अध्यक्षता छोडना नहीं चाहते थे। जब केसरी बाहर निकले, तो उनको अपने दफ्तर के बाहर नाम की जगह सोनिया गांधी के नाम की नेमप्लेट लगी मिली थी। इसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी अब 91 वर्ष के हो चुके हैं, और भाजपा का उनको इस आयु में कोई पदाभार ना देना तर्कसंगत भी लगता है। ऐसे में राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं नज़र आती। राहुल गांधी को उनकी खुद की पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के अनादर पर विचार करने की जरूरत है। बड़े नेताओं के प्रति अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल से कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी पार्टी की परंपरा को ही आगे बढ़ाने का काम किया है।

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