लोकसभा चुनाव से पहले ही राजद को बड़ा झटका लगा जब लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके लालू राबड़ी मोर्चा का गठन का ऐलान किया। इससे पहले अपने पसंद के व्यक्तियों को लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल का टिकट नहीं मिलने के कारण तेज प्रताप ने छात्र आरजेडी के संरक्षक पद से इस्तीफ़ा दिया था। सोमवार को तेज प्रताप ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान करते हुए कहा, “सारण मेरे पिता लालू जी और मां राबड़ी जी की सीट है। मैं अपनी मां से हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि वह खुद वहां से चुनावी मैदान में उतरें। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं एक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडूंगा और इसे जीतने की पूरी कोशिश करूंगा।” ये वही सीट है जहां से राजद ने तेजप्रताप के ससुर चंद्रिका राय को टिकट दिया है।
Tej Pratap Yadav announces his 'Lalu-Rabri Morcha' will contest 20 seats in Bihar.
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दरअसल, लालू यादव की अनुपस्तिथि में उनके बड़े तेज प्रताप यादव और छोटे बेटे व बिहार में पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच तकरार बढ़ गई है। पिता की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव पार्टी की कमान संभाल रहे हैं लेकिन तेज की मर्जी पार्टी में नहीं चल पा रही है जिससे वो नाराज हैं। अब ये तकरार इतनी बढ़ चुकी है कि तेज ने नयी पार्टी लालू-राबड़ी मोर्चा बनाने की घोषणा तक कर दी। यही नहीं अब उन्होंने लालू-राबड़ी मोर्चा के तहत तेज प्रताप ने राज्य में 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात भी कही है। वहीं, 4 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर चुके हैं। उन्होंने बेतिया से राजन तिवारी, शिवहर से अंगेश सिंह, जहानाबाद से चंद्रप्रकाश यादव और हाजीपुर से बालेन्द्र दास के नाम की घोषणा की है। तेज प्रताप ने ये भी दावा किया है कि उन्होंने जिन उम्मीदवारों के नाम घोषित किये हैं वो सभी निष्ठावान कार्यकर्ता हैं। यही नहीं एक निजी चैनल पर बता करते हुए तेज प्रताप ने ये तक कहा कि ‘तेजस्वी यादव चापलूसों से घिरे हुए हैं।’
वैसे ये आज नहीं तो कल होना ही था जिस तरह से तेज और तेजस्वी के बीच तकरार बढ़ रहा था उससे दोनों भाइयों के बीच दरार आनी ही थी। दरअसल, यादव परिवार में तेजस्वी को ज्यादा तवज्जों दी जाती है और उनपर ज्यादा भरोसा भी किया जाता है। तभी तो लालू यादव की अनुपस्थिति में तेजस्वी पार्टी को संभाल रहे है। हालांकि, तेजप्रताप और तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी ने हमेशा ये कोशिश की है तेज प्रताप को कभी ऐसा न लगे की कि उनकी उपेक्षा हो रही। फिर भी तेज इस बात को अच्छे से जानते और समझते हैं। कई बार वो सोशल मीडिया पर अपने दर्द को बयां भी कर चुके हैं।
https://twitter.com/TejYadav14/status/1111229882535694337
यही नहीं जब उनके पसंदीदा उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने छात्र आरजेडी के संरक्षक पद से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही उन्होंने यह भी लिखा था कि “नादान हैं वो लोग जो मुझे नादान समझते हैं। कौन कितना पानी में है सबकी है खबर मुझे।“ इसके एक दो दिन बाद ही उन्होंने नए मोर्चे के गठन की घोषणा भी कर दी।
खैर, अब जब ये तकरार सामने है और तेज ने अलग होकर चुनाव् लड़ने की घोषणा भी कर दी है तो जाहिर है इसका प्रभाव बिहार के गठबंधन पर भी जरुर पड़ेगा। या यूं कहें कि तेज प्रताप ने बिहार के राजनीतिक खेल को एक नया मोड़ दे दिया है। इससे उनके राजनीतिक भविष्य पर तो असर पड़ेगा ही साथ ही महागठबंधन पर भी असर पड़ेगा। इससे बिहार में यादवों का वोट बंटेगा।
उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ था जहां अखिलेश यादव से नाराज चल रहे मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था। बिहार में तेज ने अब अलग होकर चुनाव लड़ने की बात कही है। स्पष्ट है इन दोनों ही राज्यों में यादवों का वोट बंटेगा जिसका असर लोकसभा चुनाव के नतीजों में साफ नजर आयेगा।