2 सीटों से 303 सीटों तक का सफर, कुछ इस तरह हुआ भाजपा का उदय

बीजेपी

PC: BBC

अगर पार्टी का नेता मजबूत हो तो शानदार रणनीति के बल पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। 6 अप्रैल 1980 को स्थापित हुई बीजेपी आज दुनिया की सबड़े बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। साल 2014 से पहले जहां कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी थी, वहीं 2019 आते-आते पूरा इतिहास ही पलट गया। साल 1984 में जिस बीजेपी को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं, उसी पार्टी के खाते में अब की बार 303 सीटें आई हैं। पिछले 35 सालों के दौरान बीजेपी का वोट शेयर लगातार बढ़ता चला गया। एक तरफ बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई, तो दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार शून्य की ओर बढ़ती गई।

साल 1989 में हुए आम चुनाव के बाद से बीजेपी को बढ़त मिलना शुरू हुआ.. उस समय इस पार्टी को 85 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद वर्ष 1996 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी का शानदार प्रदर्शन जारी रहा और पार्टी 161 सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही। भाजपा के नेतृत्व में पहली बार केंद्र में सरकार बनी, और अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि, ये सरकार लंबे समय तक नहीं चल पाई और कांग्रेस ने दोबारा सत्ता पर कब्जा कर लिया। वहीं साल 1999 के चुनावों में बीजेपी को 182 सीटें हासिल हुई थीं। यह बीजेपी के लिए सबसे बड़ी सफलता थी, जिसने पार्टी में एक नया जोश भर दिया। खास बात यह है कि, ऐसा पहली बार हुआ जब किसी गैर कांग्रेसी सरकार ने केंद्र में पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया हो। इस आम चुनाव के बाद से बीजेपी ने अपनी रणनीति बदली और हर स्तर पर पार्टी ने पकड़ बनाना शुरू कर दिया। भाजपा के निरंतर जारी प्रयासों का ही यह नतीजा निकला कि साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने पहली बार लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया। 

2019 के लोकसभा चुनाव कई मायनों में खास रहा। पहली बार ऐसा हुआ कि, बीजेपी ने कांग्रेस से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा। अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बड़ी हार के साथ ही वंशवाद की राजनीति खत्म होती नजर आई। यही नहीं, कांग्रेस का गढ़ और पारंपरिक सीट माने जाने वाली मध्य प्रदेश की गुना सीट पर ज्योतिरादित्य भी मोदी सुनामी में बह गए। इस चुनाव में वोटर टर्नआउट 67 प्रतिशत रहा, जो अब तक के राजनीतिक इतिहास में सबसे अधिक था। मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों के मतदान प्रतिशत में भी भारी बढ़त दर्ज की गई। पुरुषों के साथ ही इस चुनाव में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। 2014 के मुक़ाबले 2019 के लोकसभा चुनाव में महिला और पुरुष वोटर्स के बीच के मतदान प्रतिशत का अंतर लगभग खत्म हो गया। यही नहीं इस बार देश की जनता ने वंशवाद की राजनीति को नकारते हुए बीजेपी की कार्यप्रणाली पर भरोसा जताया और सभी राज्यों में जातिवाद की राजनीति करने वाली पार्टियों का सफाया कर दिया। बिहार में लालू यादव की राजद, यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बसपा भी अपनी जातिगत राजनीति साधने में पूरी तरह असफल रही।

वर्ष 2014 के चुनावों के मुक़ाबले इस साल भाजपा का वोट शेयर जहां 8.5 प्रतिशत बढ़ा, वहीं कांग्रेस का मत प्रतिशत सिर्फ 2.5 प्रतिशत बढ़ा है। बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत के साथ ही हिन्दी बेल्ट की सभी क्षेत्रीय पार्टियों का सफाया कर दिया है। कांग्रेस को लोकसभा में अब की बार सिर्फ 52 सीटें मिली हैं जो कि वर्ष 2014 के मुक़ाबले सिर्फ 8 सीटें ही ज्यादा हैं।

भाजपा ने शानदार प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है अगर सच्ची लगन से देश की सेवा की जाए, तो देश की जनता का आशीर्वाद सदैव उसके साथ रहता है। वहीं कांग्रेस के लिए इन चुनावों में कई सबक छिपे हुए हैं। कांग्रेस को अपनी कार्यशैली में बदलाव करने की सख्त जरूरत है। कांग्रेस पर बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की बड़ी ज़िम्मेदारी है। कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को समझ लेना चाहिए कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं हो सकता।

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