आतिशी, आम आदमी पार्टी और पर्चे बंटवाने का पोलिटिकल स्टंट

आम आदमी पार्टी आतिशी मर्लेना गौतम गंभीर

PC: ThePrint Hindi

आज छठे चरण के मतदान के तहत दिल्ली की सभी सातों सीटों पर मतदान जारी है। ऐसे में राजधानी का राजनीतिक तापमान अपने चरम पर है। दिल्ली की ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट अब पूरी तरह हॉट सीट में बदल चुकी है। पिछले दिनों यहां से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार आतिशी मार्लेना ने एक प्रेस वार्ता के जरिए भाजपा उम्मीदवार गौतम गंभीर पर उनके खिलाफ आपत्तिजनक नोट्स बटवाने का आरोप लगाया था। प्रेस वार्ता के दौरान आतिशी बेहद भावुक लग रही थी और वे फूट-फूट कर रो भी पड़ी थी। हालांकि, हैरानी की बात तो यह है कि इस घटना के 3 दिन बीत जाने के बाद भी आम आदमी पार्टी या आतिशी मार्लेना की तरफ से इस मामले में कोई एफ़आईआर दर्ज़ नहीं करवाई गई है। इसके अलावा गौतम गंभीर द्वारा मुंहतोड़ जवाब मिलने के बाद भी आतिशी मार्लेना ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आम आदमी पार्टी के विवादित इतिहास को देखते हुए इस मामले में भी अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी द्वारा चुनावी स्टंट करने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।  

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आतिशी मार्लेना ने अपनी प्रेस वार्ता में कहा था कि गौतम गंभीर के इशारे पर उनके खिलाफ ईस्ट दिल्ली के कुछ इलाकों में आपत्तिजनक नोट्स बांटे गए। इसके जवाब में गौतम गंभीर ने उनको इन आरोपों को सिद्ध करने की चुनौती दी थी, और यह कहा था कि अलग यह आरोप सिद्ध होते हैं तो वे अपनी उम्मीदवारी को तुरंत वापस ले लेंगे। हालांकि,यह सब होने के बावजूद आम आदमी पार्टी द्वारा इस मामले की जांच के लिए पुलिस में कोई शिकायत नहीं करवाई गई। इस मामले की जानकारी पार्टी की समर्थक मानी जाने वाली दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाती मालीवाल को देकर आम आदमी पार्टी द्वारा पल्ला झाड़ लिया गया, जबकि दूसरी तरफ गौतम गंभीर ने अपने उपर लगाए गए आरोपों पर तत्परता दिखाते हुए आतिशी मार्लेना, अरविंद केजरीवाल और मनीष सीसोदिया के खिलाफ मानहानि का नोटिस भेजा है। अब इस पूरे मामले से इस बात की आशंका काफी बढ़ जाती है कि सिर्फ पॉलिटिकल स्कोरिंग के लिए आप द्वारा यह सब कुछ किया गया हो। 

सुर्खियां बटोरने के लिए आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा ऐसे हथकंडे अपनाए जाने का इतिहास बहुत पुराना रहा है। वर्ष 2013 में जब आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के मुस्लिम विधायकों के खिलाफ उनके इलाकों में जाकर पोस्टर लगवाए थे, तो भी अरविंद केजरीवाल ने उनको भाजपा का एजेंट घोषित कर दिया था। केजरीवाल ने तो यहां तक आरोप लगाए थे कि यह सब कुछ एक अमानतुल्लाह नाम के व्यक्ति ने किया है, हालांकि बाद में बड़ी ही बेशर्मी से आम आदमी पार्टी द्वारा उसी अमानतुल्लाह को पार्टी की ओर से विधायक का टिकट दे दिया गया और आज वही शख्स आप की तरफ से दिल्ली विधानसभा में विराजमान है। इस घटना के अलावा केजरीवाल की थप्पड़ पॉलिटिक्स भी सबके सामने है, जिसके तहत वे ठीक चुनावों से पहले अपने आप को एक पीड़ित के रूप में दिखाने की कोशिश करते हैं।

इन घटनाओं से तो यही लगता है कि गौतम गंभीर पर विवादित पर्चे बंटवाने का आरोप भी आम आदमी पार्टी का एक पोलिटकल स्टंट ही है। हालांकि, सुर्खियां बटोरने की कोशिश करने के एक्सपर्ट बन चुके केजरीवाल को यह समझ लेना चाहिए कि देश के वोटर्स को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। चुनावों के नतीजे आने से पहले ही अरविंद केजरीवाल ने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही आम आदमी पार्टी का देश के लोकतंत्र का इस तरह मज़ाक बनाना बेहद निंदनीय है।

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