प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण के मात्र एक दिन पहले ही पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह साफ कर दिया है कि वे अब आने वाली सरकार में मंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहते हैं। अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए उन्होंने पीएम मोदी से उनको मंत्रिमंडल में शामिल ना करने की गुजारिश की है। जेटली की खराब सेहत होने की वजह से पहले से ही यह अटकलें लगाई जा रही थी। उन्होंने खराब सेहत की वजह से इस साल का अन्तरिम बजट भी पेश नहीं किया था। जेटली ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर अपनी यह इच्छा जाहिर की। साफ है कि पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में तो उन्हें वित्त मंत्री बनने का मौका नहीं मिलेगा, लेकिन पिछले पांच सालों के दौरान उनके किए गए कार्यों की वजह से उन्हें आज़ाद भारत के इतिहास में सबसे सफल वित्त मंत्री के रूप में याद रखा जाएगा।
I have today written a letter to the Hon’ble Prime Minister, a copy of which I am releasing: pic.twitter.com/8GyVNDcpU7
— Arun Jaitley (@arunjaitley) May 29, 2019
अरुण जेटली के कार्यकाल में भारतीय सरकार ने कई उपलब्धियों को हासिल किया जिसमें वस्तु एवं सेवा कर को सफलतापूर्वक लागू करना, आईबीसी कानून को पारित करवाना, रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट लेकर आना शामिल रहा है। जीएसटी एक्ट को लाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण लगभग एक दशक तक रुका हुआ था। उन्होंने भारत के राज्यों के वित्त मंत्रियों को एकजुट कर जीएसटी को अंतिम रूप दिया। कांग्रेस शासन के विपरीत उन्होंने राज्यों में जीएसटी को लागू करने और इससे होने वाली मुश्किलों को गौर से समझा और फिर सभी को एक व्यापक समाधान दिया।
जीएसटी कानून को पारित करवाने के अलावा उनके कार्यकाल में इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड भी पारित किया गया। देश में रोजगार के ना बढ़ने का सबसे बड़ा यह कारण कि पूंजीवादी शासन होने के बावजूद हमारे पास कड़े कानून नहीं थे, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि बाजार को जिस कंपनी से नुकसान उठाना पड़ रहा है उसे बाहर किया जा सके। इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) को इस समस्या को हल करने के लिए लागू किया गया था। नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) की समस्या, जो बैंकों के लिए सिरदर्द बन गया था, उससे निपटने में इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड से काफी मदद मिली है और पब्लिक सेक्टर के बैंकों को अब अपना पैसा वापस मिल रहा है। मुंबई में संपत्तियों की बढ़ी कीमतें न्यूयॉर्क के लगभग बराबर होने की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर की समस्या काफी बढ़ चुकी थीं। करों से बचने के लिए भ्रष्ट व्यापारियों द्वारा अरबों डॉलर के काले धन को अचल संपत्ति में बदला जा रहा था। अरुण जेटली के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने रियल स्टेट सेक्टर में बढ़ती इस समस्या से निपटने के लिए रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (RERA) लागू किया।
जेटली की उपलब्धियों में नेट टैक्स की बढ़ोतरी भी शामिल है जो उनके कार्यकाल में लगभग दोगुनी हो गयी है। देश का कारोबारी सुगमता यानी ‘इज़ ऑफ डूंइंग बिजनेस रैंकिंग’ अभी तक के समय में सबसे उच्चतम रहा है और भारतीय बाज़ार को वैश्विक निवेशकों द्वारा दुनिया में सबसे अच्छा गंतव्य माना जा रहा है। आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे वैश्विक संस्थान तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए देश की प्रशंसा कर रहे हैं।यही कारण है कि अब उन्हें भारत के इतिहास में अब तक का सबसे उत्तम वित्त मंत्री माना जा रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में अरुण जेटली ने खराब सेहत होने के बावजूद अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।