आखिरी चरण के चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए जोरदार चुनाव प्रचार किया। जैसा कि हम सभी जानते हैं पीएम मोदी का अंदाज अन्य पार्टियों के नेताओं की तुलना में सबसे हटकर होता है। जब सभी लोग छुट्टियां मनाने बाहर जाते हैं तब पीएम मोदी उन चीजों को ज्यादा महत्व देते हैं जो ख़ास होती हैं। ऐसा ही कुछ अब हमें चुनाव प्रचार की रफ़्तार पर रोक लगने के बाद देखने को मिला। दरअसल, पीएम मोदी लोकसभा चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान वो बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पूजा-अर्चना के लिए केदारनाथ और बद्रीनाथ जायेंगे।
जून, 2013 में केदारनाथ में जलप्रलय आने से एक खौफनाक मंजर देखने को मिला था। इस जल प्रलय में 197 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 236 लोग घायल हुए थे जबकि 4021 लोग तबाही के बाद से गायब थे। साल 2013 में जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तबसे ही वो केदारनाथ में आई आपदा के बाद पुनर्निर्माण पर लगातार नजर बनाये हुए हैं। केदारनाथ के पुनरुत्थान का जिम्मा संभालने के बाद पीएम मोदी ने केदारनाथ गुफा के पुनर्निर्माण के निर्देश भी दिए थे। यही नहीं साल 2017 में कपाट खुलने के मौके पर पीएम मोदी ने प्रथम भक्त के तौर पर बाबा केदार के दर्शन कर रुद्राभिषेक भी किया था। उस समय एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि “मैं यहां आया हूं ताकि पीड़ितों के लिए जो बन सके वो कर सकूं। मैं मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से मिला था और कहा था कि केदारनाथ के पुनर्निमाण में गुजरात सरकार सहयोग करना चाहती है। मुलाक़ात के समय तो वो मान गये थे और बाद में ये खबर मीडिया में भी छा गयी थी। लेकिन जैसे ही ये खबर दिल्ली की कांग्रेस सरकार तक पहुंची, वो परेशान हो गई। इसके तुरंत राज्य सरकार ने बयान दिया कि उन्हें गुजरात सरकार की मदद की जरूरत नहीं है और कांग्रेस ने गुजरात सरकार (2013 में) की ओर से राहत के लिए 5 करोड़ रुपये के चेक लेने से मना कर दिया था।
चुनाव प्रचार थमने के बाद अन्य पार्टियों के नेताओं की तरह देश से बाहर छुट्टियां मनाने की बजाय सिर्फ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी सोमनाथ मंदिर का रुख किया है, इसके बाद वो रविवार को बद्रीनाथ जायेंगे। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर कुछ सम्मेलनों और आयोजनों में भाग लेने के लिए अमेरिका रवाना हो गये हैं। राहुल गांधी भी छुट्टियां मनाने विदेश अक्सर जाते रहते हैं। हां, चुनावी मौसम में जरुर वो मंदिरों में नजर आ जाते हैं। इससे बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्या अंतर है वो साफ़ नजर आताहै। जहां एक तरफ पीएम मोदी और अमित शाह अध्यात्म से जुड़ने के लिए तीर्थस्थलों का चुनाव कर रहे हैं और मंदिर में पूजा अर्चना करना पसंद कर रहे हैं ..तो दूसरी तरफ, विपक्षी नेताओं ने विदेश जाने का विकल्प चुना।
बता दें कि लोकसभा के आखिरी चरण में यूपी की 14 और मध्य प्रदेश की 8 सीटों पर मतदान होने हैं। इससे पहले ही मध्य प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका रखने वाले सिंधियां भी देश से बाहर हैं। इस तरह से मौका मिलते ही देश से बाहर जाना ये भी दर्शाता है कि पार्टी को बड़ी हार का अंदाजा पहले ही हो गया है। पार्टी के नेता इसलिए भी देश से दूर गये हैं ताकि हार के समय की स्थिति का सामना करने से बच सकें। वैसे भी राहुल गांधी और उनके परिवार का तो देश से बाहर छुट्टियां मनाने का इतिहास रहा है। ऐसे में पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी गांधी परिवार के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा को पूर्ण भरोसा है कि इस बार वो देश में भारी बहुमत के साथ सत्ता में दुबारा लौटेंगे। हालांकि, नतीजे सामने आने के बाद ही ये साफ़ हो सकेगा कि किस पार्टी के सर पर जीत का ताज सजेगा।