एग्जिट पोल्स के नतीजे आने के बाद कांग्रेस की रातों की नींद पहले ही उड़ चुकी हैं, ऐसे में कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश राज्य से एक और बुरी खबर आ रही है। भाजपा ने राज्य के गवर्नर आनंदिबेन पटेल को एक चिट्ठी लिखकर यह दावा किया है कि कमलनाथ सरकार के पास विधानसभा में बहुमत नहीं है। भाजपा ने विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने की मांग भी की है। आपको बता दें कि पिछले वर्ष के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की 114 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि बहुमत के लिए 116 का आंकड़ा पार करना जरूरी था। बाद में कांग्रेस को बहुजन समाजवादी पार्टी के 2 और समाजवादी पार्टी के 1 विधायक का समर्थन मिला था। इसके अलावा कांग्रेस को 4 स्वतंत्र विधायकों का भी समर्थन मिला था, जिसके बाद कांग्रेस को कुल 120 विधायकों के समर्थन के साथ सदन में बहुमत हासिल हो गया था।
Madhya Pradesh Leader of Opposition & BJP leader Gopal Bhargava: We are sending a letter to Governor requesting an assembly session as there are a lot of issues. pic.twitter.com/CXTwNLXYOM
— ANI (@ANI) May 20, 2019
विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने दावा किया कि कांग्रेस के पास विधानसभा में बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा ‘कांग्रेस सरकार अपने-आप गिर जाएगी। मैं हॉर्स-ट्रेडिंग में विश्वास नहीं रखता लेकिन मुझे लगता है कि अब समय आ गया है, कांग्रेस सरकार को जल्द ही जाना होगा’। एक दिन पहले ही लोकसभा चुनावों के लिए राज्य के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आए थे। एग्जिट पोल्स के नतीजों में राज्य की 29 लोकसभा सीटों में से 24 सीटों पर भाजपा को बढ़त मिलते दिखाया था। सिर्फ पांच महीने पहले ही राज्य में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हुई थी, ऐसे में लोकसभा चुनावों में राज्य के वोटर्स द्वारा एकतरफा भाजपा का समर्थन करना कांग्रेस की नाकाबिलियत को दर्शाता है।
हाल ही के दिनों में मध्य प्रदेश में कांग्रेस और मायावती के बीच अविश्वास की स्थिति भी देखने को मिली थी। मायावती ने कांग्रेस को अपना समर्थन वापस लेने की धमकी भी दी थी। दरअसल, कुछ दिनों पहले गुना से बसपा विधायक लोकेन्द्र सिंह राजपूत ने पार्टी का दामन छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन करने का ऐलान किया था। इसके बाद मायावती ने कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप लगाया था, और कमलनाथ सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी।
बता दें कि परफॉर्मेंस के मामले में अब तक कमलनाथ सरकार का रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा है। अपने चुनावी वादों में कांग्रेस ने राज्य के सभी किसानों के कर्जमाफ़ी का ऐलान किया था। लेकिन सरकार बनने के बाद यह खबरें सामने आई थी कि किसानों को कर्जमाफ़ी के नाम पर ठगा जा रहा है और यहां तक कि उनके 13 रुपये तक का कर्ज़ माफ कर कांग्रेस सरकार द्वारा अपना पल्ला झाड़ा जा रहा है। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जारी अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह भी वादा किया था कि पार्टी अगर मध्य प्रदेश की सत्ता में आती है तो उनकी सरकार बेरोजगारों को हर महीने 10 हज़ार का भत्ता देने का काम करेगी, लेकिन सरकार बनने के बाद सिर्फ 4 हज़ार बेरोजगारी भत्ते को देने का ऐलान किया गया, जिसने सभी युवाओं को निराश किया था।
अब यह तो स्पष्ट नहीं है कि भाजपा किन तथ्यों के आधार पर कमलनाथ सरकार के पास बहुमत ना होने की बात कर रही है, लेकिन इतना साफ है कि भाजपा अपने दावों को लेकर काफी उत्साहित दिखाई दे रही है। यही कारण है कि भाजपा ने अब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग की है। अगर कमलनाथ सरकार विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने में नाकाम साबित होती है तो राज्य के लोग जल्द ही ‘मामा’ को दोबारा मुख्यमंत्री बनते देख सकते हैं।